सार्वजनिक शौचालय सहित कलेक्ट्रेट परिसर से नदारद सफाई कर्मी : अधिवक्ताओं में नाराजगी
रायबरेली- जहा एक तरफ सरकार की मंशा है कि सफाई हो डगर डगर स्वच्छ हो गांव नगर स्वच्छ रहिए स्वस्थ रहिए लेकिन इस अभियान की जिनके कंधों पर जिम्मेदारी है वह स्वयं गंदगी में जी रहे हैं उनका खुद का परिसर गंदगी से बजबजा रहा है लेकिन वह अपनी पारदर्शी आंखों से नहीं देख पा रहे हैं या फिर यह कह लिया जाए कि उनके दफ्तरों की चमक और कमरों में लगी ऐसी के चलते उन्हें बाहर का नजारा पसंद नहीं है। जब TheReportsToday टीम ने जमीनी हकीकत परखी तो मामला सामने आया सबसे बड़ी विडंबना तो यह है
कि जहां स्वयं जिला अधिकारी का दफ्तर हो खुद जिलाधिकारी का आना जाना हो और वही गंदगी का अंबार हो तो जिले की दुर्दशा का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। बताते चलें कि कलेक्ट्रेट परिसर में साफ सफाई की यह व्यवस्था है कि परिसर के कुछ हिस्सों में महीनो से झाड़ू ही नहीं लगाया गया है सफाई कर्मी गायब है। कलेक्ट्रेट परिसर में लाखों रुपए के बजट से बनाए गए सार्वजनिक शौचालय आज शो पीस बनकर रह गए हैं कहीं सीट गायब है तो कहीं टाइल्स पत्थर गायब हो गए हैं तो कहीं लगाई गई पाइप खोलकर चोरी कर लिए गए हैं। बावजूद शौचालयों के लिए वाकायदा कर्मचारी की नियुक्ति की गई है
जो इसकी देखभाल करने के लिए है जनता की गाढ़ी कमाई का किस तरह बर्बाद किया गया है यह सोचने का विषय है। शौचालय 24 घंटे सार्वजनिक के लिए बनाए गए हैं लेकिन जिनके कंधों पर जिम्मेदारी है वह खुद गंदगी में बैठने के लिए मजबूर है। बचत भवन के पीछे बने शौचालय की स्थिति बद से बत्तर हो गई है सफाई कर्मियों का पता नहीं जिसकी तैनाती की गई है उसे अधिकारियों की सेवा में लगाया गया है। यही आलम जिलाधिकारी के सामने बने शौचालय का है। पुलिस अधीक्षक परिसर से निकलने वाला सारा कचरा एडीएम प्रशासन के सामने परिसर में फेका जा रहा है एडीएम प्रशासन के सामने परिसर में महीनों झाड़ू नहीं लगाया गया है। जिला कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के महामंत्री रामेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि एडीएम प्रशासन के सामने और अधिवक्ताओं के चैंबर के आसपास काफी दिनों से सफाई नहीं की गई है इस मामले में वह जिलाधिकारी से वार्तालाप करेंगे। इस संबंध में जब डीएम के सरकारी नंबर पर संपर्क किया गया तो किसी अज्ञात व्यक्ति ने बताया कि मैडम मीटिंग में समस्या नोट करके अवगत करा दिया जाएगा।
अनुज मौर्य रिपोर्ट