एक मेला ऐसा, जहाँ गधों की कीमत सुन आप हो जाएंगे हैरान

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मेले लाये गए विभिन्न प्रजाति के गर्दभ
कौशाम्बी | यूपी में इन दिनों पशुओ में सबसे उपेक्षित जानवर गधा काफी सुर्खिया लूट रहा है, यह हैरानी की बात नहीं, यह सच है | हम बात कर रहे है कौशाम्बी में लगने वाले एक ऐसे मेले की, जिसमे गधा भी औने-पौने दामो में नहीं हजारो और लाखो में बिकते है | कड़ा नाम के स्थान पर दो दिनों तक चलने वाले इस ख़ास गधो के मेले के पीछे क्या इतिहास है, कितनी किस्म के गधे मेले में आते है , और क्यों लोग गधो के मेले का इन्तजार करते है | 
कौशाम्बी जिले के कडा शक्ति की अधिष्ठात्री देवी माँ शीतला मंदिर परिसर में यह अनोखा मेला लगता है | लोग इसका कारण धार्मिक रूप से भी मानते है मान्यता है की यहाँ पर शक्ति के अधिष्ठात्री देवी दुर्गा का शीतल स्वरुप माँ शीतला देवी विदमान है | जिनका वाहन गर्धभ है | 
कहते है कि कड़ा की अधिष्ठात्री देवी माँ शीतला की पूजा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक की उनके वाहन गर्दभ को भक्त चना और हरी घास का भोग नहीं लगा देते | पूरे साल में केवल दो दिनों के लिए लगने वाले इस मेले में गधा , खच्चर  व अच्छी नस्ल के घोडो को सजाया सवारा जाता है| गधों के खाने पीने से लेकर सजाने सवारने तक का सारा सामान मेले में मौजूद रहता है | इस मेले की खासियत यह है कि यहाँ के गधो व खच्चरों को जम्मू-कश्मीर के व्यापारी अधिक पसंद करते है | मेले में किसी में जानवर दूसरे जानवरों की झुंड में खो न जाये इसी लिए इनके ऊपर रंगों से विशेष निशान बनाये जाते है |
अनोखे गधो के मेले के बारे में स्कन्द पुराण में भी प्रमाण मिलता है कि गर्धभ  (गधा) माँ  देवी शीतला की सवारी है| इसी कारण माँ शीतला के साथ गर्धभ कि भी पूजा कौशाम्बी में की जाती है | यही वजह है माँ शीतला धाम में ऐसा अनोखा मेला लगता है | इस तरह का अलबेला गधों का मेला देश और विदेश में और कहीं नहीं लगता है | इस मेले में राजस्थान , बिहार , म.प्र. , जम्मू- कश्मीर जैसे कई राज्यों के लोग आते है  | यहाँ काफी महगे गधे और घोड़े बिकते है | जिनकी कीमत औने और पौने दाम नहीं होती, बल्कि इनकी कीमत हजारो से लेकर लाखो तक होती है | दो दिन तक चलने वाले इसमेले में गधा, खच्चर व घोड़ों की खरीद-फरोक्त की संख्या करोडो में पहुँच जाती है| 


गर्दभ मेले में धोबी, कलंदर, और सपेरा समाज के लोग देश भर के कोने कोने से इकठ्ठा होते है| धोबी समाज के तमाम लोग अपने लडके व लडकियों का रिश्ता भी इसी मेले में तय करते है| दो दिन तक चलने वाले इस मेले की सुर्खिया देश के कोने कोने तक फैली हुई है| मेले में जुटे धोबी समाज के तमाम लोग अपने लडके व लड़कियों का रिश्ता भी तय करते है| मान्यता है कि शीतला धाम में तय किया गया रिश्ता अटूट होता है| 

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