पन्ना की कोख आज भी रत्नगर्भा है

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राकेश कुमार अग्रवाल
बुंदेलखंड के पन्ना की कोख आज भी रत्नगर्भा बनी हुई है . पन्ना की हीरा खदानों में काम करने वाले दो मजदूरों की जिंदगी भी अब हीरों की तरह चमकने वाली है . हाल ही में जरूआपुर और कृष्णा कल्याणपुर की खदानों से मजदूर दिलीप मिस्त्री को 7.44 कैरेट और लखन यादव को 14.98 कैरेट का हीरा मिला है . 7.44 कैरेट के हीरे का मूल्य 30 लाख रुपए है जबकि 14.98 कैरेट के हीरे की कीमत 60 लाख रुपए है .
हीरा 3000 वर्षों से भू – गर्भ में विद्यमान है . पांचों महाद्वीपों में कहीं कम कहीं ज्यादा पाया जाने वाला हीरा जब से रत्न के रूप में पहचाना गया तबसे इसको पाने की चाहत बढती गई . राजा महाराजा रहे हों या मुगल बादशाह या फिर अंग्रेज शासक सभी के लिए हीरा प्रतिष्ठा व ताकत का विषय बना रहा .
प्रकाशपुंज बिखेरने वाला , अँधेरे में जगमगाने वाला , सौंदर्य में चार चाँद लगाने वाला , मन को हर्षाने वाला हीरा की उपलब्धता कम होने के कारण यह मूल्यवान ही नहीं वेशकीमती भी है . यह कभी राजाओं के मुकुटों की शोभा बना तो कभी रानी की उंगलियों में अंगूंठी और गले के हार के रूप में दमक उनके रूप सौंदर्य में वृद्धि की . हीरा पाने की जद्दोजहद में राजा – महाराजाओं में युद्ध हुए . तस्करों के लिए हीरा उनको मालामाल करने का साधन रहा तो दो प्रेमियों और दाम्पत्य संबंधों में प्रेम प्यार को बढाने का प्रतीक . हिंदुस्तान और हीरे का संबंध सदियों पुराना है . आभूषण के रूप में पुराने जमाने में जो भी हीरे थे ज्यादातर भारत की खानों से निकाले गए थे. वर्तमान में देश में मध्यप्रदेश में पन्ना , आँध्रप्रदेश में कोल्लूर व गोलकुण्डा में हीरा खदानें हैं . दुनिया की 40 बडी हीरा खदानों से 90 फीसदी हीरों की आपूर्ति की जाती है. जब तक ब्राजील व दक्षिण अफ्रीका में हीरा खदानें नहीं खोज ली गई तब तक 3000 सालों से भारत पूरी दुनिया में हीरा आपूर्ति का सिरमौर रहा है .
सबसे पहले 77 ए डी में रोमन लेखक प्लाइनी ने दुनिया में पाए जाने वाले वेशकीमती पत्थरों व धातुओं का जिक्र किया था . इसमें उन्होंने भारत में पाए जाने वाले हीरा व अन्य रत्नों का हवाला दिया था .
ग्रीक एस्ट्रोनाॅमर टोलमी ने तो भारत में हीरे की नदी की बात कही थी . 17 वीं शताब्दी में फ्रांस के रत्नों के व्यापारी टैवर्नियर ने अपनी भारत यात्रा का वर्णन करते हुए हीरे की खदानों , हीरा उत्खनन व कामगारों के बारे में विस्तार से लिखा था .
हीरे को फ्रेंच व जर्मन दोनों भाषाओं में डायमण्ड कहते हैं . जबकि ग्रीक भाषा में इसे अडामास कहा जाता है . हीरा भू गर्भ में दबा एक खनिज है . यह कार्बन का एक रूप है जो बेहद सख्त होता है . खनन के दौरान जब यह जमीन से निकलता है तब यह लम्बे मुलायम पत्थर जैसा होता है . जो प्रथमदृष्टया इतना वेशकीमती नजर नहीं आता है लेकिन कारीगर के पास पहुंचने पर यही सख्त – मुलायम पत्थर तराशने के बाद सभी कद्रदानों की चाहत का विषय बन जाता है .हीरे को तराशना एवं उसकी पाॅलिशिंग ही वे महत्वपूर्ण चरण हैं जिससेे हीरे में असली निखार आता है . इसी चरण से गुजरने के बाद ही हीरे की असली कीमत तय होती है . हीरे को तराशने और उसकी पाॅलिशिंग में हिंदुस्तान पूरी दुनिया में सिरमौर है . गुजरात के शहर सूरत को पूरी दुनिया में डायमंड सिटी के रूप में जाना जाता है .यहां 2500 से अधिक कुशल कारीगर हैं . हीरों को तराशने व पाॅलिशिंग में पूरे विश्व में सूरत का 19 से 31 प्रतिशत का योगदान है . जबकि चीन के गुआंगझो व शेनझेन शहरों का हिस्सा 17 फीसदी है . दुनिया में हीरों का 80 बिलियन डाॅलर का कारोबार है .एन्टवर्प को दुनिया की डायमंड कैपिटल के रूप में जाना जाता है . दुनिया के डायमण्ड कारोबार में भारत की 22 बिलियन डालर की हिस्सेदारी है . 1966 में देश से महज 11 करोड रु. के हीरों का निर्यात होता था . जो 1992-93 में 9000 करोड तक जा पहुंचा था .
प्लेटो जिसने हीरे को खानदानी रत्न माना तो थियोफ्रेट्स ने रत्नों पर लिखे अपने शोध प्रबन्ध में रत्नों के अदभुत गुणों की चर्चा की .
देश में म.प्र ही इकलौता राज्य है जहां पर पन्ना जिले की मझगवां खदान से हीरा प्राप्त होता है . यह हीरा खदान विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल खजुराहो से 55 किमी. दूर है . दुनिया की 38 हीरा खदानों में पन्ना की मझगवां खदान आज भी हीरा उगल रही है . हालांकि हीरा पाने की चाहत में तमाम परिवार तबाह हो गए जिन्होंने सब कुछ गवांया लेकिन उनके हाथ हीरा नहीं आया .

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