कभी भी हो सकता है हादसा
बोलती तस्वीर पीएम नरेंद्र मोदी जी के स्मार्ट सिटी वाराणसी के सफाई कर्मी के हाल,
बिना सेफ्टी किट सीवर लाइन, सेप्टिक टैंक, मेन होल में उतरकर सफाई कब तक करेंगे सफाई कर्मी मोदी जी,
नगर निगम के सफाई कर्मियों को ना हाथ में दस्ताना ना पांव में सेफ्टी शू हो रहा मुहैया, बरसात से पहले की जा रही है नाले की सफाई
वाराणसी: नगर निगम के सफाई कर्मी नालों की सफाई के लिए इनमें उतर जाते हैं। गर्दन तक वे नालों में डूबे रहते हैं जबकि यह नियमों के विरूद्ध है। ‘सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने बिना सेफ्टी किट नाले में सफाई कर्मी द्वारा नाले में उतरकर सफाई करने से संबंधित तस्वीर और मीडिया में प्रकाशित खबर सहित पीएम मोदी, सीएम योगी, राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी और मानवाधिकार आयोग में दो माह पहले शिकायत दर्ज कराई थी। बताया था कि कैसे दो जून की रोटी के लिए ये सफाई कर्मी ऐसे कामों को करने के लिए विवश हैं। सफाई कर्मचारी आयोग ने इस पर संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी, नगर निगम वाराणसी के अधिकारियों को निर्देशित भी किया है कि कोई भी सफाई कर्मी नालों में उतरकर सफाई न करे, इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए। नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध कार्रवाई होगी।
मैनुअल स्कैवेंजर्स और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 के रूप में रोजगार का निषेध की धारा-7 के तहत सीवर लाइन, सेप्टिक टैंक, मेन होल की सफाई को मानव बल से नहीं करवाया जा सकता। इस कार्य को 2014 से प्रतिबंधित घोषित किया गया है। नगर निगम वाराणसी क्षेत्रांतर्गत स्थित निजी कॉलोनियों, नगर निगम कॉलोनियों, सार्वजनिक उपक्रम की कॉलोनियों, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनियां व किसी भी निजी आवास में सफाई कार्य किसी भी व्यक्ति, प्राइवेट एजेंसी अथवा ठेकेदारों द्वारा मानव बल से नहीं किया जा सकता। दूसरी तरफ आयुक्त ने यह भी निर्देश जारी किया है कि अगर कोई व्यक्ति, ठेकेदार इस तरह से कार्य करवाता हुआ पाया गया है तो आम नागरिक निगम को सूचित करें, ताकि जांच करवाकर संबंधित जिम्मेदार के विरूद्ध उचित कार्रवाई की जा सके।
सफ़ाई कर्मचारियों के पाँव धोने वाले मोदी जी कब लेंगे उनकी सुध?
क़रीब एक साल पहले सफाईकर्मी तब चर्चा में आए थे, जब लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें कर्मयोगी करार देते हुए उनके पाँव पखारे थे के बावजूद जान जोखिम में डालकर सफाई कर्मचारी कर रहे नालों की सफाई नगर निगम के सफाई कर्मचारी नाले में नंगे पांव उतरकर नाला सफाई का कार्य कर रहे हैं।
वाराणसी नगर निगम में पांच सौ से ज्यादा सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं। जिनके पास ना तो सफाई कार्य के दौरान पांव में जूता रहता है ना ही हाथ में दस्ताना। और तो और नगर निगम प्रशासन के पास भी इनकी जान की सुरक्षा के लिए कोई योजना नहीं है। जिसके कारण सफाईकर्मी बिना सुरक्षा उपकरण के नालों की सफाई कार्य में लगे हुए हैं। नालों की सफाई कार्य में लगे इन कर्मियों को कब क्या हो जाएगा, यह कोई नहीं बता सकता है।
दलित फाउंडेशन की फेलो ममता कुमार ने बताया कि सफाई कर्मियों को आज तक जूता और दस्ताना नहीं दी गई। जिसके कारण मजबूरी में खाली पैर नंगे बदन सफाई करने के लिए नाला में इनको उतरना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जूता व दस्ताना की मांग करने पर टालमटोल किया जाता है और तय समय से ज्यादा काम लिया जाता है लेकिन समय पर इन सफाईकर्मीयो को वेतन तक नहीं दिया जाता है।
वाराणसी के कई वार्डो में सीवरेज जाम की समस्या बनी रहती है। इस समस्या के समाधान के लिए विभाग द्वारा ठेकेदार के माध्यम से सीवरेज मैनहोल की सफाई करवाई जा रही है। वर्तमान में वाराणसी में सैकड़ों कर्मचारी सीवर मैनहोल की सफाई कार्य में जुटे हुए है। लेकिन पर्याप्त सुरक्षा उपकरणों के बिना मैनहोल में उतरना खतरे से खाली नहीं है। सीवर मैनहोल में जहरीली गैस की चपेट में आने से व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है। इसी के चलते सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी मेनहोल, सेफ्टी टैंक व सीवर की सफाई के दौरान कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध करवाना जरूरी बताया गया था। हालांकि विभागीय अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण पहले से ही उपलब्ध करवाने की बात कही जा रही है। लेकिन मेनहोल में उतरने वाले कर्मचारियों के पास ये उपकरण दिखाई नहीं दे रहे। ऐसे में अधिकारियों की भी जिम्मेवारी बनती है कि वे समय-समय पर इनकी चेकिंग भी करते रहें। विगत दो साल में अब तक हुई चार सफाई कर्मियों की मौत
जिले में बिना सेफ्टी किट सीवर सफाई का कार्य कर रहे सफाई कर्मियों के मेनहोल में गिरने से चार युवा श्रमिकों की मौत हो गई थी। इन श्रमिकों के पास किसी भी प्रकार का सुरक्षा उपकरण नहीं था। टैंक में उतरने के बाद गिरने से ये चारों श्रमिक जहरीली गैस की चपेट में आ गए थे और नाले में डूबकर मौके पर ही चारो की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद एक बार तो सुरक्षा उपकरण उपलब्ध करवाए गए थे। लेकिन बाद में फिर से हालात पहले जैसे हो गए। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना
माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मैनहोल, सेफ्टी टैंक व सीवर की सफाई के दौरान कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध करवाना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार नाले में उतरकर सफाई कार्य करने वाले कर्मचारियों को ऑक्सीजन मॉस्क, गम बूट्स, वॉटर प्रूफ दस्ताने तथा वाटर प्रूफ वर्दी उपलब्ध करवाना जरूरी है। बिना सुरक्षा उपकरण के सफाई कर्मचारियों को मैनहोल में उतारना अपराध है। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई भी हो सकती है। लेकिन वाराणसी में पिछले काफी समय से बिना सुरक्षा उपकरणों के कर्मचारियों को सीवर मैनहोल में उतारकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना की जा रही है। सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने सफाई कर्मियों की सुरक्षा को बताया था महत्वपूर्ण।
रिपोर्ट -राजकुमार गुप्ता