लाकडाउन के बाद से लगातार आज चौदहवें दिन तक लगातार रायबरेली में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और समाजसेवी राहुल बाजपेयी और उनकी टीम ने वो कर दिखाया जो बड़े बड़े धनपशु नही कर पाए जिन्होंने हमेशा बड़ा समाजसेवी होने का दम्भ भरा और बड़े बड़े होर्डिंग के सहारे समाज पर छाए रहे। इसे महामारी का भय भी कह सकते हैं कि कुछ लोग चाह कर भी काम नही कर पा रहे हैं। हां स्थानीय मीडिया की मुहिम से जरूर कुछ युवा लोगो का ज़मीर जागा और उन्होंने पीड़ित वंचितो के लिए बाद में काम करना शुरू किया। ऐसे मामले में ही कल पब्लिसिटी स्टंट की पोल तब खुल गई जब तहसील में ऐसे ही बंट रहे खाने की वीडियो वायरल हुई। प्रशासन ने आनन फानन एसडीम सदर को हटा कर नई तैनाती कर दी। इन सबसे इतर कोरोना फाइटर बन कर राहुल बाजपेई और उनकी टीम चकाचौंध से दूर रोजाना गरीबो को उनका हक दिला रहे हैं। जानकारी के बाद मौके पर जमीनी हकीकत जानने रिपोर्ट्स टुडे की टीम पहुंची और पूरी टीम से बात की। जिसके मुख्य अंश ख़बर में प्रकाशित हैं।
सवाल: आप लोग कब से काम कर रहे हैं
राहुल बाजपेई: कोरोना वैश्विक महामारी है जिसे रोकने के किये पूरे विश्व मे एक ही उपाय है लोग दूर दूर रहें। इसके लिए सरकार ने अचानक बिना तैयारी के लॉक डाउन कर दिया। फिर हम लोगो ने पहले दिन से देखा कि हजारों लोग के सामने दो वक्त की रोटी की समस्या आ गई। फिर हमने ये शुरू किया।पहले दिन से हम इस मुहिम में लग गए हैं।
सवाल: राहुल आप के साथ सब वालेंटियर हैं और ये सब कांग्रेसी हैं या अलग अलग हैं।
राहुल बाजपेई : सबसे पहले आपको बता दें यहां हम सब पहले दोस्त है, वसीम, अविनाश, सिद्धार्थ टोनी भैया और बाकी लोग सब भाई हैं कोई छोटा भाई है कोई बड़ा भाई है। लेकिन उद्देश्य सबका एक है कि साथ मिलकर ज्यादा से ज्यादा तकलीफ दूर करें। उन्हें भूखा न सोने दें।
सवाल : आप कैसे करते हैं और क्या करते हैं ?
अविनाश : हम सब रोज अपने काम बांट लेते हैं मंजिल और हौसले बड़े हैं। इसलिए सही प्लानिंग बहुत जरूरी है। हम लोगो ने काशीराम में अपना एक बड़ा किचन बना रखा है। जिसमे रोजाना लगभग 300 से 500 लोगो का खाना बनता है जिसे हम सब 2 और 3 के ग्रुप में लेके जाते हैं और लोगो तक पहुंचाते हैं। जब तक एक भी पेट खाली है हम नही बैठते।
सवाल : वसीम आपके हाथ मे तो राशन के पैकेट है ये आप किसे देंगे।
वसीम : भइया हम लोगो ने 3 कैटेगरी में लोगो को चिन्हित किया है। कुछ है जो लाचार है या संसाधन विहीन हैं उन्हें हम पका हुआ भोजन देते हैं और जो पका सकते है उनको 5 किलो आटा, 2 किलो चावल, 2 किलो दाल, बिस्किट, साबुन, नमक और मसाला सब्जियों के साथ देते है ताकि रोज न पहुंच पाने पर वो बना खा सकें। और अंत मे वो जो पात्र है उनके कार्ड भरवा कर प्रशासन को देते हैं।
सवाल: आप लोग ऐसे लोगो को कैसे पहचानते है जिन्हें वाकई जरूरत हो कोई छद्म रूप से मदद मांग सकता है।
राहुल बाजपेई : अगर आप वाकई एक बार अपना कैमरा और मोबाइल रख कर चले मेरे साथ तो चेहरा देख के आप ख़ुद जान जाएंगे किसका पेट खाली है।
सवाल : आपको ऐसा करने के लिए पार्टी से फंड और निर्देश मिले है या आप स्वयं करते हैं ?
राहुल बाजपेई : हमारी नेता प्रियंका गांधी हमेशा ऐसे लोगो की मदद के लिए कहती रहती हैं। उनका मानना है कि आखिरी जरूरतमंद तक हमेशा हम पहुंचे यही असली कांग्रेस है। लेकिन इस बार जिस दिन प्रियंका गांधी जी ने मजदूरों को परेशान समान और बच्चे पीठ पर लादे हुए सैकड़ो किलोमीटर पैदल चलते देखा हम सबको बोला कि मुझे नींद नही आई ये इम्तिहान की घड़ी है। तुम सब हमारे भाई हो राजनीति हमेशा होती है होती रहेगी लेकिन यहाँ बिना भेदभाव मुझे इन सबके मुस्कराते चेहरे चाहिए। हम सब स्वयं व्यवस्थायें कर के ये सब कर रहे हैं।
सवाल : सोनिया गांधी ने भी राहत सामग्री भेजी है आप लोग उसे नही बंटवा रहे हैं
राहुल बाजपेई : उसके लिए टीम है जो ब्लाकवार समान पहुंचा रही है। मैडम सांसद है उनके लिए रायबरेली परिवार की तरह है वो यहां के लोगो के लिए समस्या बिना कहे समझ जाती है कि क्या करना है। जैसे अभी उन्होंने मनरेगा मजदूरों को एडवांस मजदूरी देने की बात उठाई है।
सवाल : आप इतने दिनों से जनसेवा कर रहे हैं लेकिन आप फ़ोटो और प्रेस विज्ञप्ति नही देते हैं जबकि आजकल लोगो ने इस सेवा को फैशन की तरह इस्तेमाल किया है। सोशल डिस्टेंस में प्रेरणा हेतु लोगो तक बात जाए वह भी जरूरी है।
टोनी: सबसे पहले आपको करेक्ट कर दूं यहां सोशल डिस्टेंस क्या सोच कर लोग बोलते है मुझे समझ मे नही आता। हमे सोशल नही फिजिकल डिस्टेंस की बात करनी है सोशल डिस्टेंस के बाद मानवता ही मर जाएगी। अब आते हैं आपके सवाल पर आप देखिए हम लोग आपसे बात करने के लिए काम रोक रोक कर आ रहे हैं और जवाब देते देते पैकेट तैयार कर रहे हैं।
सवाल : तो इसका क्या मतलब ?
टोनी : जब हम भेड़ चाल में फंस जाएंगे तो जिनके पेट मे निवाला नही है उसे कब देखेगे। अखबार या टीवी की ख़बर में ख़ुद को देखने से ज्यादा सुकून मिलता है बेबस की तृप्त आंखों में खुशी की चमक देख कर। बाकी जो लोग कर रहे हैं वो भी अगर फ़ोटो के लिए ही कर रहे हैं तो किसी का पेट तो भर ही रहा है आप लोग भी उनकी कमी ढूंढने के बजाय उनको छापिए जिससे वो इसी बहाने कुछ न कुछ करते रहेंगे।
सवाल : आप किस किस इलाके में राशन बांट रहे हैं
राहुल बाजपेई : हमारे लिए पूरा रायबरेली घर है लेकिन प्रशासनिक नाके बंदी के बाद भी हम पूरे नगर पालिका में समान भिजवा रहे हैं। इसके लिए हमारी टीम पहले देखती है किसे जरूरत है अगर उसका राशन कार्ड बना है तो कोटेदार से उसे राशन दिलवा कर सिर्फ बाकी जरूरी समान देकर उसे उसके घर छोड़ते हैं। जिनका राशन कार्ड नही बना होता है उनके फार्म भरवा कर जमा कर रहे हैं इतना ही नही उनकी पैरवी कर के कार्ड बनवा कर भी देंगे ताकि जल्द से जल्द वो कम से कम अपने लिए न भटकें।
सवाल : आप लोग ये कब तक करेंगे। और प्रशासन की क्या भूमिका है।
राहुल बाजपेई : हमारी टीम का कहना है कि जब तक एक भी व्यक्ति पात्र है हम तब तक करेंगे। टीम के लोगो ने बुरे वक्त के लिए जो पैसा इकट्ठा किया था सब स्वेच्छा से दे रहे हैं। सब जान रहे है कि इससे बुरे दिन अब क्या आएंगे जब एक हिस्सा आबादी के पास खाने की किल्लत चल रही है। प्रशासन से सहयोग नही मिल रहा तो परेशान भी नही कर रहे हैं।
राहुल बाजपेई और अन्य सदस्यों के साथ बात करते हुए टीम ने ये भी देखा कि वो रोज की तरह अपने काम मे भी बिजी रहे और इतना बिजी रहे कि कुछ सदस्य तो बात करने हमारे पास तक नही आये। टूट रही व्यवस्था के बीच ये टीम कोरोना फाइटर की तरह काम कर रही है। रिपोर्ट्स टुडे ऐसे सभी लोगो को शुभकामनाएं देता है। यदि आपके बीच मे भी कोई चकाचौंध से दूर सेवाभाव से काम कर रहा है तो हमे जरूर बताएं। हम उसकी हकीकत जांच कर उसके जज्बे को बढ़ाने के लिए आप तक जरूर पहुचायेंगे।