तय सीमा खत्म होने के बाद भी सड़कों पर दौड़ रही हैं रोडवेज बसें

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बसो में हॉर्न छोड़ सब कुछ बजता और ब्रेक छोड़ सबकुछ लगता

रायबरेली– कागजो की मानें तो रोडवेज डिपो की सभी बसें दुरुस्त हैं। न तो किसी का शीशा टूटा और न ही किसी का हॉर्न खराब हैं। जबकि असलियत ये है कि इनके ब्रेक छोड़ सबकुछ लगते हैं और हॉर्न छोड़ सबकुछ बजता है। कई बसें तो ऐसी हैं जो गंतव्य तक यात्री खुद धक्का मारकर पहुंचाते हैं। यात्रियों के अनुसार बसें बिना फिटनेस के दौड़ लगा रही हैं।
रोडवेज के बेड़े में 100 से ज्यादा बसें हैं। इसमें सरकारी और अनुबंधित बसे हैं। सूत्र बताते हैं कि इनमें से तमाम बसों की हालत खराब है। कब, कहां धोखा दें जाएं पता ही नहीं। कुछ बसें तो स्टार्ट ही धक्के से होती हैं। बताते हैं कि वह बसें मानक से अधिक दूरी तय कर चुकी हैं, लेकिन निगम के कागजों में अभी चल रही हैं। हालांकि ऐसी बसों को लॉंग रुट पर नहीं भेजा जाता।

कागजो कि माने सभी बसें फिट हैं। यदि किसी बस में कोई कमी आती है तो उसे चालक की शिकायत पर सही करा दिया जाता है।
यात्री आशोक का कहना है कि शनिवार को वह लखनऊ किसी काम से गए थे। बस की खिड़की जाम थी। तमाम प्रयास के बावजूद नहीं खुली। बैठने को सीटें भी ठीक नहीं हैं। यात्री सुमित का कहना है कि ग्रामीणों क्षेत्र पर चलने वाली अधिकांश बसें धक्का स्टार्ट हैं। बीते दिन एक बस के बंद होने के बाद मुझे भी धक्का लगाना पड़ा था। तो वही बस की खिड़कियां बिना म्यूजिक की लगातार बजती हैं।सवाल ये भी उठता हैं कि आखिर बिना फिटनेस के कैसे सड़क पर दौड़ रही हैं ये बसे ।

आरटीओ भी कतराते है बसो की चेकिंग करने से

सड़को पर चेकिंग की बात करी जाए तो केवल प्राइवेट वाहनों पर पर आरटीओ हों पुलिस विभाग चेकिंग करती हैं है लेकिन बात करी जाए तो रोडवेज बसों पर किसी भी अधिकारी का ध्यान नही जाता हैं बिना मानक के सवारिया बैठाई जाती हैं न तो बस चालक के पास बस को कागज़ होता हैं न फिटनेस न लाइसेंस जबकि नियम सबके लिए बराबर हैं उसके बाद भी ये बसे बिना किसी रोक टोक के सड़को में फर्राटा भर रही हैं रोडवेज के अधिकारियों को सवारियो की सुरक्षा से कोई मतलब नही है अब देखना ये होगा कि इन बसों को तय सीमा से अधिक चलने से रोका जाता भी हैं या इसी तरह ये बसे सड़को पर चलती रहेगी ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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