- बहरेपन की जाँच के लिए पाँच माह का इंतज़ार, सैकड़ों दिव्यांग मरीज़ इंतज़ार में
- एसएसपीजी मंडलीय हॉस्पिटल में बैरा जाँच की सुविधा, फिर भी मरीज़ किए जा रहे रेफर
- बैरा जाँच के लिए दिव्यांग मरीज़ों को बीएचयू ईएनटी विभाग में किया जा रहा रेफर
- बीएचयू ईएनटी विभाग में मरीज़ों को जाँच के लिए दी जा रही पाँच माह बाद की तारीख़
वाराणसी। बीएचयू में बहरेपन के जाँच के लिए दिव्यांगो मरीज़ों को लम्बा इंतज़ार करना पड़ रहा है, मरीज़ों को पाँच माह के बाद की तारीख़ दी जा रही है।
श्री शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय हास्पिटल में बैरा जाँच की सुविधा होने के बावजूद जहां बैरा जाँच के बजाए बीएचयू ईएनटी विभाग में बैरा जाँच के लिए रेफर कर दिया जा रहा है बीएचयू ईएनटी विभाग में जाँच के बजाए मरीज़ों को पाँच माह बाद की तारीख़ दी जा रही है। इसकी वजह से दिव्यांग मरीज़ों को खासी दुश्वारियाँ झेलनी पड़ रही है।
दिव्यांग जनो को श्रवण बाधित अस्थाई दिव्यांग प्रमाण पत्र यूडीआईडी कार्ड को रिनुअल कराने के लिए यूडीआईडी के वेबसाइट पर आनलाइन आवेदन किया है जहां से श्री शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल कबीर चौरा मेडिकल बोर्ड ने आवश्यक जाँच परीक्षण के पश्चात सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता को बीएचयू ईएनटी विभाग रेफर कर दिया है जहां 3 जुलाई सुबह 10 बजे का स्लाट मिला है साथ में श्री शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल का पीटीए रिपोर्ट लेकर आने को कहा गया हैं अन्यथा बैरा जाँच नहीं किया जाएगा।
राजकुमार ने पाँच साल पहले यूडीआईडी कार्ड दिव्यांग प्रमाण पत्र के लिए आनलाइन आवेदन किया था जहां से श्री शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल में मेडिकल बोर्ड ने आवश्यक जाँच परीक्षण करके बैरा जाँच के लिए बीएचयू ईएनटी विभाग भेजा था कुछ दिनों बाद जाँच होने के बाद मंडलीय अस्पताल में बैरा रिपोर्ट मेडिकल बोर्ड को राजकुमार ने प्रेषित कर दिया था राजकुमार को आनलाइन अस्थाई दिव्यांग प्रमाण पत्र और यूडीआईडी कार्ड प्राप्त हो गया था प्रमाण पत्र में स्पष्ट रूप से मेडिकल बोर्ड ने लिखा है कि श्रवण बाधित दिव्यांगता समय के साथ बढ़ता है बैरा जाँच की वैधता पाँच साल तक यानी फ़रवरी 2023 तक ही थी फ़रवरी में पुनः यूडीआईडी के वेबसाइट पर राजकुमार ने आनलाइन आवेदन किया था। यूडीआईडी की वैधता 4 महिने बीत जाने के बाद भी दुबारा बैरा जाँच का स्लाट 3 जुलाई को मिला है यानी पाँच माह बाद भी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनना मुश्किल नजर आ रहा है।
और यूडीआईडी कार्ड रिनुअल क़रीब पाँच माह की वेटिंग होने से राजकुमार को समझ में नहीं आ रहा है कि दिव्यांग प्रमाण पत्र यूडीआईडी कार्ड रिनुअल कैसे होगा। राजकुमार ही नहीं, उनके जैसे दस से पन्द्रह मरीज़ पूर्वांचल के अलग अलग ज़िला अस्पताल से रेफर होकर बीएचयू ईएनटी अस्पताल में पहुँचते हैं। जाँच के लिए उन्हें लम्बी तारीख़ दे दी जाती है।
जिन मरीज़ों को कम सुनाई देता है उनकी बैरा जाँच कराई जा रही है। वही कम सुनाई देने संबंधी दिव्यांगता प्रमाण पत्र लगाकर सरकारी नौकरी और सरकारी योजनाओं का लाभ हासिल करने वालों का भी बैरा जाँच कराई जाती हैं बैरा जाँच सरकारी संस्थान से ही मान्य होतीं हैं। इसलिए ज़रूरी है जाँच कुछ लोगों को जन्म से या फिर उम्र बढ़ने के साथ कम सुनाई पड़ता है।
बैरा एक आधुनिक मशीनी जाँच है। यह जाँच नवजात शिशु के लिए भी उपयुक्त है। समय से जाँच और इलाज न होने से समस्या गंभीर हो जातीं हैं। ऐसे मरीज़ों को कान की मशीन लगाने की सलाह दी जाती है। कुछ लोगों में कोक्लीयर इंम्पलांट प्रत्यारोपित करने की ज़रूरत पड़ती हैं। कान में मशीन लगाकर ध्वनि तरंगों के आधार पर जाँच की जाती है। बैरा मशीन से कान कीं फुंसी, फोड़े, मोम का इकट्ठा होना की भी जाँच होती हैं।
वही पीड़ित राजकुमार ने पीएम और सीएम पोर्टल पर बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में आने वाले दिव्यांग मरीजों के लिए अलग ‘पिंक कार्ड’ गुलाबी पर्ची से उनको ओपीडी में वरीयता दिए जाने का और शुरुआत के पांच नंबर दिव्यांगों के लिए रिजर्व रखने के प्रावधान का पालन कराने की माँग रखी है।
● राजकुमार गुप्ता