महोबा , श्रीनगर कस्बे के किले के मुख्य द्वार के सामने बने रामलीला मंच में सातवें दिन की लीला में सीता हरण का मंचन किया गया। इसके पूर्व राम केवट संवाद को सुन सभी मंत्र मुग्ध हो गए। गंगा पार कर मुनि भारद्वाज के कहने पर चित्रकूट की ओर चले गए इधर अयोध्या में पुत्र वियोग के कारण राजा दशरथ ने प्राण त्याग दिए। ननिहाल से भरत शत्रुघन के वापिस लोटने पर सभी बात मालूम होने पर उन्होंने गुरु वशिष्ठ से चित्रकूट जाकर भईया राम को वापिस लाने का प्रयास किया। राम भरत मिलाप देखकर सभी को आंखे द्रवित हो गईं 12 वर्ष बाद राम सीता लक्ष्मण सहित पंचवटी में रहने जहां रावण की बहिन सुपर्णखा ने रिझाने का प्रयास किया तभी सीता की झपटने पर लक्ष्मण ने नाक कान काट दिए। इसके बाद खर दूषण को मालूम चलने पर उन्हें मार गिराया इसके बाद रावण ने अपनी बहिन का बदला लेने के लिए मामा मारीच को सोने का हिरण बनाकर सीता को साधु का वेश रखकर छल से पुष्पक विमान बैठाकर आकाश मार्ग से लंका ले गया। यह दृश्य बिल्कुल वास्तविक रूप से दिखाया गया। नवयुवक रामलीला मंडल श्रीनगर के संरक्षक रतीश चंद्र रावत, अनिल शुक्ला, प्यारेलाल श्रीवास ने केवट और सुपर्णखा का शानदार अभिनय किया व नरेंद्र गंगेले , हरिश्चंद्र शर्मा,सुबोध गंगेले,अखिल शुक्ला,अनूप त्रिवेदी, अरविन्द तिवारी, रामू शुक्ला , जीतू परदेशी ,अनमोल मिश्रा, मृदुल गौरव रावत, राजेश तिवारी आदि लोग मुख्य रूप से उपस्थित रहे। रामलीला का मंचन सुबह 4 बजे तक चलता रहा।
रिपोर्ट- राकेश कुमार अग्रवाल
रामलीला के सातवें दिन सीता हरण और राम केवट संवाद का किया गया मंचन
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