Turkiye Earthquake: तुर्किये में आए 7.8 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप ने वहाँ की जमीन को 10 फीट यानी करीब 3 मीटर खिसका दिया है। ये दावा इटली के भूकंप विज्ञानी डॉ. कार्लो डोग्लियानी ने किया। इससे पहले साल 2011 में जापान और वर्ष 2022 में भारत के भी खिसकने की रिपोर्ट्स सामने आई थी। अब तुर्किये में जमीन खिसकने की कीमत चुकानी पड़ेगी।
बता दें कि दुनिया बड़ी-बड़ी टैक्टोनिक प्लेट्स पर बनी है। इन प्लेट्स के नीचे तरल पदार्थ लावा है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं।
Turkiye Earthquake: तुर्किये का ज्यादातर हिस्सा एनाटोलियन टैक्टोनिक प्लेट पर बसा है। ये प्लेट यूरोशियन, अफ्रीकन और अरबियन प्लेट के बीच में फंसी हुई है। जब अफ्रीकन और अरबियन प्लेट शिफ्ट होती हैं तो तुर्कीये सैंडविच की तरह फंस जाता है। इससे धरती के अंदर से ऊर्जा निकलती है और भूकंप आते हैं। सोमवार को तुर्किये में आया भूकंप नॉर्थ एनाटोलियन फॉल्ट लाइन पर आया।
इटली के सीस्मोलॉजिस्ट डॉ. कार्लो डोग्लियोनी के मुताबिक एनाटोलियन टैक्टोनिक प्लेट्स और अरबियन प्लेट्स एक दूसरे से 225 किलोमीटर दूर खिसक गई हैं। इसके चलते तुर्किये अपनी भौगोलिक जगह से 10 फीट खिसक गया है।
डोग्लियोनी बताते हैं कि टैक्टोनिक प्लेट्स में हुए इस बदलाव के चलते तुर्किये, सीरिया की तुलना में 5 से 6 मीटर यानी लगभग 20 फीट और अंदर धंस गया है। हालांकि उन्होंने साफ किया कि ये शुरुआती डेटा से मिली जानकारी है। आने वाले दिनों में सैटेलाइट इमेज से सटीक जानकारी मिल सकेगी।
Turkiye Earthquake: डरहम यूनिवर्सिटी में स्ट्रक्चरल जियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. बॉब होल्ड्सवर्थ ने कहा कि 6.5 से 6.9 की तीव्रता वाले भूकंप आने पर टैक्टोनिक प्लेट्स एक मीटर तक खिसक सकती है। वहीं अब तक के ज्ञात सबसे बड़े भूकंप आने पर यह 10 से 15 मीटर तक खिसक सकती हैं।
प्रो. होल्ड्सवर्थ के मुताबिक इतनी ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप से अगर तुर्किये के आसपास की टैक्टोनिक प्लेट्स में 3 से 6 मीटर का हॉरिजॉन्टल खिसकाव होता है तो यह स्वाभाविक है। इसकी वजह तुर्किये का तीव्र भूकंप वाले जोन में होना है।
टैक्टोनिक प्लेट्स का इस तरह हॉरिजॉन्टल खिसकाव सड़कों, इमारतों, बोरिंग, पानी या पेट्रोल की पाइप लाइन को तोड़ सकता है। साथ ही नदियों की दिशा भी बदल सकता है।
इससे पहला 11 मार्च 2011 को जापान में 9.1 तीव्रता का अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप आया था। इस शक्तिशाली भूकंप ने न सिर्फ लोगों की जान ली, बल्कि धरती की धुरी को 4 से 10 इंच तक खिसका दिया था। साथ ही पृथ्वी की रोजाना चक्कर लगाने की रफ्तार में भी वृद्धि हुई।
26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया में आए भूकंप और फिर सुनामी के चलते अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का इंदिरा पॉइंट जलमग्न हो गया था। यह द्वीप सुमात्रा से 138 किमी की दूरी पर स्थित है।
भारत में साल 1819 में गुजरात के भुज में भूकंप से टापू बन गया था। इसे अल्लाह बंद नाम से जाना जाता है। वैज्ञानिकों की मानें तो रिक्टर पैमाने पर 7.8 से अधिक तीव्रता के भूकंप आने पर ऐसा होना संभव है।