शोपीस बने गांवों में बने सामुदायिक शौचालय

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डलमऊ, रायबरेली। गांव में बने हुए सामुदायिक शौचालय शो पीस बने हुए हैं आए दिन उन में ताला लटकता रहता है। विभागीय अधिकारी बंद पड़े सामुदायिक शौचायलयों से अंजान बने हुए हैं।

प्रतिमाह रखरखाव के लिए लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं जिनका बंदर बांट किया जा रहा है विकासखंड डलमऊ की ग्राम पंचायतों में बने हुए सामुदायिक शौचालय केवल शो पीस बने हुए हैं आधे से अधिक शौचालय बंद चल रहे हैं संचालन की जिम्मेदारी समूह को दी गई है।

कागजों पर उनका रखरखाव चल रहा है हर महीने रखरखाव के लिए हजारों रुपए खर्च भी किया जा रहे हैं विकासखंड डलमऊ की 76 ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचालय बने हुए हैं विभाग द्वारा कागजों पर सभी सामुदायिक शौचालय पूर्ण हैं और सभी नियमित रूप से खोले जा रहे हैं जबकि जमीनी हकीकत कुछ अलग है ग्राम पंचायत डलमऊ का सामुदायिक शौचालय आए दिन बंद रहता है अभी तक शौचालय में बिजली की व्यवस्था नहीं हो पाई है जिससे समरसेबल नहीं चलता।

पानी की व्यवस्था न होने से ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है ग्रामीण ग्रामीण रामकिशन अशोक कुमार सुनील कुमार की माने तो कूड़ाचक शगुनपुर में लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी अभी तक शौचालय अधूरा पड़ा हुआ है समरसेबल मोटर तो लगाई गई लेकिन लगाने के बाद ही जल गई पानी की व्यवस्था नहीं है सीट टूटी हुई है।

दरवाजे जर्जर है अभी तक ग्रामीण को इसका लाभ मिलने का इंतजार है किसान नेता सुशील यादव ने बताया कि ग्राम पंचायत रायपुर टप्पा हवेली में बना हुआ सामुदायिक शौचालय बंद रहता है अभी तक बिजली की व्यवस्था न होने से शौचालय अधूरा है इसी प्रकार 76 ग्राम पंचायत में बने हुए शौचालय आधे से अधिक बंद चल रहे हैं।

जिन समूहों को जिम्मेदारी दी गई है केवल कागजों पर चल रही है प्रतिमाह होने वाले भुगतान में बंदर बांट किया जा रहा है जबकि सरकारी आंकड़ों में हकीकत कुछ और है सभी 76 ग्राम पंचायत में बने हुए सामुदायिक शौचालय पूर्ण है और सभी का उपयोग भी किया जा रहा है।

सहायक विकास अधिकारी पंचायत कैलाश नाथ पटेल की माने तो 76 ग्राम पंचायत में बने हुए सामुदायिक शौचालय पूर्ण है शासन के निर्देश पर 4 वर्ष पूर्व सभी ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है जिसमें लगभग प्रति शौचालय चार लाख रुपए खर्च किए गए और प्रतिमाह ₹9000 रखरखाव में खर्च किए जा रहे हैं।

  • विमल मौर्य
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