चित्रकूट परिक्षेत्र की वृहत्तर परिक्रमा का हुआ प्रारंभ, विदेशी संतों के आने का क्रम जारी

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  • सदियों से चित्रकूट के संत फाल्गुन अमावस्या से लगाते हैं चित्रकूट धाम के 84 कोस की परिक्रमा

  • श्री भगवत आराधना आश्रम से शुरू हुई एक महीने की यात्रा

  • पहले पड़ाव श्रीभागवत पीठ पर भागवतभूषण आचार्य नवलेश दीक्षित जी महराज किया वैदिक रीति से पुष्पवर्षा कर स्वागत, चंदन, वंदन कर स्वल्पाहार कराया

  • देर शाम यात्रा अपने पहले रात्रि पड़ाव स्थल भरतकूप पहुंची

संदीप रिछारिया

चित्रकूट । सृष्टि के आरंभ से देवों, नाग, किन्नर और मानव के लिए अबूझ पहेली रहे चित्रकूट में प्रकृति प्रदत्त चित्रों के दर्शनों का स्वरूप इतना व्यापक है कि एक बार दर्शन करने के बाद भी जी नही भरता। सदियों से संत समाज निभाई जा रही चित्रकूट के वृहत्तर 84 कोसीय परिक्रमा का क्रम फाल्गुन अमावस्या से जारी हो गया। जानकीकुंड स्थित श्री भगवत आराधना आश्रम के महंत गोविंददास जी महराज के संचालन में देश विदेश से आए सैकड़ों संतों ने चित्रकूट परिक्षेत्र के 84 कोस में स्थित सैकड़ों संतों के आश्रम व मंदिरों के साथ झरनों, प्रपातों, पर्वतों व नदियों के साथ सुरम्य स्थानों की परिक्रमा करने निकल गए।

यात्रा का प्रारंभ पिछले वर्षों की भांति रूद्राभिषेक से किया गया। यहां पर लगभग 108 लोगों ने जोड़ां के साथ रूद्राभिषेक किया। इसके बाद रामधुन करते हुए यह अत्यंत पुनीत यात्रा निकली। जो मैथली गली होते हुए श्री कामदगिरि प्रमुख द्वार के बाद महलों वाले मंदिर होते हुए भरत मिलाप पहुंची। यहां पर महंत रामनिहोरे दास ने उनका स्वागत किया। श्री भागवत पीठ पर यात्रा का स्वागत भागवतभूषण भागवत प्रवक्ता नवलेश दीक्षित जी महराज ने पुष्पवर्षा के साथ किया। इस दौरान उन्होंने महंत गोविंद दास जी का तिलक, चंदन व पूजन सपत्नीक किया। इसके बाद यात्रा में आए सैकड़ों संतों व गृहस्थों को प्रसाद ग्रहण कराया गया। यात्रा के व्यवस्थापक सुदर्शन दास जी महराज ने बताया कि एक महीने की इस यात्रा में लगभग 30 पडाव हैं। हर पडाव पर सुबह रूद्र्राभिषेक के बाद यात्रा का प्रारंभ होता है। पूरी यात्रा में लगभग 120 स्थानों पर स्वागत किया जाता है। इस यात्रा में अपने देश के सभी प्रांतों के साथ ही नेपाल व बांग्लादेश, भूटान आदि से संत आकर भाग लेते हैं।

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