अधिकारी व्यस्त-वोटर सुस्त-पर्यटक हैरान

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चार पहिया वाहनों की धमाचैकड़ी से रामधाट बेहाल
– कामदगिरि परिक्रमा में पर्यटकों के साथ बढी छिनैती की घटनाएं
– रामघाट व भरतघाट पर टप्पेबाजों की मौज
– रामघाट व परिक्रमा मार्ग से पुलिस नदारत

चित्रकूट , चुनाव की दुंदभी बज चुकी है। ऐसा लग रहा है कि वोटर को इस चुनाव से कोई मतलब नही है। इसका बड़ा कारण भाजपा और सपा के अलावा किसी दूसरे प्रत्याशी का सामने न आना है। कहने के लिए अभी बसपा का प्रत्याशी सामने आयेगा जबकि मठबंधन के बाद कांग्रेस के प्रत्याशी के सामने आने के कोई चांसेस नही है। लिहाजा अभी तक न ककेवल बसपा बल्कि कांग्रेस के लोग सुप्तावस्था को प्राप्त हैं। वैसे भाजपाईयों के अंदर भी कोई बड़ा उत्साह का संचार होता दिखाई नही देे रहा है। पिछले छह महीने से चुनाव के हल्ले के बीच एक बार प्रधानमंत्री का दौरा चित्रकूट तो हुआ पर मध्य प्रदेेश विधानसभा के चुनाव के चलते उन्होंने तुलसी पीठ व जानकी कुंड ट्रस्ट के कार्यक्रमों में ही रामघुन गाकर अपना काम किया।

चित्रकूट का हाल यह है कि वह बेचारा होकर कराह रहा है। आम लोगों का मानना है कि जितनी तबज्जो दूसरे धर्मस्थलों को दी गई, उतनी चित्रकूट को न दिया जाना निःसंदेह चिंता का विषय है। यहां पर दूसरे धर्मस्थलों के जैसा विकास न होना इस बात का द्योतक है कि यहां पर विवाद नही है। वैसे ज्ञान औैर तप की श्रेष्ठ स्थली में अभी प्रशासन के साथ ही शासन भी विवाद होने का इंतजार ककर रहा है। क्योंकि अवैध मस्जिद व मदरसा होने के बाद भी चित्रकूट के जिला प्रशासन ने कभी धर्मनगरी से इसे हटवाने के लिए कोई प्रयास नही किया।

पुलिस का हाल यह है कि वह इस समय पूरे तरह से चुनाव के मूंड में दिखाई देे रही है। रामघाट पर नाविकों के द्वारा पोषित व पल्लिवत टप्पेबाजों का आतंक चरम पर है। कमीशनखोर टप्पेबाजोें के कारण रामघाट, राघव प्रयाग घाट व तुलसी घाट पर चार पहिया वाहनों की धमाचैैकड़ी दिन रात दिखाई देती है। बाहर सेे आने वाले दर्शनार्थी तो इससे परेशान होते ही हैं, साथ ही स्थानीय निवासी भी कराह रहे हैं। चरखारी मंदिर के मनीष व दयाशंकर गंगेले ने बताया कि चार पहिया वाहनों का आना वैसे तो घाटों पर प्रतिबंधित है। लेकिन नाविकों के द्वारा पोषित उचक्के उनकोे लेकर घाट पर आते हैं।

उनके आने पर टेलीफोन, पानी के पाइप रोज टूट जाते हैं। पुलिस का एक भी जवान कभी घाट पर नजर नही आता है। दिन और रात में दर्जनोें लोगों के कपड़े व जेब काटकर उचक्के रफूचक्कर हो जाते हैं, उनकी सुनने वाला कोई नही है। कुछ इसी तरह का हाल कामदगिरि परिक्रमा का है। राममोहल्ला में सीसी टीवी कैमरे लगे होनेे के बाद भी रोजाना चार छह लोगों के साथ चेन छीनने के हादसे होते हैं। लेकिन पुलिस लोगों को ही समझा कर वापस भेज देती है।

रिपोर्ट- संदीप रिछारिया

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