मोबाइल सेवाएं भगवान भरोसे

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अब तो प्राइवेट कंपनियों की सेवायें भी बेहाल, इंटरनेट सेवा व बात करना भी हुई मुश्किल

राकेश कुमार अग्रवाल

कुलपहाड (महोबा)। बेहतर सेवाओं के लिए जानी जाने वाली प्राइवेट मोबाइल कंपनियां भी उपभोक्ताओं को रुलाने में लगी हैं। इंटरनेट डाउनलोडिंग तो दूर की बात काॅल ड्राप के बिना सुचारू बात होना भी सपना बन गया है।

इन निजी कंपनियों में उपभोक्ता संख्या बढाने के चक्कर में लाखों की संख्या में सिम तो बांट दीं लेकिन उसी अनुपात में न मोबाइल टावर खडे किए न बीटीएस लगाए।

लाॅकडाउन में घर में बैठे रहे लोगों के समय पास करने का मोबाइल व कम्प्यूटर एक बडा सहारा रहा। बच्चों की आनलाइन कक्षायें तो शुरु हो गईं लेकिन नेटवर्क शेयर बाजार की तरह फुल टाइम विशेषकर पीक आवर में काम ही नहीं करता। इस कारण बैंकिंग सेवायें, आनलाइन रजिस्ट्री जैसी सभी आवश्यक सेवायें भी घुटनों पर आ गई हैं।

हालात यह हैं कि फोन पर बात करते समय कई बार फोन कट जाता है। सबसे ज्यादा परेशानी तो ग्रामीण क्षेत्र में हैं, जहां बिजली कटने के बाद तो मोबाइल का नेटवर्क भी पूरी तरह साथ छोड़ देता है। इससे परेशान ग्रामीण अब बार बार कंपनी बदलने को मजबूर हैं। उपभोक्ताओं में रोष पनप रहा है। क्योंकि सभी कंपनियां प्रीपेड के नाम पर पहले ही पैसा वसूल लेती हैं। यहां उनके कोई अधिकारी नहीं रहते। नाॅन टेक्निकल लोगों के भरोसे चल रही सेवाओं में ठगा उपभोक्ता जा रहा है।

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