अमर सेनानी राना बेनी माधव सिंह की कर्मभूमि शंकरपुर में राना की अश्वरोही प्रतिमा स्थापना के लिए हुआ भूमि पूजन

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जगतपुर, रायबरेली , 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रथम भारतीय स्वतंत्रता समर के अमर नायक राना बेनी माधव सिंह की जन्मस्थली-कर्मस्थली शंकरपुर में राना की प्रतिमा स्थापना के लिए भूमि पूजन समारोह संपन्न हुआ। समारोह के साथ ही राना बेनी माधव सिंह की प्रतिमा की स्थापना होने से उनकी विरासत और योगदान को और भी प्रेरित करेगी। भूमि पूजन के अवसर पर समिति के पदाधिकारियों, सदस्यों सहित स्थानीय नागरिकों, ग्रामीणों और इतिहास प्रेमियों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया। रविवार को दोपहर राना बेनी माधव सिंह स्थापना समिति शंकरपुर के अध्यक्ष हरिचन्द्र बहादुर सिंह सहित समिति से जुड़े लोगों ने शुभ मुहूर्त के अनुसार पंडित सीपी उपाध्याय व बीडी तिवारी के द्वारा मंत्रोच्चारण के बीच विधि विधान से भूमि पूजन कराया।

राना पार्क में विशालकाय अश्वरोही प्रतिमा स्थापना के लिए बैठक को संबोधित करते हुए हरिचन्द्र बहादुर सिंह ने मां दुर्गा जी के दर्शन करने के बाद कहा कि राना बेनी माधव सिंह की कर्मस्थली शंकरपुर में उनकी अश्वरोही विशालकाय प्रतिमा स्थापना के लिए भूमि पूजन किया गया। राणा बेनी माधव सिंह को देश की आजादी दिलाने में उनके योगदान के लिए सदैव याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राणा ने 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ पहली बार स्वतंत्रता संग्राम शुरू किया था और वीर बैसवारा को 18 माह तक अंग्रेजी हुकूमत से मुक्त कराया था। पूर्व डिप्टी एसपी एवं समिति उपाध्यक्ष आशापाल सिंह ने बैठक में कहा कि राना के गौरवशाली इतिहास और वीरता की गाथा जन-जन में व्याप्त है और युगों-युगों तक इनके जन्म से लेकर प्राण उत्सर्ग तक के किस्से साहित्य और संस्कृति में अंकित रहेंगे। समिति के संयोजक प्रोफेसर डॉ. आजेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि 1857 की क्रांति में भारत के असंख्य वीरों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोहा लिया, उनमें राणा बेनी माधव सिंह का नाम प्रमुख है। राणा बेनी माधव सिंह ने देश की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

जिला मुख्यालय से प्रयागराज नेशनल हाईवे जगतपुर के निकट 21 किलोमीटर दूर शंकरपुर रियासत के राजा थे। वे बाल्यकाल से ही प्रतिभा संपन्न, तेजस्वी और वीरता से परिपूर्ण थे। राना के वीरत्व के विषय में क्षेत्र में अनेक किस्से, कहानियाँ, किंवदंतियाँ प्रसिद्ध और जनमानस को कंठस्थ हैं। कुछ कवियों ने इन्हें बैस अवध केसरी, वंशभूषण कहा है, तो किसी ने इन्हें नर पुंगव, नर केसरी और नर नाहर की उपाधि प्रदान की। शंकरपुर कॉलेज के प्रथम छात्र एवं सेवा निवृत शिक्षक बुधेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि बैसवारा की रियासत के शासक राजा राना बेनी माधव सिंह न केवल रायबरेली बल्कि पूरे अवध क्षेत्र के लोक नायक थे, जिन्होंने अपने साहस एवं पराक्रम के बलबूते इस संपूर्ण भूभाग को ब्रिटिश हुकूमत से स्वतंत्र रखा। इसीलिए राना के लिए कहा गया है कि, ‘अवध मा राणा भयो मर्दाना’, जय स्वदेश जय राघव, भारत माता की जय, वंदे मातरम ! शंकरपुर दुर्गा धाम  दुर्गा मैया की जय, राना बेनी माधव सिंह अमर रहे के जयघोष के नारे लगाए गए।

इस मौके पर प्रबुद्धजनों, वरिष्ठ कार्यकारिणी पदाधिकारियो एवं समाज के सम्मानित लोगों की उपस्थिति में कार्यक्रम संपन्न हुआ। समिति के संयोजक प्रोफेसर डॉ. आजेन्द्र प्रताप सिंह, सचिव धीरज सिंह, पूर्व डिप्टी एसपी एवं समिति उपाध्यक्ष आशापाल सिंह, पूर्व शिक्षक लाल बहादुर सिंह समिति के उपाध्यक्ष एवं एलसी प्रतिनिधि पत्रकार सुनील सिंह , अनुज प्रताप सिंह , धीरज सिंह, बीपी सिंह, शंकरपुर कालेज के प्रधानाचार्य लेफ्टिनेंट सत्येंद्र कुमार , अर्जुन सिंह, बद्री विशाल द्विवेदी, पूर्णेन्द्र सिंह राजू चौहान , समिति के कोषाध्यक्ष समर बहादुर सिंह,शारदा बक्श सिंह, वरिष्ठ पत्रकार नागेश्वर द्विवेदी, एडवोकेट मनीष श्रीवास्तव पत्रकार, सत्येंद्र कुमार, अंबिका चौधरी, समिति के वरिष्ठ राजकुमार सिंह,  रावेंद्र प्रताप सिंह, शिव कमल सिंह चौहान, बसंतपुर से विनोद सिंह, पंकज सिंह, व त्रिलोकी सिंह , विश्वनाथ त्रिवेदी , महेश प्रताप सिंह, रमेश मिश्र , राकेश कुमार ,अतेंद्र , विपिन , करणी सेना युवा जिला अध्यक्ष योगेश सिंह पिंकू, शिवमंगल सिंह, विनोद, कमल सिंह,  योगेंद्र सिंह , शिवेंद्र, शिक्षक नेता वरिष्ठ भाजपा पदाधिकारी दिलीप द्विवेदी, शिक्षक नेता एवं वरिष्ठ संगठन शिक्षक प्रकोष्ठ अरुण कुमार त्रिपाठी , धीरज ,अनुज प्रताप, संजीव, अनिल, अंकित ,योगेंद्र, विनय ,दुर्गेश ,अंकित,  रवि शंकर आदि मौजूद रहे।

रिपोर्ट – मनीष श्रीवास्तव

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