जिनसे आबाद हुए, उन्हीं की मुर्दाबाद कर रहे सियासी गिरगिट : कमल सिंह चौहान

दिल्ली में हुए दंगे सरकार पर कलंक, गृहमंत्री को नैतिकता के आधार पर देना चाहिए इस्तीफ़ा : कमल सिंह चौहान

रायबरेली – कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल सिंह चौहान ने रायबरेली में एक दलबदलू नेता द्वारा सोनिया गांधी व प्रियंका गांधी के खिलाफ प्रदर्शन किए जाने को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहाकि पूरा रायबरेली जानता है कि इन दलबदलू, सियासी गिरगिटों की हैसियत एक दशक पहले क्या थी।ये और इनका परिवार पंचायत चुनाव से लेकर विधायकी तक का चुनाव लड़ते रहे, हारते रहे। इनकी हैसियत वार्ड मेम्बर बनने तक कि नहीं थी।अस्तित्व रक्षा व जीवन बचाने को संघर्ष कर रहे इन दीमकों पर आदरणीया सोनिया जी ने दया दिखाते हुए इन्हें राजनैतिक कवच प्रदान किया।इनके जीवन की रक्षा की।

इनको और इनके परिवार को टिकट देकर सदन में भेजा।

मगर जिसने इनकी रक्षा पागल अराजक तत्वों के झुण्ड से करके इनको रोटी दी। सत्ता के लालच में अति महत्वाकांक्षा में यह उन्हीं के घर में उन्हीं पर भौंकने लगे।

इनकी बेशर्मी, दोगलापन, और विश्वासघात रायबरेली की पूरी जनता देख रही है और आगे जवाब देने का मन भी बना चुकी है।

रायबरेली की जनता पिछले छह सालों में समझ चुकी है कि उसकी भलाई व विकास किसके साथ है।

रायबरेली में अगर विकास की एक ईंट भी रखी गयी है तो वह गाँधी परिवार और कांग्रेस ने रखी है।

सियासी नक्काल चाहे जितना ड्रामा और नौटंकी कर लें इस तथ्य को झुठला नहीं सकते।दाल-बदलने के बाद इनकी हालत बंधुआ मजदूर जैसी हो गयी है, इनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है, इसलिए यह चर्चा में बने रहने के लिए गांधी परिवार के ख़िलाफ़ बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।

श्री चौहान ने कहाकि देश ने आज तक के इतिहास में इतना कायर पीएम व गृहमंत्री नहीं देखा।दिल्ली दंगों की आग में जल रही थी और यह अपने घरों से निकलने का साहस नहीं दिख पाए उल्टे इनके नेताओं ने भड़काऊ भाषणों से दिल्ली को दहलाने का काम किया। यही गृहमंत्री अभी चुनावों में दिल्ली की गलियों में पर्चे बांटकर वोटों की भीख माँग रहे थे।पर अमन चैन के लिए दिल्ली की जनता के बीच मे जाने से ये डर गए।यह इनकी बड़ी असफलता है।इनको तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

श्री चौहान ने कहाकि वह महात्मा गांधी थे, जब नोआखाली में दंगे भड़के थे तब वह अकेले नंगे पाँव दंगाग्रस्त इलाके में गए और जहाँ-जहाँ गांधी गए लोगों ने हथियार फेंककर शांति अपना ली।

वह जवाहर लाल नेहरू थे जो दिल्ली के चांदनी चौक में भड़के दांगोंकी सूचना पाकर अकेले कर ड्राइव कर चांदनी चौक पहुंचे और दंगाइयों को ललकार कर कहा जिसको मारना है मुझे पहले मारे।उनको देखकर चांदनी चौक में सौहार्द कायम हुआ।

वह सरदार पटेल थे जो निजामुद्दीन में दंगाइयों के मन चैन बिगाड़ने की सूचना पर अकेले वहां पहुंचे थे और उनके पहुंचते ही अपने आप माहौल शांत हो गया।

नकली इतिहास बताने, ऐड़ीयां बढ़ाने से कद नहीं बढ़ता। कलेजा चाहिए इतिहास में नाम दर्ज कराने के लिए।

दिल्ली में हुए दंगे सरकार के ऊपर कलंक हैं, अगर जरा भी नैतिकता बाकी हो तो तत्काल इनकी जिम्मेदारी लेकर, अपनी असफलता स्वीकार करके, गृहमंत्री अमित शाह को इस्तीफा दे देना चाहिए।

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