एन एस एस शिविर में महिला सशक्तिकरण पर गोष्ठी कार्यक्रम संपन्न

11

कबरई के रोशनसिंह बदनसिंह महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने बीलादक्षिण व मकरबई खोड़ा के शिविरों में किया सक्रिय प्रतिभाग।

महोबा , रोशनसिंह बदनसिंह गायत्री महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के छात्र छात्राओं द्वारा ग्राम बीला दक्षिण व मकरबई खोड़ा में विशेष शिविर के द्वितीय दिवस पर ”  महिला सशक्तिकरण “पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम मां सरस्वती के चित्रण पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ ज्ञान सिंह द्वारा माल्यार्पण किया गया। एवं NSS  छात्रा चंचल  यादव द्वारा सरस्वती वंदना की गई। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती मीनाक्षी विश्वकर्मा द्वारा किया गया। NSS छात्रा कुमारी प्रिया द्वारा देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया गया। रितिका, तपस्या तिवारी, मोहिनी विश्वकर्मा, अंशिका ने महिला सशक्तिकरण  के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। एवं एन.एस.एस छात्राओं द्वारा गीत प्रस्तुत किए गए।

कार्यक्रम अधिकारी डॉ. आदित्य प्रकाश खरे ने  महिला सशक्तिकरण संबंधी बातों पर चर्चा करते हुए कहा कि  लैंगिक असमानता भारत में मुख्य सामाजिक मुद्दा है जिसमें महिलाएँ पुरुषवादी प्रभुत्व देश में पिछड़ती जा रही है। पुरुष और महिला को बराबरी पर लाने के लिये महिला सशक्तिकरण में तेजी लाने की जरुरत है। सभी क्षेत्रों में महिलाओं का उत्थान राष्ट्र की प्राथमिकता में शामिल होना चाहिये। महिला और पुरुष के बीच की असमानता कई समस्याओं को जन्म देती है जो राष्ट्र के विकास में बड़ी बाधा के रुप में सामने आ सकती है। ये महिलाओं का जन्मसिद्ध अधिकार है कि उन्हें समाज में पुरुषों के बराबर महत्व मिले।

वास्तव में सशक्तिकरण को लाने के लिये महिलाओं को अपने अधिकारों से अवगत होना चाहिये। न केवल घरेलू और पारिवारिक जिम्मेदारियों बल्कि महिलाओं को हर क्षेत्रों में सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिये। उन्हें अपने आस-पास और देश में होने वाली घटनाओं को भी जानना चाहिये। ,,भारत मे महिलाओं के शिक्षा के प्रयास आधुनिक काल के शुरुआती दौर में ही हुए जिसका प्रसार अब लगातार देखने को मिलता है। आज के भारत में ग्रामीण क्षेत्रों की बच्चियाँ भी अब पढ़ने जाने लगी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जातिगत अवधारणाएं अभी भी बलवती हैं जिनके बावजूद निचली जाति की लड़कियां भी अब प्राथमिक विद्यालय की ओर रुख कर रही हैं जो कि एक सकारात्मक संकेत है लेकिन उसका एक बड़ा हिस्सा आज भी घरेलू काम-काज तक ही सीमित हैं।

शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की स्थितियों में अंतर आज भी विद्यमान है। पूरे देश में महिलाओं की स्थिति को सशक्त करने में इस तरह के मौजूद अंतर को पाटना अभी बेहद जरूरी है। क्योंकि इन सब का प्रभाव हमारे जीवन पर गंभीरता से पड़ता है। प्रवक्ता सी.वी.सिंह ने बताया किउत्तरवैदिक काल से स्त्री की स्थिति में एकाएक बदलाव नहीं हुए। स्त्री पर अनगिनत अंकुश लगाए जाने लगे। मध्यकाल तक आते-आते स्त्री की स्थिति दयनीय हो चुकी थी। हालांकि भारतीय इतिहास में भक्ति आंदोलन के समय में महिलाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हुआ लेकिन लगातार हो रहे आक्रमणों के बीच महिलाओं को पुनः घरों में कैद किया गया। किसी भी आक्रमण में सर्वाधिक शोषित महिलायें ही रहीं।

बाद में एक हरम में कई रानियों को रखने का रिवाज सामान्य हो गया। भोग की वस्तु के रूप में तब्दील हो चुकी स्त्री। अंत में कार्यक्रम का समापन करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. ज्ञान सिंह ने हम सभी को पता है कि हमारा देश एक पुरुष प्रभुत्व वाला देश है जहाँ पर पुरुषों को महिलाओं की तुलना में अधिक सक्षम समझा जाता है जो उचित नहीं है। आज भी बहुत से स्थानों पर महिलाओं को पुरुषों की तरह काम करने नहीं दिया जाता है और उन्हें परिवार की देखभाल और घर से न निकलने की हिदायत दी जाती है। भारत एक पुरुषप्रधान समाज है जहाँ पर पुरुष का प्रत्येक क्षेत्र मंक दखल होता है और महिलाएँ केवल घर-परिवार की जिम्मेदारी उठाती है साथ ही उन पर कई पाबंदियाँ भी होती हैं। भारत की लगभग 50% आबादी महिलाओं की है अथार्त सारे देश के विकास के लिए इस आधी आबादी की बहुत ज्यादा जरूरत है जो आज तक सशक्त नहीं है और बहुत से सामाजिक प्रतिबंधों से बंधी हुई है। “हर बेटी अगर सास को माँ समझने लगे ” और “हर सास बहु को बेटी समझने लगे” तो समाज मे एक रुपता का भाव आ जाएगा। प्राचीन समय  में स्त्रियों की सम्मानजनक स्थिति थी।

लेकिन मध्यकाल में कुछ -कुछ प्रथाएं व्याप्त हो गई जैसे सती प्रथा ,जौहर प्रथा ,बाल विवाह ,वेश्यावृत्ति इत्यादि। जिसके कारण पर्दा प्रथा को अधिक बढ़ावा मिला। और स्त्री – पुरुष के बीच समानता की कमी हुई, लेकिन कुछ समय बाद आधुनिक समय में इनको प्रथाओं को दूर करने के लिए कुछ समाज सुधारकों ने इनको दूर करने का प्रयास किया जिसमें राजा राममोहन राय का नाम अग्रणी है उनके अथक प्रयासों से इनको प्रथाओं को दूर किया गया। इस अवसर पर समीना बानो, कुमारी पूनम सिंह, कल्याण सिंह, संदीप बुधौलिया रामाधार पाल इत्यादि उपस्थित रहे।

रिपोर्ट- राकेश कुमार अग्रवाल

Click