बडोखर की पुरुषों की टीम के बाद महिला टीम ने बजाया डंका
राकेश कुमार अग्रवाल
बुंदेलखंड के प्रसिद्ध दीवारी नृत्य पर अभी तक पुरुषों का एकाधिकार रहा है लेकिन अब उनके क्षेत्र में यहां की लडकियों ने सेंध लगा दी है . उन्होंने न केवल मंडल स्तरीय मुकाबले में पुरुषों की टीमों को पराजित किया बल्कि लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष प्रस्तुति देकर उनको भी तालियां बजाने को मजबूर कर दिया .
बांदा – चित्रकूट मार्ग पर शहर से पांच किमी. की दूरी पर बसा बडोखर खुर्द गांव दीवारी नृत्य का पर्याय बन गया है . बडोखर के रमेश पाल की बीस साल की मेहनत रंग ले आई है . पुरुषों की टीम ने न केवल बुंदेली दीवारी नृत्य को पूरे देश में पहचान दिलाई बल्कि उसे जन जन तक पहुंचाने में महती भूमिका निभाई . रमेश पाल ने गांव की लडकियों को इकट्ठा कर न केवल उन्हें दीवारी नृत्य सीखने के लिए प्रेरित किया बल्कि उनको नृत्य में पारंगत कर दिया . लडकियों की यह टीम इन दिनों पुरुषों की टीमों को टक्कर दे रही है .
दीवारी नृत्य का संबंध द्वापर युग से है . जब कृष्ण , बलदाऊ के साथ ग्वाल बाल गायों को लेकर खेतों में जाते थे . खाली वक्त में आपस में लाठी चलाना , आक्रमण व बचाओ की यह विधा दीवारी नृत्य तक जा पहुंची . यह नृत्य हैरतअंगेज भी है और रोमांचक भी . ढोल , नगडिया की थाप पर शुरु होने वाले नृत्य की शुरुआत गायन से होती है . इसके बाद सुमिरनी , टेर , दीवारी गायन , वाद्ययंत्र , मोर पंखों के साथ सामूहिक नृत्य किया जाता है . नृत्य के दूसरे चरण में मार , युद्ध कौशल , लाठियों से आक्रमण व बचाव का प्रदर्शन होता है . रमेश पाल ने दीवारी को और आकर्षक बनाने के लिए स्टंट , जिमनास्टिक्स , कुलांटी , पिरामिड , सामूहिक नृत्य , चक्का चलाना , सुदर्शन चक्र , पहिया घुमाना , कंधे पर बैठाकर पाई डंडा खेलते हुए मटकना व अंत में द्रुत गति से नृत्य का मनोहारी प्रदर्शन की प्रस्तुति ने दर्शकों को एकटक देखने को मजबूर कर दिया है . अपनी व अपने साथी दीवारी नर्तकों की बेटियों को दीवारी नृत्य सिखाने की पहल कारगर रही . रमेश के अनुसार 15 बेटियां नृत्य में पारंगत हो गई हैं . इस समय बीस लडकियां नृत्य सीख चुकी हैं . इनमें अहिल्या कुशवाहा , कल्पना , प्रीति , प्रियंका , नंदिनी , पूजा सिंह , ऊषा , खुशबू , रागिनी , कौशल्या , वंदना , कंचन , उमा शामिल हैं . इन नर्तकियों में सबसे बडी कौशल्या 25 वर्ष की है जबकि सबसे छोटी कंचन लगभग 10-11 वर्ष की है . जो कक्षा पांच में पढती है . सबसे अच्छी बात यह है कि सभी लडकियां शिक्षित हैं एवं पढ रही हैं . प्रीति ने महिला डिग्री कालेज बांदा से इतिहास में एम ए कर रखा है . तमाम लडकियां ने हाईस्कूल , इंटर और बीए कर लिया है . रमेश पाल के अनुसार बेटियों को नृत्य सीखने में ज्यादा वक्त नहीं लगा क्योंकि उन्होंने बचपन से हम लोगों को दीवारी खेलते देखा है . इन लडकियों को उन्होने कडा प्रशिक्षण दिया . प्रशिक्षण सुबह दस बजे शुरु होकर शाम चार बजे तक चलता था . टीम रोजाना अभ्यास कपना नहीं भूलती .
लडकियों की दीवारी टीम ने गत 19 जनवरी को बांदा में आयोजित मंडलीय प्रतियोगिता में पहला स्थान पाकर सभी को अचंभित कर दिया . प्रतियोगिता में केवल एक ही महिला टीम थी . विजेता बनी इस टीम को 24 जनवरी को यूपी दिवस के अवसर पर लखनऊ में अवध शिल्पग्राम में मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदर्शन करने का मौका मिला . मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लडकियों के दीवारी नृत्य प्रदर्शन को देखकर अभिभूत थे . लडकियों की इस टीम में सभी जाति , वर्ग का प्रतिनिधित्व है . और तो और शिफा समेत दो मुस्लिम लडकियां भी दीवारी नृत्य करती हैं . प्रशिक्षण के दौरान लडकियों को चोटें भी लगीं , घायल भी हुईं लेकिन उनका हौसला डिगा नहीं . लडकियों का यह दल आधा घंटे से अधिक समय तक नाॅनस्टाप नृत्य कर लेता है . टीम की सभी लडकियां अविवाहित हैं . रमेश ने लडकियों की टीम तो तैयार कर दी है लेकिन उनको एक डर भी है कि शादी के बाद लडकियां ससुराल चली जाएंगीं ऐसे में हो सकता है कि उनका दीवारी से नाता टूट जाए . इसलिए उन्होंने विवाहित महिलाओं की एक टीम तैयार करने का फैसला किया है जिसे देखकर लोग दांतों तले उंगली दबा लें . रमेश पाल के अनुसार लडकियों की टीम के प्रदर्शन की डिमांड आने लगी है . सभी लडकियों के प्रदर्शन को देखना चाहते हैं . यदि रमेश का यह प्रयोग सफल होता है तो निश्चित तौर पर लोक कला , लोक संस्कृति ही नहीं बचेगी बल्कि लडकियों को पाश्चात्य या बाॅलीवुड नृत्य के साथ डांस का एक नया तडका भी मिलेगा .
रमेश पाल – महिला टीम की दीवारी नृत्य की तैयारी कराने वाले रमेश पाल