रायबरेली-टुकड़ों में बटी कांग्रेस क्या खोई हुई कांग्रेस के वजूद को बचा पाएंगी। क्या कांग्रेस विधान सभा क्षेत्रों में कब्जा जमा पाएगी। हालांकि कांग्रेस के दो बागी विधायक चुनाव के पहले ही भाजपा की झोली में चले गए जिससे 6 विधानसभा क्षेत्रों में अब तक भाजपा ही है। चर्चा के मुताबिक ऐसी स्थिति में अब कांग्रेश अंदर खाने से भाजपा के संभावित प्रत्याशियों को लुभाने में जुट गई है चर्चा तो यहां तक है कि कांग्रेश आगामी विधानसभा चुनाव लड़ाई में दिलचस्पी कम ले रही बल्कि लोकसभा के बारे में सोच रही है। सूत्रों की माने तो वह भाजपा सहित अन्य दलों के प्रत्याशियों को वाक ओवर देने के मूड में है यहां तक कहा कि कांग्रेस मनचाहा डमी प्रत्याशी देने की जुगत में हैं कांग्रेस को सिर्फ वजूद बचाने के लिए लोकसभा की तैयारी पूरी करनी है। इससे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव में दिलचस्पी नहीं लेती है तो यही माना जाएगा कि रायबरेली में अपना वजूद बचाने के लिए विधानसभा चुनाव की बलि दे रही है।
आपको बताते चले उत्तर प्रदेश में पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी केवल पूर्वी यूपी के प्रभारी का जिम्मा संभाल रही थीं। चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस ने उनको पूरे यूपी का प्रभार पकड़ाया ताकि कांग्रेस की डूबती नैया को किनारा मिल सके। लेकिन प्रियंका की लाख कोशिशों के बावजूद संगठन में वह तेजी नहीं आ पा रही है जो चुनाव से पहले दिखनी चाहिए। पार्टी के नेताओं का कहना है कि पार्टी को असंतुष्ट नेताओं को भी मनाने के साथ ही यूपी में गठबंधन को लेकर स्थिति साफ करनी चाहिए ताकि पार्टी का कार्यकर्ता किसी तरह के भ्रम में न रहे। चुनाव से ठीक पहले गठबंधन करना पार्टी के लिए हमेशा नुकसानदायक साबित हुआ है।
हालांकि लगातार झटके पर झटका खा रहीं प्रियंका अब युवा जोश के साथ ही अनुभवी लोगों को भी साथ लेकर चलने का प्रयास कर रहीं है लेकिन यूपी में कांग्रेस की लड़खड़ाती चाल को दुरुस्त करने के लिए प्रियंका को अभी चुनाव से पहले बहुत कुछ करने की जरुरत है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो अगले विधानसभा चुनाव में प्रियंका के संगठनात्मक कौशल की परीक्षा होनी है और यह चुनाव की प्रियंका के आगे की राह भी तय करेगा
अनुज मौर्य रिपोर्ट