“मुस्कराइए “आप वीआईपी जिले में हैं जहां सड़कें हुईं बदतर

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रायबरेली : आपको बताते चले रायबरेली जिले को वैसे तो वीआइपी जिले में गिना जाता हैं लेकिन वीआईपी शब्द केवल सपनों तक ही सीमित रह गया हैं रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी जी को अपने जिले की सड़को से कोई लेना देना नही है और न ही जिम्मेदार अधिकारियों को कोई इस ओर ध्यान जा रहा हैं जिम्मेदार अधिकारी केवल खानापूर्ति कर रहे हैं बन्द ऐसी के कमरों से ।जिले में सड़कों का बुरा हाल है। बदहाल सड़कों से लोगों को जान जोखिम में डालकर गुजरना पड़ रहा हैं।

बदहाल सड़कों से लोगों को जान जोखिम में डालकर गुजरना पड़ रहा है। आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं से किसी घर की खुशियां छिनती रहती हैं। सड़क तो बदहाल है ही उस पर यातायात नियमों के पालन में भी जमकर अनदेखी होती है। कारण पुलिस यातायात के नियमों के पालन में कतई संजीद नहीं है। इन जख्मी सड़कों पर बाइक सवार फर्राटा भरते हैं तो दुर्घटना की आशंका सौ फीसद हो जाती है।पूरे जिले की सड़कों की बुरी हालत है

गौरतलब है कि जिले में एक सैकड़ा से अधिक सड़क पूरी तरह खराब हैं। जिस सड़क पर पैदल चलना मुश्किल होता वहां पर ओवरलोड वाहन और बाइकर्स रफ्तार भरते हैं जिससे सड़क का और भी दम निकल रहा है। शहर में ओवरब्रिज तथा डिग्री कालेज चौराहा से कलेक्ट्रेट तक की सड़क खराब है। ओवरब्रिज पर हर रोज कई घटनाएं घटित होती है। एक तो सड़क खराब है उस पर ओवरलोड वाहन सड़क की जान निकालने पर आमादा हैं।

बात करि जाए लालगंज बाइपास रोड इतनी खराब है कि कभी भी वाहन के पलटने की आशंका बनी रहती है। फतेहपुर-कानपुर लिंक रोड पर धूल के गुबार लोगों को सांस का रोगी बना रहे हैं। लालगंज से 12 किमी खीरों मार्ग पर भी चलने में लोगों के सारे कर्म हो जाते हैं लालगंज से उतरागौरी-बाजपेईपुर मार्ग पिछले 20 साल से खराब है। इस 20 किमी की सड़क पर स्कूल भी हैं जिससे छात्र-छात्राओं को खासी दिक्कत उठानी पड़ती है। एहार से कैली, सोहवल से लोदीपुर उतरांवा, लालगंज अस्पताल रोड खराब पड़ी है।

सिविल लाइन से त्रिपुला चौराहे के आगे तक बड़े बड़े गड्ढे हो चुके है जरा सी अगर चूक हुई तो सीधे मौत के गाल में समाने में देर नही लगेगी, सबसे बड़ा सवाल ये सड़के सभी नेशनल हाईवे हैं सड़क सही रहे या न रहे लेकिन टोल टैक्स तो बराबर वसूला जा रहा हैं सबसे बडी बात तो ये हैं कि इन गड्ढो को मरम्मत के लिए ड्रामर गिट्टी नही बल्कि मिट्टी से गड्ढे भरे जा रहे है

भारत निर्माण पर लाखों का आया बजट

जिले में लोक निर्माण विभाग के पास करोड़ो रूपये रहते है सवाल यह है कि जब इतना रुपया आया था तो बर्बाद सड़कों पर रुपया क्यों नहीं लगाया गया। वहीं विभाग से बदहाल सड़कों को लेकर कोई बजट नहीं भेजा जो बताता है कि विभाग सड़कों की मरम्मत को लकेर उदासीन है।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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