देश के लिए कोरोना से निपटना इस समय की सबसे बड़ी समस्या है। सरकार के साथ आम जनमानस का भी कर्तव्य है कि वो छोटे छोटे तरीको से ख़ुद को और समाज को बचा सकते हैं। कोरोना आपदा काल में किन सावधानियों से हम खुद को बचा सकते हैं इस पर रिपोर्टस टुडे के साथ विस्तार से बात की केजीएमयू के वरिष्ठ प्रोफेसर और मेरठ कालेज के ओएसडी डॉ वेदप्रकाश ने।
सवाल : मेरठ के हालात तो बहुत खराब थे आप कैसे निपटेंगे इन चुनौतियों से ?
डॉ वेदप्रकाश : अब चुनौतियां नही बची हैं। सब सामान्य होने की तरफ है। जब मुझे मेरठ भेजा गया तो यहां हालात बेहद खराब थे। लोगो में कोरोना को लेकर डर था। लोग अपनी छोटी छोटी समस्याओं को लेकर अस्पताल नही जाना चाहते थे। हालात इसकी वजह से बिगड़ रहे थे। हमने लोगो को समझाया। उन्हें बेहतर और अच्छे इलाज का भरोसा दिलाया। लोगो मे विश्वास जगाया की डर से नही दवा से ही हम जीत सकते हैं। आज मेरठ के रिकवरी रेट और जनपदों से बेहतर हैं।
सवाल : इस मुहिम में स्थानीय स्वास्थ्य विभाग का सहयोग कैसा रहा ?
डॉ वेद प्रकाश : कोरोना से लड़ाई में हमारी मेडिकल टीम ने एक योद्धा की तरह काम किया। हमने उन्हें समझाया कि लोगो मे और ख़ुद में विश्वास बनाओ अगर चपेट में आ भी गए तो बेहतर इलाज होगा। और आज आप देखिए रिजल्ट सामने है।
सवाल : डर के इस माहौल में इतनी बड़ी टीम का मैनेजमेंट आपने कैसे किया ?
डॉ वेदप्रकाश : जब मैं यहां आया तो कोरोना में मेडिकल का कुछ लिमिटेड स्टाफ ही लगा था बाकी लोग रोजमर्रा के सरकारी कामो में व्यस्त थे। महामारी की भयानक स्थिति का अंदाजा किसी को नही था। जिसके बाद मैंने सब डॉक्टरों को इसमे जोड़ा या यूं कहें कि पूरे स्टाफ को हमने जोड़ा और उनकी जिम्मेदारी तय करते हुए जवाबदेही भी तय की। मॉनिटरिंग सिस्टम से ही सुधार सम्भव था। धीरे धीरे बेहतर रिजल्ट आने लगे।
सवाल : डॉक्टरों और मरीजो के खाने रहने और साफ सफाई की शिकायत भी पूरे प्रदेश में सामने आई।
डॉ वेदप्रकाश : ऐसा नही है चूंकि जिम्मेदारी का बोझ था तो हो सकता है कहीं सेवा के चक्कर में कुछ असावधानी हुई हो लेकिन मेरठ में कोई शिकायत नही मिली। बल्कि हमने हर मरीज को गोद लिया और एक बच्चे की तरह केयर किया। और उन्हें स्वस्थ कर उनके परिजनों के पास भेज दिया। आज दिन भर धन्यवाद के लिए फोन आते हैं। एक डॉ के जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है किसी मरीज को स्वस्थ कर पाना। ईश्वर ने हमे एक बड़ी जिम्मेदारी दी है जिसको हमारी टीम पूरा करने में जी जान से जुटी है।
सवाल : कोरोना को सोशल डिस्टेंस से कितना कंट्रोल किया जा सकता है ?
डॉ वेदप्रकाश : दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी स्लोगन आज हर जुबान पर है। सनातन धर्म की हाथ जोड़ कर नमस्ते करने की परंपरा आज पूरा विश्व अपना रहा है। दूर रहकर अपनी और अपने लोगो की हम रक्षा कर सकते हैं। मेरे आपके माध्यम से आम जनमानस से आग्रह है कि लोग सोशल डिस्टेंस का ख्याल रखे और बेवजह सड़को पर न घूमे हम जल्द ही ये जंग जीत कर मिसाल बनेंगे।