रसूखदार कर रखा है पंचायत भवन पर कब्जा

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विकासखंड मान्धाता का एक ऐसा गांव जहां 15 वर्षों से रसूखदार कर रखा है पंचायत भवन पर कब्जा, बना रखी है अपनी गृहस्थी।
इन 15 वर्षों में जिले से लेकर ब्लॉक तक कितने अधिकारी आए और चले गए लेकिन आज तक कब्ज़ा मुक्त नहीं करा पाए पंचायत भवन।
मामला ग्राम सभा चमरूपुर पठान का जहां भूतपूर्व प्रधान पंचायत भवन पर कर रखा है कब्जा, तो वहीं वर्तमान प्रधान पंचायत भवन के नाम पर कर गए लाखों का खेल।
हैरत की बात यह है कि ग्राम सभा चमरूपुर पठान पंचायत भवन पर रसूखदार भूतपूर्व प्रधान सगीर खां का कब्जा होने के बावजूद भी पंचायत भवन मरम्मत। रंगरोगन,कंप्यूटर इनवर्टर,फर्नीचर आदि कार्यों के नाम पर ब्लॉक के अधिकारियों ने लाखों का भुगतान कर पैसों का जमकर बंदरबांट किया।
दो पंचवर्षीय से लागतार प्रधान रुकैया बेगम व सचिव व उनके सहयोगियों ने पंचायत भवन के नाम पर लाखों रुपए डकार गए जबकि पंचायत भवन में आज तक कोई कार्य हुआ ही नहीं।
डीपीआरओ रवि शंकर द्विवेदी से दूरभाष के जरिए संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा अगर ऐसा है तो बीडीओ मांधाता को बोल के दिखवाते है वहीं बीडीओ मांधाता अरूण कुमार से का कहना है कि प्रकरण मेरे संज्ञान में नहीं है अगर ऐसा है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
प्रतापगढ़ 9 सितंबर : मांधाता विकासखंड के अंतर्गत ग्रामसभा चमरूपुर पठान में सरकारी पंचायत भवन पर 15 वर्षों से अधिक गांव के ही भूतपूर्व प्रधान सगीर खां कब्जा जमाए बैठे हैं पंचायत भवन को गृहस्थी के रूप में तब्दील कर दिए हैं सरकारी भवनों पर कब्जा जमाए बैठे लोगों को काफी आराम मिल रहा है वहीं सरकारी अफसरान गहरी नींद में सो रहे हैं।
लाखों रुपए की लागत से पंचायत भवन का निर्माण हुआ था वहीं सरकार हर वर्ष इसकी मरम्मत,रंगारोगन,टाइल्स आदि के लिए कई लाख रुपयों का बजट भी देती है लेकिन प्रधान और सचिव की मिलीभगत से लाखों रुपए डकार लिए जा रहे हैं पंचायत में गांव के विकास कार्यों के लिए बैठक कर खाका तैयार किया जाना था लेकिन ग्राम पंचायत में रसूखदार ने कब्जा कर लिया है पंचायत भवन में गांव के भूतपूर्व प्रधान ने पंचायत भवन को गृहस्ती के रूप में तब्दील कर लिया है पंचायत भवन के कमरों में उपकरणों के बजाए खटिया बिस्तर पंखा यहां तक कि उनके घर की बहू बेटियां भी पंचायत भवन में आराम फरमाती हुई नजर आएंगी जिससे पंचायत भवन नहीं गृहस्थी घर नजर आ रहा है ग्रामीणों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि 1995 से 2010 तक प्रधान रहे सगीर ने अपने घर के जस्ट बगल ही पंचायत भवन का निर्माण करवाया तब से आज तक गांव में दो प्रधानों ने प्रधानी की लेकिन एक भी प्रधान पंचायत भवन को कब्जे से मुक्त नहीं करा पाए 15 वर्षों से अधिक समय बीत गया है लेकिन कब्जा होने के चलते पंचायत भवन में खुली बैठक नहीं हो सकी है।
सरकार के मकसद पर ग्राम प्रधान व सचिव लगा रहे हैं पलीता
पंचायत भवन में रसूखदार द्वारा कब्जा है जिससे विकास कार्य के लिए खुली बैठक नहीं हो पा रही है वही ग्राम विकास अधिकारी प्रधान इन सब चीजों से अनभिज्ञ बने हुए हैं पंचायत भवन में तैनात सहायक का मानदेय भी बराबर निकाला जा रहा है पंचायत भवन के नाम से कंप्यूटर लैपटॉप इनवर्टर आदि का भुगतान भी हो चुका है मरम्मत के नाम पर भी लाखों निकल चुके हैं लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं है पंचायत भवन सरकारी कार्य के लिए उपयोग न हो कर निजी कार्यों के लिए किया जा रहा है हालाकि खबर कवरेज करने के दौरान ही प्रधान व ब्लॉक के अधिकारियों की इसकी भनक लग गई कि पंचायत भवन मीडिया के नजरों में आ गया है वहीं इस पूरे प्रकरण की जानकारी लेने के लिए ग्राम प्रधान से दूरभाष के जरिए कई बार संपर्क किया गया लेकिन किसी के भी कॉल रिसीव नहीं किया अब देखना यह है कि जिले के आला अधिकारी इस पर क्या कार्रवाई करते हैं।

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