फसलों की चौकीदारी करने के लिए किसान तैनात

जगतपुर क्षेत्र में लाठी लेकर जानवरों से अपने खेत की रखवाली कर रहे हैं किसान

जगतपुर– सरकार ने फरमाया है हमने गौशाला बनवाया है, नौकरशाहों ने कहा बनवा दिया सभी जानवर गौशाला में है। लेकिन साहब कभी रात में इलाकों में जाइए किसान हाथों में लाठी लेकर अपने खेतों की रखवाली के लिए गांव से पांच-पांच किलोमीटर दूर जानवरों से रखवाली करने के लिए मुस्तैद नजर आते हैं। हकीकत परखने के लिए जब “द रिपोर्ट टुडे” के संवाददाता रात के लगभग 8:00 बजे जगतपुर क्षेत्र में निकले तो वहां पर जो तस्वीरें निकल कर आई वह बेबसी की थी अपनी फसल बचाने की थी एक ऐसी कोशिशों जद्दोजहद के साथ अपनी फसल को बचा लेने की है।
कहां गया गौशालाओं के नाम पर आने वाला पैसा
जिस तरह से आवारा जानवर किसानों की फसलों को तबाह कर रहे हैं उससे यह सवाल भी उठता है गौशालाओं के नाम पर आने वाला पैसा कहां गया? गौशालाओं में कितने जानवर रखे जा रहे हैं कितने जानवर बाहर हैं? प्रशासनिक स्तर पर तो यही कहा जा रहा है हमने सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर दी हैं कहीं कोई परेशानी नजर नहीं आती।
नेताओं का क्या चुनाव के समय निकलते हैं वोट मांगने
रायबरेली के सामूहिक नेताओं से किसान एक प्रश्न पूछना चाहते हैं आप वोट लेने के लिए 5 साल में एक बार जमीन पर आते हैं हाथ जोड़ कर चले जाते हैं और विश्वास कर आम जनता इस सोच के साथ वोट देती है कि शायद अब की बार सूट-बूट से सजे यह नेता उनके लिए कुछ करेंगे। नेताओं के लिए सवाल एक ही है क्या जनपद के नेतागण अपने इलाकों के किसानों से मिलकर कोई रास्ता नहीं निकाल सकते? आखिर क्यों नेतागिरी सिर्फ वोट के स्तर तक रह गई है?
दिल्ली से शुरू हुई है एक नई राजनीति
विकास के नाम पर राजनीति इस तरह से ऐतिहासिक जीत अरविंद केजरीवाल के हाथों लगी है उससे समूचे राजनीतिक घरानों में यह संदेश गया है अगर आप जमीन पर कुछ काम नहीं करेंगे तो आपको जनता बेपर्दा कर देगी और कहीं का नहीं छोड़ेगी। हर आपके जादुई करतब धरे के धरे रह जाएंगे। अब समय आ गया है जब यूपी की भी जनता अपने बुद्धि विवेक का इस्तेमाल करें जो वाकई जनता के सुख-दुख में खड़े हो उन्ही नेताओं का साथ दें। जो धरातल पर विकास कार्यों को उतार सके जो उनसे मुखातिब हो सके ऐसे ही नेताओं को चुने। यूपी में सबसे ज्यादा समस्या बनकर उभरे हैं आवारा जानवर खेतों को चरने की बात तो अलग है खेतों में जाकर आवारा जानवर झुंड के झुंड के साथ फसलों को कुचल रहे हैं किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है वह पहरेदारी कैसे करें?
जगतपुर के किसानों ने कहा
संवाददाता से मुखातिब होते हुए रखवाली कर रहे किसानों ने कहा साहब स्थिति इतनी दयनीय है कि हम आपको बता नहीं सकते रात रात जागकर घर के एक-एक परिजन खेतों की रखवाली कर रहे हैं अगर खेत में कुछ होगा नहीं तो हम क्या करेंगे? बेरोजगारी की समस्या पहले से ही है अगर खेत में भी नहीं होगा तो हम खाने के लाले पड़ जाएंगे। सरकार ने तो यह कहकर पल्ला झाड़ लिया है कि हमने गौशालाओं का निर्माण करा दिया है सब कुछ ठीक-ठाक है। किसानों से जब और जानकारी लेने की कोशिश की गई तो वह आक्रोशित हो उठे उनका कहना है हमारी बात कोई नहीं सुनता और वह किसी को बताना भी नहीं चाहते समय आने पर वह सब कुछ बता देंगे। मतलब साफ है आप सीधे तौर पर किसानों की हालत समझ सकते हैं वह किस मनोदशा से गुजर रहे जो किसान रात रात भर सोए ना तो कहीं ना कहीं मानसिक रूप से भी वह तनाव में रहता है इसलिए वह कुछ बात करने के लिए तैयार नहीं होते हैं।
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