बुंदेली कलाकारों ने मोहा विदेशियों का मन

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महोबा ,चरखारी तहसील के ग्राम काकुन में दक्षिण कोरियाई छात्र-छात्राओं को बुंदेली परंपराओं से स्वामी शान्तानंद सरस्वती विद्या मंदिर काकुन के छात्र-छात्राओं ने बुंदेली आल्हा गायन राई, सोहर,चैती, लोकगीत ,योगा जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों से परिचय कराया। दक्षिण कोरिया टीम के प्रमुख के साथ आयी 18 सदस्यीय टीम को हनुमान मंदिर काकुन में बच्चों ने अपनी धरोहर की मनमोहक प्रस्तुतियां देकर कोरियायी टीम को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। वांग-क्वांग-डिजिटल-रिपब्लिक यूनिवर्सिटी साउथ कोरिया से भारत विजिट पर आई टीम ने जब बुंदेली आल्हा की वीर रस की शैली का रसस स्वादन किया तो, साउथ कोरियायी टीम के लोग भी अपनी भुजाएं फड़काने लगे। यही आल्हा गायन की श्रेष्ठतम प्रस्तुति मानी जाती है। वहीं वन्दना ने राई और सोहर की प्रस्तुति देकर लोगों का मन मोह लिया। कजरी और चैती जैसे दुर्लभ गीतों की प्रस्तुतियां सुनकर डिजिटल यूनिवर्सिटी के टीम के लोग अचंभित रह गए ।क्लासिकल संगीत की पुट लिये कजरी और चैती गीत की जब प्रस्तुति हुई तो यह लोग अचंभित रह गए। इतना कठिन गायन बुंदेली बच्चे सहस्था के साथ गायन कर रहे हैं। टीम का विजिट 7 नवंबर तक बुंदेलखंड में रहेगा। विद्यालय के प्राचार्य कुलदीप मिश्रा ने बताया कि दक्षिण कोरियाई के टीम के विजिट करने के बाद विद्यालय परिवार का भी दक्षिण कोरिया विजिट का निर्धारण होगा। भारत के विजिटिंग प्रोफेसर धर्मेंद्र कुमार मिश्रा दक्षिण कोरिया में कार्य करते हुए भारतीय संस्कृति से परिचय कराने के लिए दक्षिण कोरिया टीम को बुंदेलखंड की धरा में बुंदेली परंपराओं से परिचित कराने के लिए बुंदेलखंड के एक छोटे से गांव में लेकर आए। वहां के बच्चे बुंदेली और भारतीय संस्कृति से वहां के बच्चों का परिचय कराया।

रिपोर्ट- राकेश कुमार अग्रवाल

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