सच्चिदानंद से मिलाने का माध्यम है श्रीमद्भागवत कथाः आचार्य नवलेश दीक्षित

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  • 150 से ज्यादा यजमानों के साथ शुरू हुआ श्रीमद्भागवत अष्टोत्तर शत ज्ञान यज्ञ
  • श्रीचित्रकूट में सात दिन रहने का सौभाग्य
  • 18 दिसंबर को कामदगिरि प्रदक्षिणा में निकली कलशयात्रा अभूतपूर्व 

चित्रकूट। तपोभूमि चित्रकूटधाम में हरि नाम के गुणगान का अपना ही महत्व है, यहां पर भगवान का नाम लेने से व्यक्ति का उद्धार हो जाता है। यहां की नदियां जंगल व पहाड़ों का संरक्षण होना चाहिए नहीं तो इनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

चित्रकूट के आसपास विशालकाय बड़े वृक्ष हमारी धरोहर है इन्हें सहेजना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। चित्रकूट में आयोजित की गई तीनों श्रीमद भागवत कथा भागवत अष्टोत्तर शत कथाओं में हर बार कुछ न कुछ मिला।

यह उद्गार आचार्य नवलेश दीक्षित जी महराज ने विश्व के महानतम तीर्थ त्रिदेवों की जन्म स्थली श्री चित्रकूटधाम के श्रीजी होटल में श्रीमद्भागवत अष्टोत्तर शत ज्ञान यज्ञ के शुभारंभ करते हुए कहीं।

उन्होंने कहा कि पहले में उन्हें गंगा मिली तो दूसरे में यमुना और अब तीसरी कथा में उन्हें सरस्वती की प्राप्ति हो रही है। इस बार की कथा में यजमान और कथा सुनने वाले सभी लोग त्रिवेणी में स्नान करेंगे।

आचार्यश्री ने कहा कि चित्रकूट में कथा सुनने व सुनाने का अपना अलग महत्व है। यहां पर सुनने वाले व सुनाने वाले को दोनों को असीमित लाभ होता है और यह तय है कि यहां पर कथा सुनने वाले अपने घर कुछ न कुछ लेकर जाएं।

धन, ऐश्वर्य, उत्तम स्वास्थ्य, सम्मान तो भौतिक वस्तुएं हैं आपको वह मिलेगा जो आपने कल्पना भी नहीं की होगी। जब कहीं भी कथा या पूजन होता है तो पहले आचार्य उसका अंगन्यास करवाते हैं, इसका सीधा अर्थ है कि आचार्य अपने यजमान को सुरक्षित करते हैं।

श्रीमद्भागवत का अर्थ ही है उद्वार कर देना यानि मृत्यु पूर्व व मृत्यु के बाद के जीवन को तार देना। भवसागर की सही व्याख्या को समझा देना।

उन्होंने बताया कि अब तक के इतिहास में पहली बार कामदगिरि परिक्रमा मार्ग में शायद पहली बार कलश यात्रा का आयोजन हुआ है जो अभूतपूर्व है। कलश में भगवान ब्रह्मा विष्णु महेश सहित 33 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है।

18 को निकली कलश शोभायात्रा में सैकड़ों यजमान कलश लेकर शोभा यात्रा में शामिल हुए जो अपने आप में एक इतिहास बन गया है। भागवत महापुराण में अठारह अध्याय, 18000 श्लोक हैं। हर श्लोक अपने आपमें पूर्ण है। इसके स्मरण मात्र से ही व्यक्ति का जीवन सफल हो जाता है।

उन्होंने मंच से ही सभी श्रोताओं का अंगन्यास व विनियोग करवाया। प्रथम दिवस की कथा सुकदेव जी महाराज की आरती के साथ संपन्न हुई।

इसके पूर्व सुबह के सत्र में लगभग दो सौ यज्ञमानों ने अपने आचार्यों के समक्ष श्रीमद भागवत पूराण का पूजन व आराधना की। यहां पर लगभग हर यजमान ने अपने पूर्वज की याद में श्रीमद भागवत जी की एक चैकी रखवाई है।

इस दौरान सभी आचार्यों द्वारा समवेत स्वर में श्री मद भागवत पुराण का संस्कृत भाषा में मूल मंत्रों का उच्चारण आहलादित कर रहा था। कानपुर के विद्वान ज्योतिषाचार्य आचार्य गौरव शुक्ल, बांदा के वैदज्ञ विनोद शुक्ला जी के साथ देश भर से आए विद्वान इस महायज्ञ में अपनी आहुतियां दे रहे हैं।

कार्यक्रम में यजमान बनने के लिए दिल्ली,एमपी, असम, बिहार, छत्तीसगढ़,सहित अन्य राज्यों से भक्त गण आए हुए हैं। स्थानीय स्तर पर डा0 सुरेन्द्र अग्रवाल, डा0 सीताराम अग्रवाल, डा0 सुधीर अग्रवाल, समाजसेवी विवेक रूपा अग्रवाल, महेंद्र अग्रवाल, वरिष्ठ पत्रकार संदीप रिछारिया, पत्रकार पुष्पराज कश्यप, डा0 प्रशांत अग्रवाल, स्वप्निल अग्रवाल, अािद लोग यजमान हैं।

  • पुष्पराज कश्यप
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