हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 – कांगड़ा विधानसभा सीट से भाजपा के पवन कुमार काजल जीते

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हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 - कांगड़ा विधानसभा सीट

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 – कांगड़ा विधानसभा सीट से भाजपा के पवन कुमार काजल जीते।

हिमाचल विधानसभा चुनाव कांगड़ा विधानसभा सीट पर अबकी बार कांग्रेस, बीजेपी के साथ ही आम आदमी पार्टी भी मोर्चे पर है। यहां से कांग्रेस के चौधरी सुरिंदर काकू के मुकाबले भाजपा के पवन कुमार काजल चुनावी रण में हैं। वहीं आम आदमी पार्टी ने राज कुमार पर दांव खेला है।

साल 2017 में कांगड़ा असेंबली सीट से कांग्रेसी उम्मीदवार पवन कुमार काजल ने जीत हासिल की थी। पवन कुमार ने भारतीय जनता पार्टी के संजय चौधरी को 6,208 वोट से हराया था। पवन कुमार को 25,549 वोट मिले थे। जो कुल वोटों का 43.07 फीसदी था। वहीं दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी के संजय चौधरी को 19,341 मत मिले थे, जो कुल वोटों का 33.08 फीसदी था।

वर्ष 2012 में निर्दलीय उम्मीदवार पवन काजल ने 563 वोट से जीत हासिल की थी। पवन काजल को 14,632 वोट मिले थे। वहीं दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के चौधरी सुरेंद्र कुमार को 14,069 मत मिले थे। वोट शेयर की बात करें तो निर्दलीय उम्मीदवार पवन काजल का वोट शेयर 29 फीसदी और कांग्रेसी कैंडीडेट सुरेंद्र कुमार का वोट शेयर 27.88 प्रतिशत था।

मौजूदा समय में कांगड़ा विधानसभा सीट पर 83,547 वोटर हैं। इनमें से पुरुष वोटरों की संख्या 42,420 है। वहीं, महिला मतदाताओं की संख्या 41,127 है।

कांगड़ा विधानसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या
कुल मतदाता – 83,547
पुरुष वोटर – 42,420
महिला मतदाता – 41,127

कांगड़ा सीट के इस महासमर में बीजेपी, कांग्रेस और आप का चुनाव प्रचार शबाब पर है। अब एक नज़र इन प्रत्याशियों की ताकत पर..

कांगड़ा सीट पर प्रत्याशियों की ताक़त

भाजपा के पवन कुमार काजल
दो बार एमएलए रहे हैं पवन काजल
जनता के बीच ख़ासे लोकप्रिय
पहले निर्दलीय, फिर कांग्रेस से विधायक

कांग्रेस के चौधरी सुरिंदर काकू
बीजेपी छोड़ कांग्रेस में आए हैं
पूर्व विधायक रहे हैं सुरिंदर काकू
कांगड़ा की राजनीति पर पकड़

आम आदमी पार्टी ने राज कुमार
सामाजिक कार्यकर्ता हैं राज कुमार
संघर्षशील और जुझारू नेता
इलाके में प्रधान के नाम से मशहूर

कांगड़ा विधानसभा का यह इलाका ओबीसी बहुल है। हर चुनाव में यहां घिरथ बिरादरी ने अपना प्रभाव दिखाया है। हालांकि यहां राजपूत व ब्राह्मण मतदाता भी हैं, जो जीत-हार में फर्क पैदा करते हैं।

कांगड़ा को कटोज राजाओं की कर्मभूमि कहा जाता है, पहले इसका नाम नगरकोट हुआ करता था, राजा सुसर्माचंद ने इसे बसाया था। छठी शताब्दी में नगर कोट जालंधर अथवा त्रिगर्त राज्य की राजधानी थी।

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