Jharkhand Thunderclap: झारखंड में मानसून शुरू होते ही वज्रपात की घटना से लोग सहमे रहते हैं। बिजली कड़कना शुरू होते ही लोगों चेहरों पर शिकन साफ देखी जाती है कि कब वज्रपात की घटना हो और किसी की जान चली जाए। क्योंकि, जंगल, पहाड़ व पठार से घिरे झारखंड के इस भूभाग की जलवायु स्थिति ऐसी है कि यहां पर मानसून के दौरान आकाशीय बिजली गिरने की आशंका हमेशा बनी रहती है। इससे पूरे मानसून के दौरान कई लोगों की जान जाती है।
जहां खनिज पदार्थ अधिक, वहां होती हैं सबसे ज्यादा घटनाएं
Jharkhand Thunderclap: जंगल, पहाड़ व पठार से घिरे झारखंड की जलवायु स्थिति के कारण यहां पर मानसून में वज्रपात होने की आशंका बनी रहती है। वहीं, वज्रपात की घटनाएं वैसे जगहों पर ज्यादा होती है, जहां पर जमीन के अंदर खनिज पदार्थ हैं। बरसात के मौसम में यहां पर सबसे ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है। वैसे झारखंड के रांची, खंटी सहित कुछ जिलों में वज्रपात की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। इन जिलों के वज्रपात जोन कहा जाता है। रांची जिले के नामकुम प्रखंड में अक्सर आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं होती रहती हैं। समतली इलाकों की तुलना पहाड़ी और जंगलों में वज्रपात का अधिक खतरा होता है।
वज्रपात (Thunderclap) से बचाव के किए गए हैं उपाय
Jharkhand Thunderclap: मौसम वैज्ञानिक राजन चौधरी सलाह देते हैं कि मानसून में बारिश के समय बिजली चमकने की घटना के दौरान किसी धातु के सतह को स्पर्श ना करें, पानी के समीप ना रहे, लंबे पृथक पेड़ों के नीचे आश्रय न लें, क्योंकि इन क्षेत्रों में बिजली गिरने की आशंका अधिक होती है। यदि आकाशीय बिजली चमक रही है और आपके सिर के बाल खड़े हो जाएं व त्वचा में झुनझुनी होने लगे तो फौरन नीचे झुककर कान बंद कर ले। क्योंकि, यह इस बात का सूचक है कि आपके आसपास बिजली गिरने वाली है।
वज्रपात से बचाव के लिए झारखंड सरकार द्वारा उपाय किए जाते हैं। स्कूलों व संवेदनशील जगहों पर तड़ित चालक लगाए जाते हैं। ताकि, अगर वज्रपात हो तो वे उसे अपनी ओर खींच सकें। पर, इनका रखरखाव सही ढंग से नहीं होने और चोरों द्वारा चोरी कर लिए जाने के कारण ये बेअसर साबित होते हैं। अगर सभी संवेदनशील जगहों पर तड़ित चालक लगा दिए जाएं, जान माल के नुकसान से बचाया जा सकता है। वज्रपात की घटनाओं में मवेशी भी बड़ी संख्या में मारे जाते हैं।
Thunderclap- सरकार व संस्थाएं करती हैं लोगों को जागरूक
सरकार व विभिन्न संस्थाओं द्वारा लोगों को वज्रपात से बचाव के लिए जागरूक किया जाता रहा है। बताया जाता है कि अगर आसमान में बिजली कड़क रही हो, तो वे पेड़ के नीचे शरण न लें, क्योंकि बारिश होते ही पेड़ पर वज्रपात हो जाता है। ऐसे में बारिश होने या कड़कने से पूर्व किसी सूखी जगह पर चले जाएं।
क्या कहते हैं मौसम वैज्ञानिक राजन चौधरी
Jharkhand Thunderclap: मौसम वैज्ञानिक राजन चौधरी बताते हैं कि झारखंड की जलवायु स्थिति ऐसी है कि यहां पर मानसून के दौरान आकाशीय बिजली गिरने की आशंका हमेशा बनी रहती है। प्री मानसून से लेकर मानसून तक यहां आकाशीय बिजली की खतरा बना रहता है। आकाशीय बिजली एक प्राकृतिक आपदा है, जिसे रोका नहीं जा सकता लेकिन जागरूकता अभियान के तहत लोगों को सतर्क कर उनकी जान अवश्य बचाई जा सकती है। क्योंकि, आकाशीय बिजली न सिर्फ मानव जाति अपितु सभी जीव-जंतुओं के लिए घातक है।
Jharkhand Thunderclap: आकाशीय बिजली से बचाव के लिए आइआइटीएम ने एक मोबाइल ऐप दामिनी लांच किया है। यह बिजली गिरने से 30-40 मिनट पहले ही सावधान कर देता है। दामिनी एप आकाशीय बिजली की गतिविधि के बारे में अग्रिम जानकारी प्राप्त कर सुरक्षित रहने में मदद करता है। यदि आकाशीय बिजली का प्रभाव पड़ता है, तो जल्द से जल्द चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए।
वज्रपात यानी कि थंडरक्लैप को लेकर सरकार की ओर से इसे रोकने का प्रयास किया जाता है, पर सब बेकार होता है। पूरे मानसून के दौरान इस वर्ष राज्य में दर्जनों लोगों की जान जा चुकी है।
Jharkhand Thunderclap: वज्रपात की घटनाओं में मारे गए लोगों को झारखंड सरकार मुआवजा देती है। इससे करोड़ों रुपये मृतकों के स्वजनों को देने में लगते हैं। झारखंड सरकार वज्रपात की घटनाओं को प्राकृतिक आपदा मानती है। इसके शिकार हुए लोगों के परिजन अंचल कार्यालय में आवेदन देते हैं। इसके बाद उन्हें मुआवजा दिया जाता है।