कोर्ट ने शहरी निकाय चुनाव में यूपी सरकार को ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए तीन महीने का समय दे दिया है। इन तीन महीनो में यूपी सरकार की ओर से गठित पिछड़ा वर्ग आयोग को आरक्षण से जुड़े अपने फैसले लेने होंगे। जिसके आधार पर यूपी में नगर निकाय चुनाव होगा। मतलब नगर निकाय चुनाव तीन महीने के लिए टल गया।
इसके पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिना ओबीसी आरक्षण के बिना तत्काल नगर निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
गौर करें तो उत्तर प्रदेश सरकार ने 5 दिसंबर को नगर निकाय चुनाव के लिए आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी। इसके इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। कहा गया कि यूपी सरकार ने आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन नहीं किया है। इस पर हाईकोर्ट ने आरक्षण की अधिसूचना रद करते हुए यूपी सरकार को तत्काल प्रभाव से बिना ओबीसी आरक्षण लागू किए नगर निकाय चुनाव कराने का फैसला दे दिया था।
हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद यूपी सरकार ने ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले के तहत ओबीसी आरक्षण निर्धारित करने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर दिया। इस बीच, इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
बता दें कि ‘सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाई है, जिसमें बिना ओबीसी आरक्षण और तत्काल प्रभाव से चुनाव कराने का निर्देश दिया गया। मतलब साफ है कि यूपी में नगर निकाय चुनाव होगा तो वह ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले पर ओबीसी आरक्षण निर्धारित करने के बाद ही होगा।’
इसी कड़ी में यूपी सरकार ने नगर निकाय में ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले के तहत ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर दिया है। ये आयोग 31 मार्च तक यूपी सरकार को अपनी रिपोर्ट देगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर यूपी सरकार नगर निकाय चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण को निर्धारित करेगी। ऐसे में अप्रैल के आखिरी हफ्ते तक प्रदेश में नगर निकाय चुनाव हो सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने विकास किशनराव गवली की याचिका पर सुनवाई करते हुए ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले से नगर निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था। कोर्ट का ये आदेश सभी राज्यों को लागू करना था, लेकिन अब उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में लागू नहीं हो सका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निकाय चुनाव में राज्य सरकार ट्रिपल टेस्ट फार्मूले का पालन करने के बाद ही ओबीसी आरक्षण तय कर सकती है।
इस ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले में तीन अहम बातें हैं। स्थानीय निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति की जांच के लिए एक आयोग की स्थापना की जाए। यह आयोग निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति का आकलन करेगा और सीटों के लिए आरक्षण प्रस्तावित करेगा।
आयोग की सिफारिशों के तहत स्थानीय निकायों की ओर से ओबीसी की संख्या का परीक्षण कराया जाए और उसका सत्यापन किया जाए।
इसके बाद ओबीसी आरक्षण तय करने से पहले यह ध्यान रखा जाए कि एससी-एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कुल आरक्षित सीटें 50 फीसदी से ज्यादा न हों।