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42 छात्रों को गोल्ड मैडल व 120 को पीएचडी की उपाधि मिली
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कला संकाय को सर्वाधिक मिलीं सर्वाधिक 210 उपाधियां व 63 पीएचडी
संदीप रिछारिया (वरिष्ठ सम्पादक )
चित्रकूट। त्रिदेवो की जननी स्थली चित्रकूट आकर मप्र के राज्यपाल यहां की आध्यात्मिकता में डूबे नजर आए। एक कुशल अभिभावक का दायित्व निभाते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में नाना जी देशमुख ने इस अनोखे विवि की परिकल्पना इस लिए की थी कि डिग्री कालेज से खरीदकर नौकरी करने के लिए उपयोग में लाने वाला साधन न बनें बल्कि उस डिग्री का उपयोग वह अपने पूरे जीवन कर सके। महात्मा गांधी के वाक्य गांवों में भारत रहता है और गांव की उन्नति से ही देश की उन्नति संभव है, को नाना जी ने यहां पर साकार कर दिखाया। नाना जी का उद्देश्य था कि यहां पर पढने वाला विद्यार्थी ग्रामीण परिवेश को समझे, उसमें रचे बसे और फिर सको आधुनिक शिक्षण पद्वति से जोड़कर गांव के विकास में सहायक हो।
उन्होंने कहा कि विश्व में जितना भी ज्ञान है, वह भारत की देन है। हजारों साल पहले चिकित्सा के बारे में कोई नही जानता था, जब हमारे प्राचीन ऋषि सुश्रुत ने सर्जरी के बारे में न केवल बताया बल्कि करके दिखाया। आज भी उन्हें फादर आॅफ सर्जरी कहते हैं और चिकित्सा के सभी काॅलेजों में उनकी फोटो दिखाई देती है।
इस दौरान कुलपति प्रो0 नरेश चंद्र गौतम ने विवि की तरक्की के बारे में बताते हुए कहा कि आज नाना जी लगाया यह पौधा वटवृक्ष बन चुका है। इसकी शाखाएं निकलकर देश भर में फैली हुई हैं।
इस दौरान कृषि संकाय स्नातक के 91, परास्नातक के 89 पीएचडी के 12, कला संकाय 162 स्नातक, 48 परास्नातक, 63 को पीएचडी की होनकारों को उपाधि दी गई। इसके अलावा अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय, ग्रामीण विकास एवं व्यवसाय प्रबंधन संकाय, विज्ञान एवं पर्यावरण संकाय के छात्रो को भी उपाधियां दी गई।
इसके पूर्व महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षांत समारोह में प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति लालजी टंडन ने 42 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक,121 शोधार्थियों को पीएचडी उपाधि एवं स्नातक -परास्नातक स्तर के विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की।
राज्यपाल लालजी टंडन दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करने के लिए यहां आये थे। इसके पूर्व उन्होंने ग्रामोदय विश्वविद्यालय प्रबंध मंडल की बैठक की भी अध्यक्षता की। दीक्षांत उद्बोधन राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्यांकन परिषद बंगलोर के चेयरमैन पद्मश्री प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह चौहान ने दिया। स्नातकों को दीक्षांत शपथ कुलपति प्रोफेसर नरेश चंद्र गौतम ने दिलाई। कुलसचिव डॉ राकेश कुमार चौहान ने दीक्षांत समारोह का संचालन किया।
विशिष्ट अतिथि पद्मश्री प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह चौहान ने अपने दीक्षांत मार्गदर्शन में कहा कि उपाधि प्राप्त कर्ताओं को मेहनत, श्रद्धा और इमानदारी के साथ अपना काम करना चाहिए। ईमानदारी से किया प्रत्येक कार्य देश को आगे ले जाने में सक्षम होता है।
प्रोफेसर चौहान ने कहा कि किसी के काम की नकल से अच्छा है कि हम हर काम के करने की नवीन तकनीकों को ढूंढ कर प्रभावी बनावे। स्वामी विवेकानंद की जीवन शैली उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें महापुरुषों को ठीक ढंग से पढ़ना और उनके कार्यों का अनुसरण करना चाहिए। प्रोफेसर चौहान ने जीवन की सफलता के अनेक गुर बताएं।
कुलपति प्रोफेसर नरेश चंद गौतम ने स्वागत उद्बोधन करते हुए विश्वविद्यालय के कार्यों और गतिविधियों पर प्रकाश डाला। प्रोफेसर गौतम ने नव स्नातकों को शपथ दिलाई।कुलसचिव डॉ राकेश कुमार चौहान दीक्षांत समारोह के प्रावधानों के अंतर्गत कुलाधिपति लालजी टंडन से अनुमति प्राप्त कर कार्यक्रम प्रारंभ करने एवं समापन की घोषणा की। कार्यक्रम का प्रारंभ विद्वत यात्रा के दीक्षांत मंच में पहुंचने के साथ हुआ। इसके पूर्व राज्यपाल ने पुरुष छात्रावास का शिलान्यास और सचल मृदा परीक्षण प्रयोगशाला का शुभारंभ एवं बी.एफ.ए – एम.एफ.ए के विद्यार्थियों द्वारा लगाई गई आकर्षक फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। चित्रकूट के संतों का स्वागत किया।
इस दौरान दीक्षांत समारोह मंच से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ वंदना पाठक द्वारा लिखित केमिस्ट्री टेक्निक्स पुस्तक का विमोचन पुरातन, विधायक नीलांशु चतुर्वेदी, अनामिका दुबे यूपीपीएससी की सहायक प्राध्यापक इतिहास परीक्षा में प्रथम स्थान पाने , इं शुभम मिश्रा द्वारा सॉफ्टवेयर स्टार्टअप के सफल क्रियान्वयन के लिए सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया। शोध उपाधि प्राप्त करने पहुंचे डॉ दीपक राय भोपाल ने अपनी स्व लिखित सोशल मीडिया पुस्तक समर्पित किया।
एमएफए के छात्र संगम सागर ने महामहिम राज्यपाल की हस्त निर्मित व्यक्ति चित्र का निर्माण कर उन्हें समर्पित किया। इसी प्रकार बीएफ एक-एक छात्र अभिलाष ने पद्मश्री प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह चौहान की प्रतिकृति बनाकर सौंपी। कार्यक्रम का संचालन उप कुलसचिव डॉ कुसुम कुमारी सिंह ने किया।
पहली बार किया गया पुरातन छात्रों का सम्मान
महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में आज 8 वे दीक्षान्त समारोह के दौरान राजनीति के रंग भी देखने को मिले। फरवरी 2000 की शिवरात्रि को भारतरत्न नानाजी देशमुख ने चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। तब से लेकर आज तक 8 दीक्षान्त समारोह आयोजित हो चुके है। 7 वे दीक्षान्त समारोह तक यहाँ पर केवल उपाधि धारकों को ही सम्मान दिया जाता रहा है।पहली बार पुरातन छात्र वह भी कुछ 7/8 का सम्मान करना किसी के गले नही उतरा।
भले ही नानाजी ने इसे दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में शासन को सौप दिया था। शासन ने इसका नाम भी बदलकर महात्मा गांधी को चित्रकूट के आगे रख दिया था।लेकिन इसके बाद भी इसे हमेशा संघ के प्रकल्प के तौर पर ही माना गया। इधर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद पहली बार आयोजित हुए ग्रामोदय के दीक्षान्त समारोह में कांग्रेस के नेताओ व मंत्री को भी बुलाया गया था।कल शाम तक शासन के कबीना मंत्री जीतू पटवारी के आने की चर्चा थी।लेकिन रात में उनका कार्यक्रम निरस्त हो गया। पुरातन छात्रों को सम्मनित किये जाने के पीछे भी इसी तरह की राजनीति दिखाई दी।विधायक नीलांशु यहां के काफी पुराने छात्र है।वह लगातार दूसरी बार चित्रकूट विधानसभा से विधायक चुने गए है। उनकी पत्नी से लगातार विश्वविद्यालय में गेस्ट फैकेल्टी के रूप में सेवाएं ली जा रही है। वैसे अभी तक 20 साल पुराने इस विवि में 8 पुराने छात्रों को सम्मान मिलना वाकई गौरव की बात है।