करोड़ों की लागत से निर्मित हुई रेलवे कॉलोनी की अभी अलॉटमेंट प्रक्रिया शुरू नहीं

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8 महीने पहले जर्जर कॉलोनी में करंट की चपेट में रेलवे कर्मचारी व उसकी पत्नी की हुई थी दुखद मौत

रिपोर्ट – दुर्गेश सिंह चौहान

रायबरेली -रेलवे स्टेशन के समीप बसी रेलवे माल गोदाम कॉलोनी की हालत दयनीय है जर्जर कालोनियों में रेलवे कर्मचारी रह रहे हैं जिसमें ना सीवर लाइन की व्यवस्था है और ना ही शुद्ध पेयजल की कॉलोनी खंडहर में तब्दील होती जा रही हैं। बरसात में पानी घर में भर जाता है, करंट उतरने के खतरे भी होते हैं उसके साथ-साथ छत से भी पानी टपकता रहता है। आपको यह भी जानना चाहिए लगभग 8 महीने पहले इसी रेलवे कॉलोनी में करंट उतरने से रेलवे कर्मचारी और उसकी पत्नी की दुखद मौत हो गई थी जिसके बाद रेलवे कर्मचारियों ने ट्रेन रोककर प्रदर्शन किया था और रोष जताया था कि उन्हें कम से कम बुनियादी सुविधाएं तो दी जाए नहीं तो जान का खतरा इसी तरह बना रहेगा। जिसके बाद रेलवे के खेल मैदान के पास करोड़ों की लागत से कलोनी बन गई हैं और वह अलर्टमेंट प्रक्रिया के लिए तैयार हैं। लेकिन विभागीय शिथिलता की वजह से अभी तक कॉलोनियों का अलॉटमेंट नहीं किया गया है। जिस वजह से कर्मचारी बेहद ही खतरे में जीवन यापन कर रहे हैं। रेलवे कॉलोनी की फोटो इस बात की तस्दीक करती हैं कि हालात कितने बत्तर है।

करोड़ों की लागत से बनी कॉलोनी की जांच के लिए लखनऊ से नहीं पहुंचे अफसर

ठेकेदारी के अंतर्गत रेलवे स्टेशन के समीप जिन कालोनियों का निर्माण करोड़ों रुपए खर्चा करके कराया गया है उसकी गुणवत्ता जांच के लिए अभी तक जिम्मेदार अधिकारी लखनऊ से नहीं पहुंचे हैं। अगर उनका दौरा भी होता है तो वह रेलवे स्टेशन से ही विदा हो जाते हैं। ऐसे में किस तरीके से निर्माण कार्य किया गया है गुणवत्ता कैसी है यह सब भगवान भरोसे है? लेकिन देखना अब अहम होगा कब तक रेलवे कर्मचारियों को आवास आवंटित किए जाते हैं उसके साथ बने नए आवासों की जांच होती है!

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