नारायण के उच्चारण से मिलता है मोक्ष : आचार्य ललित कृष्ण शास्त्री

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अजामिल व भक्त प्रहलाद की कथा सुन भावविभोर हुए श्रोता

श्रीमद् भागवत कथा सुनने उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़

लालगंज(रायबरेली) , सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन बीते 11 मार्च से ग्राम कनकापुर में किया जा रहा है। भागवत कथा का यह आयोजन रविवार 17 मार्च तक चलेगा,वहीं सोमवार 18 मार्च को श्रीमद् भागवत कथा समापन के उपरांत विशाल ब्रह्मभोज का आयोजन किया गया है। श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन गुरुवार को कथावाचक आचार्य ललित कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने अजामिल की कथा का मंथन किया। इस दौरान महाराज ने बताया कि परमात्मा का मनन करने से मनुष्य को मोक्ष मिलता है। जिस तरह अजामिल को नारायण के उच्चारण से मोक्ष मिला।

बताया कि अजामिल कान्यकुब्ज ब्राह्मण कुल में जन्मे थे और कर्मकांडी थे। वह एक नर्तकी से विवाह रचा लेते हैं। 25 संतों का एक काफिला अजामिल के गांव से गुजर रहा था। यहां पर शाम हो गई तो संतों ने अजामिल के घर के सामने डेरा जमा दिया। रात में जब अजामिल आया तो उसने साधुओं को अपने घर के सामने देखा,इससे वह बौखला गया और साधुओं को भला बुरा कहने लगा।इस आवाज को सुन कर अजामिल की पत्नी जो नर्तकी थी वहां आ गई। पति को डांटते हुए शांत कर दिया। अगले दिन साधुओं ने अजामिल से दक्षिणा मांगी।

इस पर वह फिर बौखला गया और साधुओं को मारने के लिए दौड़ पड़ा,तभी पत्नी ने उसे रोक दिया। साधुओं ने कहा कि हमें रुपया पैसा नहीं चाहिए। साधुओं ने कहा कि वह अपने होने वाले पुत्र का नाम नारायण रख ले,बस यही हमारी दक्षिणा है। अजामिल की पत्नी को पुत्र पैदा हुआ तो अजामिल ने उसका नाम नारायण रख लिया और वह नारायण से प्रेम करने लगा। अजामिल हर समय नारायण नारायण करते रहता। इसके बाद जब अजामिल का अंत समय आया तो वह अपने पुत्र नारायण को आवाज लगाता है,जिससे यमदूत चौक जाते हैं। नारायण रटने से अजामिल को मोक्ष मिलता है। महाराज जी ने बताया कि जो महिला पुरूष भगवान नारायण का स्मरण करते हैं वह पुण्य के भागी होते हैं।

कथाव्यास आचार्य ललित कृष्ण शास्त्री जी ने कहा कि भगवान बड़े ही दयालु और कृपालु हैं। सच्चे भक्त की पुकार पर भगवान दौड़े आते हैं। घोर आतताई राक्षस हिरणाकश्यप के घर विष्णु भक्त प्रहलाद का जन्म हुआ। पिता के लाख मना करने के बाद भी प्रहलाद का मन भगवान विष्णु की भक्ति में राम रहा। जिससे आजिज आकर हिरणाकश्यप ने पहलाद को मारने के हर संभव प्रयास किए। यहां तक कि उनकी बुआ होलिका से भी अपने पुत्र को मरवाने का प्रयास किया,जिसमें होलिका स्वयं जलकर समाप्त हो गई। ऐसे में राक्षस राज ने प्रहलाद से पूछा कि उसका भगवान कहां है,जिस पर प्रहलाद का उत्तर आया कि भगवान तो कण-कण में विराजमान है। प्रहलाद की करुण पुकार सुनकर भगवान नरसिंह खंभा फाड़़ कर निकले और हिरणाकश्यप का वध कर दिया।

वहीं पंडाल भगवान नरसिंह की जय जयकार से गूंज उठा। इस अवसर पर शिव भवन सिंह,सरिता सिंह,अवधेश सिंह,राम बहादुर सिंह,शिव मूर्ति सिंह,बृजेश सिंह,शिवांक सिंह,ब्रजेश सिंह,राम नरेश सिंह,शिव पूजन सिंह,अमित सिंह,हरकेश सिंह, हनुमंत सिंह,नरेश सिंह,राम बहादुर सिंह,माधुरी सिंह,बबिता सिंह,हरेंद्र सिंह,शिव किशोर सिंह,महेंद्र सिंह,अंकित सिंह,प्रियंका सिंह,अंशु सिंह,शिव हर्ष सिंह फौजी आदि सैकड़ों कथाप्रेमी उपस्थित रहे।

रिपोर्ट- संदीप कुमार फिजा

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