ग्रामीणों का कहना रामलीला होने से नहीं होती ओलावृष्टि
महोबा , भटेवर गांव में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी पांच दिवसीय रामलीला का आयोजन पुजारी बाबा के स्थान पर सम्पन्न हो गया। प्रत्येक वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा को धनुष यज्ञ का मंचन किया जाता है। महोबा कोतवाली क्षेत्र में आने वाले भटेवर गांव में इस वर्ष 23 फरवरी से 27 फरवरी तक अलग-अलग क्षेत्र कानपुर, बांदा, फतेहपुर, महोबा के विद्वान कलाकारों द्वारा रामलीला का मंचन किया गया। कार्यक्रम के पहले दिन 23 फरवरी को राम जन्म, ताड़का बध, पुष्प वाटिका का मंचन किया गया तो वही दूसरे दिन यानी मांघ पूर्णिमा की रात्रि में धनुष यज्ञ का मंचन किया गया। उसके अगली रात्रि 25 फरवरी को राम बनवास, केवट (मल्लाह) मिलन की लीला का मंचन किया गया, जिसमें चतुर केवट द्वारा भगवान राम से नाव की उतराई न लेते हुए कहा कि आपका और मेरा काम एक है मैं नदी से पार लगाता हूं और आप भवसागर (मोक्ष) से पार लगाते हैं। इसलिए मैं आप लोगों से उतराई नहीं ले सकता। सोमवार की रात्रि के मंचन में सीता हरण, सुग्रीव से मित्रता, बाली बध एवं सीता माता की खोज आदि लीलाओं का मंचन किया गया। यही रात्रि अंतिम, यही रात्रि भारी, रामलीला मंचन की अन्तिम रात्रि को राम ने अपनी सेना सहित लंका पर चढ़ाई करते हुए सभी राक्षसों का बध किया, और लंका का राज्य विभीषण को सौंपते हुए पुष्पक विमान से (अवध) अयोध्या लौटे गये।
रिपोर्ट- राकेश कुमार अग्रवाल
भटेवर गांव में 150 वर्षों से अनवरत जारी रामलीला
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