दीनदयाल शोध संस्थान ने ग्रामीण केंद्रों पर मनाया रानी दुर्गावती का 457वां बलिदान दिवस

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बुंदेलखंड और गोंडवाना अंचल ही नहीं पूरे देश की शान थी वीरांगना दुर्गावती

चित्रकूट – शोध संस्थान चित्रकूट के ग्रामीण केंद्रों में वीरांगना रानी दुर्गावती के 457वें बलिदान दिवस पर उनकी राष्ट्र भक्ति और उनके कृतित्व को पूरी श्रद्धा के साथ याद किया गया।

इस अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान के सचिव डॉ अशोक पांडे, समाजशिल्पी दंपत्ति प्रभारी हरिराम सोनी, श्रीमती सीमा पांडे ने ग्राम पनघटी पहुंचकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर बुधवार को चित्रकूट जनपद एवं मझगवां जनपद के कई गांवों में विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर ग्राम पनघटी, बैहार, महतैन, कैलाशपुर, शाहपुर, गुझवां, मैनहाई, साडा, भरगवां, बीरपुर, सोनवर्षा आदि गांवों में ग्राम वासियों ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करके वीरांगना को याद किया।

ग्राम पनघटी में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में वीरांगना दुर्गावती समिति के अध्यक्ष रामराज सिंह, चूड़ामणि सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तहसील सहकार्यवाह ज्ञान चंद विश्वकर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे तथा ग्राम पंचायत कैलाशपुर में श्रीमती मूलिया वर्मा सरपंच, समाज शिल्पी दंपत्ति वीरेंद्र चतुर्वेदी, छाया चतुर्वेदी एवं महतैन में छोटे लाल वर्मा, शाहपुर में अक्षय तिवारी, श्रीमती विजयलक्ष्मी तिवारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शिवप्यारी प्रमुख रूप से उपस्थित रहीं।

इस दौरान दीनदयाल शोध संस्थान के सचिव डॉ अशोक पांडे ने कहा कि रानी दुर्गावती बुंदेलखंड और गोंडवाना अंचल ही नहीं पूरे देश की शान थीं। उनका शौर्य आज भी अनुकरणीय और नारी शक्ति के गौरव व गरिमा का प्रतीक है। मुगल शासकों को अपने पराक्रम से पस्त करने वाले वीर योद्धाओं में रानी दुर्गावती का नाम भी शामिल है।

उन्होंने आखिरी दम तक मुगल सेना का सामना किया और उसकी हसरतों को कभी पूरा नहीं होने दिया। 24 जून, 1964 को यह युद्धभूमि में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गईं। रानी दुर्गावती का जन्म 1524 में हुआ था और वह कलिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं।

अपने उद्बोधन में रामराज सिंह ने कहा कि वीरांगना रानी महिलाओं को कमजोर समझने वालों के लिए एक उदहारण थीं, उन्होंने 16 वर्ष तक गोंडवाना साम्राज्य पर राज किया। मध्यप्रदेश का रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय उन्हीं के नाम पर है।

शानदार जल प्रबंधन

रानी दुर्गावती का जल प्रबंधन आज भी प्रासंगिक है, इतिहास इस बात का साक्षी है कि रानी दुर्गावती ने उस जमाने में नए छोटे से जबलपुर शहर में 52 तालाब और 84 तलैया की स्थापना कराई इनका खनन कराया। यह सभी ताल-तलैया बेहतर जल प्रबंधन की एक मिसाल थी। जिन की प्रासंगिकता आज भी बरकरार है। विदित हो कि मदन महल की पहाड़ी पर बने महाराज ताल का पानी देव ताल फिर वहां से सूपाताल, इमरती ताल आदि तक जाता था। नैसर्गिक संरचना के अनुरूप खंडित किए गए इन तालाबों में वर्ष भर लबालब पानी भरा रहता था, यह तालाब आज भी शहर के धरातल के पानी को रिचार्ज और मेंटेन किए हुए हैं।

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