राकेश कुमार अग्रवाल
भारतीय राज्यों के गठन एवं पुनर्गठन का एक लंबी कहानी है . 18वीं एवं 19 वीं शताब्दी में अंग्रेजी शासन के अंतर्गत भारतीय प्रांतों का गठन प्रशासनिक , आर्थिक तथा सामरिक सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुआ किया गया था . 19वीं शताब्दी के अंत में भारत में राष्ट्रवाद के उदय के साथ भारतीय प्रांतों के गठन में प्रशासनिक सुविधा की नीति का स्थान संचालन एवं प्रतिकार की नीति ने ले लिया
ब्रिटिशर्स ने अपने हितों की रक्षा हेतु राज्यों के पुनर्गठन के लिए 20 वीं सदी की शुरुआत में दिलचस्पी लेना शुरू किया . नस्ल, भाषा , जनसंख्या तो कभी भौगोलिक परिस्थितियों व प्रशासनिक सुविधा को आधार बनाया गया .
राज्यों के पुनर्गठन को भाषाई आधार पर 3 दिसंबर 1930 को तत्कालीन गृह सचिव सर हर्बर्ट रिसले द्वारा बंगाल सरकार को लिखे पत्र से मिलती है जिसमें बंगाल को भाषाई आधार पर विभाजित करने की बात कही गई थी . लेकिन 1905 में बंगाल का विभाजन भाषा के आधार पर न होकर सांप्रदायिक आधार पर किया गया . 1918 में मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड रिपोर्ट ने भाषा एवं नस्ल के आधार पर राज्य के पुनर्गठन को अस्वीकृत कर दिया . हालांकि इस रिपोर्ट में छोटी प्रशासनिक इकाइयों का समर्थन किया गया था .
1930 में इंडियन स्टेच्यूटरी कमीशन ने भाषा , धर्म , आर्थिक व भौगोलिक आधार पर पुनर्गठन की वकालत की थी . जिसका समर्थन 1931 में बने ओडोनील आयोग ने भी किया था . इसके बावजूद 1936 में सिंध प्रांत का गठन साम्प्रदायिक आधार पर किया गया .
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रांतों के पुनर्गठन में भाषा के आधार का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन किया था . 1908 में बिहार प्रांत के गठन को इसी आधार पर कांग्रेस ने समर्थन दिया था . लेकिन 1916 के कांग्रेस अधिवेशन में एनी बेसेंट ने भाषा के आधार पर राज्यों के गठन का विरोध किया था . हालांकि 1920 के नागपुर अधिवेशन में प्रांतों के गठन में भाषाई आधार को स्वीकार कर लिया गया था . 1928 में नेहरू समिति ने भाषाई आधार के साथ-साथ जनेच्छा , जनसंख्या भौगोलिक परिस्थिति , आर्थिक एवं वित्तीय व्यवस्था को भी ध्यान में रख कर राज्यों के पुनर्गठन की सिफारिश की थी .
ब्रिटिशर्स ने जिन राज्यों का गठन किया था उन राज्यों में विषमतायें बढीं . इन्हीं असमनाताओं के कारण भारतीय संघ के राज्यों का वर्गीकरण किया गया।
1- भाग ए – राज्य के अंतर्गत 216 रजवाड़ों को जिनकी जनसंख्या 190 लाख से ज्यादा थी . ब्रिटिश भारत के राज्यों के साथ मिला दिया गया इस भाग से कुल 10 राज्य बने ।
2 – भाग बी – राज्यों के अंतर्गत 275 रजवाड़ों को जिनकी जनसंख्या 350 लाख थी . जिससे हैदराबाद मैसूर और जम्मू-कश्मीर जैसे 8 राज्य बने।
3- भाग सी – राज्यों के अंतर्गत 61 रजवाड़ों को जिनकी जनसंख्या करीब 60 लाख थी . केंद्रशासित राज्य घोषित किया गया इस भाग में कुल 10 राज्य बने।
4- भाग डी – के अंतर्गत अंडमान एवं निकोबार द्वीपों को रखा गया।
इस पुनर्गठन के दो मुख्य उद्देश्य थे पहला आर्थिक एवं सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र में ब्रिटिशर्स के सत्तास्वरूप को बनाए रखना तथा दूसरा रजवाड़ों की समाप्ति के बाद उत्पन्न राजनीतिक रिक्तता को भरना . लेकिन इस सबके बावजूद भारतीय संघ का कोई भी राज्य संप्रभु इकाई नहीं था .
रजवाड़ों का भारतीय संघ में एकीकरण तात्कालिक एवं तदर्थ व्यवस्था थी . अतः पुनर्गठन पर विचार करने के लिए दर आयोग का गठन किया गया उसने अपनी रिपोर्ट 10 दिसंबर 1948 को सौंपी थी . इस आयोग ने भारतीय संघ के अंतर्गत राज्यों के पुनर्गठन के लिए भाषा के बजाए प्रशासनिक दृष्टि से पुनर्गठन की सिफारिश की थी . दर आयोग की सिफारिशों का व्यापक विरोध शुरु हो गया . जिस कारण कांग्रेस ने दिसंबर 1948 में आयोजित जयपुर अधिवेशन में राज्यों के पुनर्गठन पर विचार करने के लिए पुनः जे वी पी आयोग ( जवाहरलाल नेहरू , सरदार वल्लभभाई पटेल , पट्टामि सीतारमैया ) बनाया . इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट में भाषाई आधार को हालांकि अस्वीकृत किया लेकिन साथ में यह भी कहा कि अगर भाषाई आधार पर लोगों की भावना एवं बहुमत का समर्थन प्राप्त है तो हमें उनकी भावना एवं बहुमत का आदर करना चाहिए . इस रिपोर्ट ने यह भी कहा कि पुनर्गठन के लिए यह उपयुक्त समय नहीं है क्योंकि इससे हमारी विकास प्रक्रिया का प्रशासनिक एवं वित्तीय व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा इस सबके बावजूद दबे स्वरों में तेलुगुभाषी लोगों के लिए एक अलग आँध्रप्रदेश राज्य बनाने की सिफारिश की गई . इस अनुशंसा ने मद्रास में रह रहे तेलुगु भाषी लोगों को भाषा के आधार पर अलग बनाने के लिए आंदोलन शुरू करने का एक आधार प्रदान कर दिया . म इसके फलस्वरूप न केवल 56 दिनों की भूख हड़ताल के बाद पोट्टि श्रीरामुलु की मृत्यु हो गई . रामुलु की मौत से आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया . आखिरकार 1953 में भाषा के आधार पर सरकार को आंध्र प्रदेश के रूप में एक अलग राज्य बनाने की घोषणा करनी पड़ी .