भीषण गर्मी में सूख रही धरती की कोख, धरती मांगें बारिश

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अंधाधुंध जलदोहन से सूख रहा पाताल का पानी

वाराणसी। माना इस बार अच्छे मानसून की उम्मीद थी लेकिन भूमिगत जल स्तर बढ़ने की फिलहाल कोई सूरत नजर नहीं आती। एक मानसून क्या कई मानसूनों की अच्छी बारिशें धरती की सूखी कोख को तर करने के लिए चाहिए। इंसानी करतूतों ने इस जमीं के जल को इतना निचोड़ लिया है कि धरती पूरी तरह रीत चुकी है। आज जरूरत है बारिश की एक-एक बूंद को सहेजने की। ऎसे में धरती मांग रही है और बारिश।

वही गर्मी पूरे शबाब पर है और गांव, कस्बे और शहर पानी की कमी से जूझने शुरू हो गये हैं। कुएं और सामान्य हैंडपंप सूखने लग गये हैं। आराजीलाईन विकास खंड में भूगर्भीय जलस्तर में गिरावट का दौर लगातार जारी है। भीषण गर्मी के कारण वाटर लेवल तेजी से गिर रहा है। हैंडपंप सूख रहे हैं। पारंपरिक जल स्रोतों के सूखने से भीषण गर्मी में आम लोगों को जहां पेयजल के लिए परेशान होना पड़ रहा है।

बारिश की कमी भी समस्या की एक बड़ी वजह है। पिछले कुछ वर्षों से क्षेत्र में पानी के लिए लोगों के बीच हाहाकार मचा हुआ है। पानी का जलस्तर लगातार नीचे चला जा रहा है। जिससे इस तरह की गंभीर समस्याएं लगभग सभी गांव में उत्पन्न होती जा रही है। क्षेत्र के सैकड़ों से अधिक हैंडपंप सूख चुके हैं। पानी के लिए लोग दिन भर बोरिंग व हैंडपंप पर डब्बा लेकर भटकते रहते हैं, लेकिन उन्हें पानी काफी जद्दोजहद के बाद मिल रहा है।

जानवरों व पालतू मवेशियों के लिए भी पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। ऐसे में जलसंकट गहराता जा रहा है। पानी के लिए लोग लगातार जद्दोजहद कर रहे हैं। ऐसा भूगर्भीय जल के लगातार दोहन के कारण हो रहा है। भूगर्भीय जलस्तर में लगातार गिरावट के कारण घरों में पूर्व से लगाए गए हैंडपंप जबाव दे रहे हैं। हैंडपंप सूखने के बाद गांवों में पानी की समस्या गंभीर हो गई है।

आराजीलाईन क्षेत्र का कचनार, रानी बाज़ार, मेहदीगंज, बेनीपुर के अलावा कई गांव जल संकट की पीड़ा से त्रस्त हैं। सूखे की मार झेल रहा है, जिसको लेकर पेयजल की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है।

राजातालाब में इस बार जून से ही जल संकट गहरा चुका है। यहाँ भूजल स्तर खिसकने साल दर साल पानी की किल्लत और अधिक होती जा रही है। कई इलाकों में 250 से 300 फीट बोर कराने के बाद भी पानी नहीं निकल रहा।

राजातालाब में इस बार जून के महीना से ही जल संकट काफी गहरा चुका है। यहाँ भूजल स्तर खिसकने साल दर साल पानी की किल्लत और अधिक होती जा रही है कई इलाकों में 250 से 300 फीट बोर कराने के बाद भी पानी नहीं निकल रहा है। अगर यही हाल रहा, तो इस भीषण गर्मी में लोग पानी के लिए तरस जायेंगे व पशु-पक्षी प्यासे मरने लगेंगे।

राजकुमार गुप्ता

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