पुलिस अभिरक्षा में युवक की मौत और पुलिस की मौजूदगी में शहर में ही सुपुर्द-ए-खाक

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पुलिसिया बर्बरता प्रकरण

  • चर्चित रही हैं पुलिस अधीक्षक रायबरेली की कार्यशैली पेश की जाएंगी मिसाले
  • आखिर कैसे लंबे समय तक पुलिस ने युवक को थाने में रखा? इसकी जवाबदेही पुलिस अधीक्षक की मनमानी क्यो?

रिपोर्ट – दुर्गेश सिंह

लालगंज / रायबरेली – पुलिस मैनुअल, इंसानियत, कार्यशैली, मानवाधिकार सारे शब्दों का मतलब रायबरेली में कुछ भी नहीं है और वह भी जब पुलिस विभाग की किया जाए। लालगंज में घटित हुआ घटनाक्रम हमेशा-हमेशा के लिए यह कलंक रायबरेली पुलिस के माथे पर लिखा जाएगा साथ में अपने कार्यशैली से चर्चित पुलिस अधीक्षक रायबरेली की मिसाल लंबे समय तक पेश की जाती रहेंगी। शाम होते-होते जब प्रकरण और गंभीर लापरवाही की खबरों को रायबरेली के पत्रकारों ने ट्विटर के जरिए रखना शुरू किया तो लखनऊ धीरे-धीरे गंभीर होता गया रायबरेली को तलब किया गया क्या हो गया है जानकारी दीजिए कार्यवाही कहां तक पहुंची? लेकिन इसी बीच विपक्ष के नेताओं को भनक लगी और उन्होंने मैटर को कैच कर लिया टि्वटर हैंडल के जरिए उत्तर प्रदेश में हो रही बर्बरता और रायबरेली में दलित युवक के साथ हुए भीषण बर्बरता कांड को रखा जाने लगा लखनऊ से खलबली मची रायबरेली तक आ पहुंची। परिजन न्याय के लिए लालगंज में प्रदर्शन कर रहे मामले को शांत कराने के लिए लाठियां चलवा दी गई चटकी लाठियां आवाज को ना दबा सकी। मौके पर दोपहर से ही एडिशनल एसपी अकेले दम पर मौके को संभालने में जुटे हुए हैं थे इस दौरान पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी कम से कम शाम 6:00 बजे तक तो नहीं ही दिखाई पड़ी। हालात बिगड़ते चले गये प्रदर्शन होता रहा तय किया गया और प्रभारी निरीक्षक लालगंज सस्पेंड कर दिया गया। लेकिन फिर भी मामला शांत नहीं पड़ा तब तक मामला हाईप्रोफाइल हो चुका था विपक्ष युवक के साथ हुए पुलिसिया बर्बरता का जिक्र बुलंद करने लगा।

कई घंटे मीडिया से छुपाई गई जानकारी

रायबरेली की मीडिया को इनपुट मिल रहे थे सूत्रों से भी पता चल गया था मामला बेहद संवेदनशील है। पत्रकार पुष्टि के लिए आधिकारिक बाइट का प्रयास कर रहे थे लेकिन अधिकतर समय पुलिस दूरी बनाए हुई थी। लेकिन धीरे-धीरे स्थिति बिगड़ती चली गई और सब कुछ मीडिया के सामने आ गया।

डामाडोल हो चुकी है रायबरेली की पुलिस व्यवस्था

स्थानीय मीडिया लगातार इस बात की खबरें लिख रही थी रायबरेली पुलिस अधीक्षक असफल साबित होते जा रहे हैं किसी भी समय बड़ी घटना घट सकती है लगाम ढीली हो गई है। थाने स्तर पर मनमानी बढ़ गई है फरियादियों का जमावड़ा पुलिस अधीक्षक कार्यालय में लगने लगा है लेकिन एसपी साहब को कोई फर्क नहीं पड़ा ना वह गंभीर हुए और ना ही डिपार्टमेंट को गाइड करने का उन्होंने प्रयास किया। हद तो इन्होंने तब पार कर दी जब विवादित सब इंस्पेक्टर को अपना पीआरओ नियुक्त कर दिया। यही नहीं इंस्पेक्टर की मौजूदगी के बाद भी अधिकतर स्थानों पर सब इंस्पेक्टरों को तैनात कर दिया गया। मीडिया से दूरी तो पुलिस अधीक्षक महोदय की पहचान ही बन चुकी है और मौजूदा पीआरओ इस बात का तो जिक्र भी कर चुके हैं हमारे साहब तो अखबार ही नहीं पढ़ते। खैर असफलता और सफलता के पन्नों में पुलिस अधीक्षक साहब को जरूर परखा जाएगा!

युवक के साथ हुए बर्बरता कांड में अब क्या होगा?

जनपद के नौकरशाहों ने प्रभारी निरीक्षक लालगंज को सस्पेंड कर दिया है खबर मिल रही है कि दो दरोगाओं को भी सस्पेंड किया गया है। मुआवजे का ऐलान भी संभव है जो पांच लाख है। मजिस्ट्रियल जांच का प्रावधान किया गया है घटनाक्रम को उजागर किया जाएगा ऐसा आश्वासन भी मिला है बहरहाल वह तो वक्त ही तय करेगा?

नेताओं ने क्या कहा?

आप नेता सांसद संजय सिंह मृतक युवक के गांव पहुंचे उन्होंने परिवार को सांत्वना दी वह मांगों के लेकर धरने पर भी बैठ गए उन्होंने कहा रायबरेली पुलिस अधीक्षक को तत्काल सस्पेंड किया जाए। मृतक युवक के परिजनों को ₹5000000 का मुआवजा दिया जाए। स्थानीय नेताओं की मौजूदगी नहीं देखने को मिली शायद वह वोट की रोटियां सेकने अपने समय पर जरूर पहुंचेंगे।

क्या रायबरेली पुलिस बर्बरता करती है?

यह पहला मौका नहीं है रायबरेली पुलिस की बर्बरता की तस्वीरें समय-समय पर निकल कर सामने आई हैं। पुलिस अभिरक्षा में हुई मौत कोई नई नहीं है रायबरेली के पुलिस का इतिहास में कई बार इसे दोहराया जा चुका है लेकिन अधिकारी कर्मचारी सीखने का नाम तक नहीं लेते। बर्बरता की कई खबरें सामने निकल कर आई लेकिन पुलिस अपने हिसाब से उन को रफा-दफा कर ले गई वह रिपोर्ट कभी मीडिया में निकल कर सामने नहीं आई। उम्मीद जांच की जाएगी की बर्बरता पूर्ण हुए इस मामले में सच उजागर जरूर हो!

थर्ड डिग्री का प्रयोग करने में रायबरेली पुलिस सबसे आगे

खुलासों के जरिए सुर्खियां बटोरना नंबर बढ़ाना हर थाने का लक्ष्य होता है इसके लिए पुलिस प्रयास ऐसा करती है दबाव ऐसे व्यक्ति पर बनाया जाए जो गरीब हो उस पर पहले से मुकदमे हो तो और अच्छा है। फिर एक कहानी बनाई जाती है जिसे प्रेस रिलीज में लिखा जाता है। किसी भी पुलिस खुलासे में अभियुक्तों के पीछे पुलिस खड़ी की जाती है ताकि वह कहीं मीडिया से कुछ बोल ना दे तरह-तरह के संकेतों का भी प्रयोग किया जाता है। फिर मीडिया के सामने फोटो खिंचाई जाती है और यह सिद्ध किया जाता है पुलिस ने तो बड़ी कार्यवाही कर दी है। पुलिस का असल सच यही है बड़ी घटनाओं को बेपर्दा कर पाने में पूरी तरह से असफल हत्या, सट्टेबाजी, मादक पदार्थ विक्रेताओं पर कार्यवाही उस तेजी से परवान नहीं चढ़ पाती। रायबरेली पुलिस अब तक हुए बर्बरता कांड में कितनी बड़ी कार्यवाही की है इसका जिक्र अभी तक इस मामले में नहीं हुआ है। जहां अंतहीन सिलसिला लगातार जारी है।

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