कोचिंग या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए बच्चों को बाहर भेजना हुआ दुश्वार
राकेश कुमार अग्रवाल की विशेष रिपोर्ट
कुलपहाड (महोबा)। उच्च शिक्षा व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए बडे शहरों की ओर जाने वाले छात्रों पर कोरोना कहर बनकर टूटा है। ज्यादातर अभिभावक कोरोना संक्रमण के चलते अब इस वर्ष बच्चों को बाहर न भेजने मन बना चुके हैं। इस कारण कोचिंग इंडस्ट्री को कोरोना के चलते इस बार बडा झटका लगने जा रहा है।
गौरतलब है कि अकेले कुलपहाड नगर में पांच इंटर कालेज हैं। इन पांचों इंटर कालेजों में इंटर में लगभग १००० छात्र – छात्राओं ने इस वर्ष इंटर की परीक्षा दी है। कुलपहाड के अलावा तहसील के बेलाताल, पनवाडी, अजनर , मसूदपुरा के इंटर कालेजों में भी लगभग इतने ही छात्रों ने बोर्ड परीक्षा दी है. इन दो हजार छात्र – छात्राओं में कम से कम २० प्रतिशत छात्र- छात्रायें कोचिंग के लिए कोटा, इंदौर , इलाहाबाद, आगरा, कानपुर, लखनऊ, ग्वालियर व दिल्ली जैसे शहरों में चले जाते हैं। लगभग २० फीसदी छात्र ग्रेजुएशन करने के लिए छतरपुर, नौगांव, झांसी, बांदा, राठ चले जाते हैं। जबकि ५० फीसदी छात्र – छात्रायें स्थानीय महोबा। चरखारी, कुलपहाड, बेलाताल के डिग्री कालेजों में एडमीशन ले लेते हैं।
मेडीकल, इंजीनियरिंग, सिविल सर्विस व एसएससी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए क्षेत्र के ज्यादातर अभिभावकों की पहली पसंद कोटा, इलाहाबाद, इंदौर व दिल्ली है। इंटर करने के बाद पेरेन्टस ऐसे बच्चों का दाखिला भी वहीं करा देते हैं। साथ में बच्चे वहीं रहकर कोचिंग कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं।
ज्यादातर अभिभावकों ने बच्चों की रुचि उनके भविष्य व कैरियर के मद्देनजर विषय एवं शहर को चुनकर बच्चों को बाहर भेजने की तैयारियों व बजट को भी अंतिम रूप दे दिया था। लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते पैदा हुई परिस्थितियों के बाद अपने बेटे बेटियों को अकेले बाहर भेजने के फैसले को लगभग विराम दे दिया है। ब्रह्मानंद महविद्यालय राठ के पूर्व प्राचार्य डा. लक्ष्मीनारायन अग्रवाल के अनुसार कैरियर महत्वपूर्ण है लेकिन बच्चे के स्वास्थ्य और जीवन को दांव पर लगाकर कोई अभिभावक अपने बच्चे को इस दौर में बाहर भेजना न चाहेगा।
कोरोना के कारण मेडीकल, इंजीनियरिंग और अन्य प्रोफेशनल कोर्स के लिए बाहर जाने वाले स्टूडेंटस के समक्ष संकट खडा हो गया है वहीं दूसरी ओर भारी भरकम कोचिंग उद्योग व उससे जुडे अन्य कारोबारों को भी इस साल तगडा झटका लगना निश्चित है।
कोटा भेजना था बेटे को लेकिन अब नहीं भेजेंगे – आलोक अग्रवाल
गैस एजेंसी संचालक आलोक अग्रवाल अपने बडे बेटे आकर्षित को इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए कोटा भेजने का फैसला ले चुके थे। लेकिन कोरोना इफेक्ट के कारण आलोक ने बेटे को कोटा भेजने का फैसला बदल दिया है। आलोक के अनुसार इस माहौल में मैं अपने बेटे को कोटा भेजने का रिस्क नहीं ले सकता।
बेटे को कोचिंग के लिए भेजने का फैसला कम से कम एक साल टाल दिया – शब्बीर मंसूरी
शब्बीर मंसूरी पेशे से शिक्षक हैं , उनका बेटा हाईस्कूल की परीक्षा दे चुका है। शब्बीर अपने बेटे को मेडीकल की तैयारी के लिए कोचिंग दिलाने के लिए कोटा भेजने का फैसला ले चुके थे। शब्बीर मंसूरी के अनुसार ऐसे हालातों में बेटे को कोटा भेजने की सोच भी नहीं सकते। मैंने यह फैसला एक साल के लिए टाल दिया है।