- चित्रकूट धाम परिक्षेत्र के सभी मठों के महंत बेंच रहे जमीनें, मुख्य् मंदिरों के संचालक बने प्रापर्टी डीलर, राजस्व् कर्मचारी व अधिकारी की मिली भगत से चल रहा है खेल
- मध्यख प्रदेश् के क्षेत्र में कलेक्ट र ने लगा रखी है सभी मंदिरों की जमीनों को बेंचने, स्थाकनांतरण पर रोक। लाकलाउन के दौरान करोडों रूपये का दान लेने वाले महंत जमीनों को कब्जा करने में लगे
संदीप रिछारिया
चित्रकूट। धर्मनगरी के संत इन दिनों मंदिर व मठों के संचालन के लिए मिली दान की जमीनों को बेंचने का काम तेजी से कर रहे हैं। लगभग हर प्रमुख अखाडे का महंत भगवान की जमीनों को अपना बताकर भूमाफियाओं को बेंच रहा है । वैसे कुछ प्रमुख मंदिरों को संचालक तो पूरी तरह से प्रापर्टी डीलर बन चुके हैं, उनका काम अधिकारियों को पूजा पाठ करवाकर स्याीह को सफेद करना है ताकि निरीह लोगों की औने पौने पैसे में लिखवाई व कब्जाि की गई जमीनों पर अधिकारी उनका साथ दें और पुलिस भी परेशान न करे। उधर कुछ मंदिरों के स्थादन महंत पूरी तरह से भूमाफिया बन चुके हैं जो सरकारी जमीनों पर कब्जाप करने से गुरेज नहीं करते। यह बात और है कि प्रशासन उनका इस अवैध कार्य में पूरी तरह से साथ देता है और वे न केवल सरकारी जमीन पर कब्जाे किए हुये है बल्कि पुरातात्विक महत्वी के कुयें व बाबलियों के साथ पर्यटन विभाग के द्वारा यात्रियों के लिए बनवाए गए शेड पर कब्जात जमा चुके हैं।
मालूम कि कोरोना काल के पूर्व तीर्थनगरी की अनमोलविरासत औरंगजेब के बनवाए प्राचीन बालाजी के मंदिर के महंत अर्जुनदास की हत्याा भी प्रापर्टी के चक्कार में ही हुई थी और इस हत्यास में आरोपी के तौर पर एक प्रमुख मठ का सेवादार पकडा गया था। वैसे इस मामले में कुछ प्राचीन व कुछ नए पीठों के लोगों के नाम भी उछले थे, पर उन्हेंं उचीं पहुंच के चलते दबा दिया गया था।
वैसे इन दिनों जहां एक तरफ धर्मनगरी के महंत कोराना काल के साथ ही पितृपक्ष में मंदिरारें में जाकर स्थाकन महंत बना रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि एक महंत को बनाने में लगभग दस लाख का खर्च आता हैा जिसमें भंडारा व विदाई सामिल रहती है। लेकिन इसमें सबसे बडा भाग सात प्रमुख अखाडों के महंत का होता है।
गौरतलब है कि चित्रकूट में प्रमुख सात अखाडों के महंतों के साथ लगभग 150 स्था न महंत रहते हैं। स्था न महंतों की संख्या में यहां के महंत महीनें में दो बार बढोत्तंरी कर अपनी कमाई में इजाफा कर रहे हैं।