आसान नहीं होगा भाजपा के लिए जीत को दोहराना
राकेश कुमार अग्रवाल
चार राज्यों व एक केन्द्र शासित प्रदेश मे विधानसभा चुनावों के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है . पश्चिमी बंगाल में हाईवोल्टेज चुनाव होने जा रहा है तो दूसरी ओर पूर्वोत्तर के राज्य असम में भी बडा दिलचस्प और कांटे का मुकाबला होने जा रहा है . भाजपा के समक्ष जहां लगातार दूसरी बार जीत हासिल करने का दबाव है वहीं कांग्रेस महागठबंधन के साथ फिर से सत्ता की राह तक रही है .
पूर्वोत्तर के सबसे बडे साढे तीन करोड की आबादी वाले राज्य असम में भी चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है . 27 मार्च से 6 अप्रैल के बीच तीन चरणों में होने वाले चुनावों के लिए चुनावी समीकरणों को साधने के लिए राजनीतिक दल गठबंधनों को अंतिम रूप देने में लगे हैं . मुस्लिम मतों के रुझान पर भी तय करेगा कि चुनावों का ऊंट किस करवट बैठने जा रहा है .
आजादी के बाद से 1952 से ही असम में कांग्रेस की हुकूमत रही है . असम में पहली बार 1978 मेंं गैर कांग्रेसी जनता पार्टी की सरकार बनी थी . 1985 व 1996 में असम गण परिषद ने कांग्रेस को हटाकर सत्ता पर कब्जा जमाया था . 2016 में असम में पहली बार दक्षिणपंथी सरकार सत्ता में आई थी जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने जीत हासिल की थी . बराक घाटी , ब्रह्मपुत्र घाटी , ऊपरी असम और निचले असम में बंटे राज्य में 4 व 11 अप्रैल 2016 को हुए चुनाव में भाजपा , असम गण परिषद व बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने गठबंधन बनाकर राज्य की 126 में से 86 सीटें जीतकर कांग्रेस को जीत का चौका मारने देने के बजाए राजग गठबंधन सरकार और सत्ता का मार्ग प्रशस्त किया था . इन चुनावों में कांग्रेस महज 25 सीटों पर सिमट कर रह गई थी .
16 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई का गत 23 नवम्बर 2020 को निधन हो गया . तरुण गोगोई के जाने से असम की राजनीति विशेषकर कांग्रेस में एक शून्य पैदा हुआ है . कांग्रेस ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया है . प्रियंका गांधी , राहुल गांधी भी राज्य में कांग्रेस की वापसी के लिए जी जान लगाने में जुटे हैं . प्रियंका गांधी इमोशनल अटैचमेंट की कोशिश में लगी हैं . कांग्रेस ने सत्ता में वापसी के लिए 6 दलों के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया है . एआईयूडीएफ , सीपीआई , सीपीआई ( एम ) , सीपीआई ( एमएल ) , एजीएम , बीपीएफ , राजद ने मिलकर बिहार की तर्ज पर भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए एकजुट हो गए हैं . बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के अध्यक्ष हग्रमा मोहिलिरे ने भाजपा से नाता तो़डकर कांग्रेस का दामन थाम लिया है . 2016 के चुनावों में बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने 12 सीटें जीती थीं . इस बार बीपीएफ कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा बनने जा रही है . एक तरह से असम में भाजपा की घेराबंदी की कोशिश की जा रही है . लेकिन भाजपा भी पूरी रौ में है एवं लगातार दूसरी जीत की कोशिश में है . गोलाघाट से विधायर व पूर्व पीडब्ल्यू डी मंत्री रहे अजंता नियोग , बराक घाटी से विधायक रहे राजदीप गोआला भाजपा में शामिल हो चुके हैं . बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के कद्दावर नेता बनेंद्र मुशहरी भी भाजपा ज्वाइन कर चुके हैं . राज्य में लगभग 62 फीसदी आबादी हिंदू है जबकि 34 फीसदी आबादी मुस्लिम है , चार फीसदी से थोडा कम आबादी ईसाईयों की है . मुस्लिम मतदाता राज्य की 33 सीटों पर निर्णायक की भूमिका में हैं . राज्य के ज्यादातर मुस्लिम बांग्लाभाषी हैं . एवं राज्य के 9 जिलों की 39 विधानसभा सीटों पर इनका प्रभाव है . भाजपा ने सत्ता में पुनर्वापसी के लिए ऐडी चोटी का जोर लगा रखा है . स्वयं प्रधानमंत्री मोदी व गृह मंत्री अमित शाह असम पर फोकस किए हुए हैं . अमित शाह जनसभाओं में असम को हिंसा मुक्त और बाढ मुक्त बनाने के साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों को देश की जीडीपी में सर्वाधिक योगदान देने वाला राज्य बनाने का वादा किया है . अमित शाह की मानें तो असम की पांच साल पहले से जारी विकास यात्रा जारी रहेगी . राज्यपाल जगदीश मुखी ने 27 फरवरी को पूरे प्रदेश को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया है . राज्य में 6 माह के लिए आर्म्ड फोर्सेज एक्ट 1958 की धारा 3 ए के तहत अफस्पा लागू कर दिया है .
चुनाव मुकाबला इस बार एकतरफा नहीं बल्कि कांटे का होने जा रहा है . ओपीनियन पोल भले कुछ भी कहें लेकिन चुनाव परिणामों की इस बार सटीक भविष्यवाणी करना आसान न होगा .