महोबा। यहां पर बनने वाली कलाकृतियां मशीनी या डाई पर आधारित नहीं हैं। पीतलनगरी मुरादाबाद में बनने वाली कलाकृतियां मशीनी व डाई के माध्यम से बनाई जाती हैं इसलिए इनकी कीमत भी ज्यादा नहीं होती है।
महोबा जिले के कुलपहाड़ व श्रीनगर में बनने वाली कलाकृतियां हैंडमेड होती हैं। मेटल आर्टिस्ट मनमोहन , आजाद व अन्य हस्तशिल्पी मूर्ति या पीतल की कलाकृति बनाने के पहले उस कलाकृति को मिट्टी की कलाकृति गढते हैं। मिट्टी से कलाकृति बनने के बाद उस कलाकृति पर चारों तरफ से मोम ( वैक्स ) का बेस दिया जाता है।
मोम का बेस देने के बाद कलाकृति पर मिट्टी का हल्का लेप किया जाता है। लेप सूखने के बाद कलाकृति पर मिट्टी का मोटा लेप किया जाता है।
सूखने के बाद इसे भट्टी में पकाया जाता है। इसके बाद गलाए गए पीतल से कलाकृति को ढाला जाता है। तब कहीं जाकर कलाकृति बनकर तैयार होती है जिसकी बाद में मूर्तिकार फिनिशिंग , पाॅलिशिंग कर अंतिम रूप देता है। हस्तशिल्पी की बनाई कलाकृति की कीमत मशीनी कलाकृति से कई गुना कीमत पर बिकती है।
मनमोहन सोनी और आजाद सोनी को ज्यादातर आर्डर दिल्ली , बंगलौर , हैदराबाद , जयपुर जैसे महानगरों के शो रूम एम्पोरियम से मिलते हैं। कलाकृतियों के पारखी भी उनको सीधे आर्डर दे देते हैं। इसके अलावा देश के विभिन्न शहरों में आयोजित होने वाले शिल्प मेलों में भी कलाकृतियों की बिक्री हो जाती है।
- राकेश कुमार अग्रवाल