लापरवाही की इन्ताहां तो देखिए … मौत के 6 वर्ष बाद मृतक ने दाखिल किया सुलहनामा

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रिपोर्ट – विमल मौर्य

डलमऊ (रायबरेली) । मौत के 6 वर्ष बाद एक व्यक्ति ने बंदोबस्त न्यायालय में उपस्थित होकर एक मामले में सुलहनामा व जवाब दावा दाखिल किया और फिर उसकी मौत हो गई , जी हां यह कोई फिल्मी कहानी नहीं है डलमऊ तहसील क्षेत्र के मुराई बाग ऊंचाहार मार्ग में पूरे गडरिया मोड़ के पास मिनी शुगर प्लांट के नाम से भूमि पड़ी हुई है , राजस्व अभिलेखों में उक्त भूमि के मालिक प्रेम नरायण मल्होत्रा निवासी 16/3 माल रोड कानपुर हैं, भूस्वामी प्रेम नारायण मल्होत्रा की मृत्यु 13 मार्च 2008 को हो गई थी, जिसका मृत्यु प्रमाण पत्र कानपुर नगर निगम ने जारी किया है । मृत्यु प्रमाण पत्र पर मृत्यु का स्थान न्यू लीलामनी हास्पिटल दर्ज है।

शिकायत कर्ता धर्मेंद्र यादव ने बताया कि उक्त भूमि पर अपना चक बनवाने के लिए पूरे गडरिया निवासी कौशल्या देवी ने बंदोबस्त न्यायालय में एक वाद दायर किया। जिसमें मृतक प्रेमनारायण मलहोत्रा की ओर से मौत के 6 वर्ष बाद दिनांक 15 अक्टूवर 2014 को एक सुलहनामा व जबाब दावा दाखिल किया गया। जिसके आधार पर बंदोबस्त न्यायालय ने वादकर्ता के पक्ष में आदेश पारित कर दिया। उक्त प्रकरण की जानकारी धर्मेंद्र यादव निवासी पूरे वल्ली को हुई तो उन्होंने मृतक से संबंधित प्रमाणित अभिलेख प्राप्त किये, अभिलेखों में मौत के 6 वर्ष बाद जबाबदावा व सुलहनामा पर हस्ताक्षर बनाये गये मिले। जिसकी शिकायत धर्मेंद्र यादव ने बंदोबस्त अधिकारी कर जांच कराने के लिए शिकायत पत्र देकर मांग की, लेकिन जांच को कार्यालय में बैठकर बना कर पेस किया गया, लेकिन जांच से असंतुष्ट प्रार्थी ने जिलाधिकारी को शिकायत कर जांच कराने की मांग की, जिलाधिकारी ने एसओसी को जांच करने के निर्देश दिये, लेकिन पूर्व में की गई जांच पर मुहर लगाकर फिर पेस किया गया । प्रार्थी धर्मेंद्र कुमार ने एक बार फिर जिलाधिकारी को शिकायत पत्र देकर पुन: निष्पक्ष जांच कराये जाने की बात कर पूरे मामले से अवगत कराया। जिलाधिकारी ने नगर मजिस्ट्रेट को सौंपी, नगर मजिस्ट्रेट ने 9 अक्टूवर 2018 को जांच की तो गडबड़ झाले की पोल खुल गई, जिलाधिकारी ने जांच रिपोर्ट के आधार पर बंदोबस्त अधिकारी को तत्काल बंदोबस्त निरस्त कर धोखाधड़ी करने वालों पर कार्यवाही करने के निर्देश दिये, लेकिन जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद अभीतक न तो बंदोबस्त निरस्त किया गया और न ही दोषियों पर मुकदमा पंजीकृत कराया गया । पीडित ने बताया कि उसे जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद उसे न्याय नहीं मिला।

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