गोवा के कुणबी नृत्य व बन गईले मंदिर श्री राम के लोक स्वरो से गुंजा तुलसी उद्यान मंच

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तुलसी उद्यान मंच पर चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत  संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के अन्तर्गत सातों जोन के द्वारा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज व संस्कृत विभाग उत्तर प्रदेश,उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान द्वारा आयोजित रामोत्तसव कार्यक्रम के अंतर्गत दिन गुरुवार को पहली प्रस्तुती सायंकाल तीन बजे असम के सुशील एवं दल द्वारा भोर ताल परिणाम ब्रिनाम गायन की प्रस्तुति प्रयागराज के श्री राम सुचित लोक गायन देवी गीत पचरा गीत “माई विन लडिकन के करी के अदरवा, “राम का बाल रुप दर्शन”.”राजा दशरथ के चारो ललनवा अगनवा में खेले बेकईया”..”माता सेबरी की अटूट भक्ति”..”दिलवा के हमरे पियसिया बुझई है”जोहेली सेबरी राम कहिया ले आईहे”इसके पश्चात लखनऊ की श्री मती कामिनी की लोक गायन बाबा कासी बिस्वनाथ की जयकारे लगाते हुए राम भजन गाई इसके बाद राम नाम का सुमिरन राम ही राम रटन लागी जिभिया”…”आज मोहे रघुबर की सुधि आयी”..राम बधाई गीत “बाजत अवध बधइया”..”ले चल अपनी नागरिया अवध बिहारी सांवरिया … कामिनी जी के लोग गायन सुनकर सभी श्रोता और दर्शक भाव बिभोर हो गए और राम ही राम रटने लगे पूरा माहौल भक्ति में राम मय हो गया। इसके पश्चात नोएडा की
श्री मती विजया भारती की लोक गायन एक के बाद एक कई भोजपुरी भाषा मे राम भजन बधाई गीत बन गइले मंदिर श्री राम के जयकारों के साथ लगातार प्रस्तुति दी। इसके राजस्थान की प्रसिद्ध और पारंपरिक नृत्य जगदीश एव दल द्वारा भवाई नृत्य राजस्थान पश्चिम राजस्थान में जब पानी कमी थी उस समय महिलाएं अपने सिर पर एक से ज्यादा घड़े लेकर पानी लेने दूर दूर तक जाया करती थी लम्बे रास्ते को पार करने के लिए अलग-अलग प्रकार के गानों को गाया जाता था इसलिए भवाई नृत्य मे अलग अलग गीतों को गाया जाता है तो रास्ते में कठिनाइयां जेसे तपती रेत, कांच के टुकड़े, लोहे की कीलें, बबूल के कांटे आदि इसलिए भवाई नृत्य को कांच के टुकड़े, लोहे की कीलें, तलवार आदि पर प्रस्तुत किया जाता है जगदीश पंचारिया एण्ड पार्टी राजस्थान द्वारा भवाई नृत्य प्रस्तुत किया गया सिर पर दस घड़े लेकर भवाई नृत्य प्रस्तुत किया गया जिसे घूंघट में नृत्य किया जाता है इस नृत्य को शुभ और मांगलिक अवसरों पर किया जाता है जिसकी प्रस्तुति बहुत ही सुंदर रही इसके पश्चात गोवा के कृपेश गांवकर के लोक नृत्य कुणबी नृत्य ये नृत्य गोवा के गावडा समाज के द्वारा किया जाता है।यह नृत्य फसल कटाई के समय किया जाता है जब महिलाये खेतो मे काम करने के बाद शाम का समय व्यथित करते है यह नृत्य खेती के आधार पर  गाया जाता है पुरुष लोग घुमट कासाल बजाकर नृत्य को शोभा देते है घुमट जो है वो मिठ्ठी का बना होता है एक तरफ छेद और दूसरी तरफ घोरपडे का चमडा लगाया जाता है औरत का कपडा को देटली पहनावा कहते है इसके पश्चात राजस्थान गणेश दास तेराताली की प्रस्तुति बहुत ही सुंदर रही।

रिपोर्ट- मनोज कुमार तिवारी

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