बाजार को है ग्राहकों का इंतजार, दुकानें खुलीं खरीदार गायब

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ईद का डेढ करोड का कारोबार, कोरोना की भेंट चढा

राकेश कुमार अग्रवाल

कुलपहाड (महोबा)। कोरोना महामारी ने लोगों की जिंदगी के साथ ही बाजार पर भी जमकर चोट की है. ईद पर्व नजदीक है और बाजार से ग्राहक गायब है। दुकानदारों के मुताबिक केवल कुलपहाड बाजार को एक करोड की चपत लगने जा रही है। पहली बार ईद पर नए कपडों के बिना नमाज अता की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि रमजान माह में ३० कठिन रोजों के बाद ईद का त्योहार आता है. मुस्लिम ईद के त्योहार को दिवाली की तरह मनाते हैं. घर की साफ सफाई से लेकर पेंटिग व साज सज्जा भी की जाती है। ईदगाह में ईद की नमाज के लिए नए कपडे पहनकर जाने की परम्परा सदियों पुरानी है। इसलिए रमजान माह में नए कपडे बनवाने, सिलवाने का सिलसिला पूरे माह तक चलता है। बडी संख्या में युवा पीढी रेडीमेड कपडे खरीदती है। इस कारण बाजार में पैर रखने की जगह नहीं होती थी। लेकिन कोरोना की मार ने त्योहार ही नहीं पूरे बाजार को भी बेजार कर दिया है। ईद की नमाज घर पर ही अता होने की संभावना के चलते कुलपहाड बाजार में ही ईद का एक करोड के कारोबार की चपत लगने जा रही है। नगर व्यापार मंडल के महामंत्री सुरेन्द्र कुमार अग्रवाल के अनुसार सबसे कपडा, टेलरिंग, रेडीमेड, चूडी, सौंदर्य प्रसाधन सामग्री व किराना कारोबार बुरी तरह चौपट हो गया है। जिन दुकानदारों ने पहले से माल का स्टाॅक कर लिया था उनको पेमेंट करना मुश्किल होने जा रहा है।
गौरतलब है कि कुलपहाड में मुस्लिमों की तादात लगभग पांच हजार है। नगर के टिलवापुरा , चमरदा, नऊअनपुरा, जामा मस्जिद, पुरानी तहसील आदि मोहल्ले मुस्लिम आबादी बाहुल्य हैं।

नगर के मौलाना हसन के अनुसार अलविदा की नमाज व ईद पर्व पर ईदगाह में होने वाली नमाज को इस्लाम में सुन्नत माना जाता है, इसलिए सभी लोग ईद पर नए कपडे पहन कर नमाज अता करने की परम्परा रही है।

फिजिकल डिस्टेंसिंग के कारण रमजान माह में भी मस्जिदों में सामूहिक रूप से नमाज अता करने पर रोक लगी हुई है. कोरोना की भयावहता जिस तरह से बढ रही है उसके मुताबिक लाॅकडाउन में ईदगाह पर ईद की नमाज की इजाजत मिलने वाली नहीं है। ऐसे में नए कपडे खरीदने व बनवाने का क्रेज भी खत्म हो गया है।

जीबी इस्लामिया के प्रबंधक जावेद खान के अनुसार ईद पर जकात और फितरा देने का रिवाज है, ऐसे में तमाम लोग जरूरतमंदों को जरूर कपडे दे रहे हैं। लेकिन ईद के नाम पर होने वाली खरीदारी के बजाए सभी लोगों ने इस बार सादगी से ईद मनाने का फैसला लिया है।

नगर में बाजार तो खुलने लगे हैं लेकिन कोरोना के कहर के चलते रौनक व रंगत गायब है। कपडा व रेडीमेड बाजार में सन्नाटा है। टेलरों के पास न के बराबर काम है।

और तो और सिंवई, सूतफेनी तक बाजार में उपलब्ध नहीं है। क्योंकि कानपुर, झांसी, छतरपुर मंडी से माल नहीं आ रहा है। रोजा अफ्तार पार्टियां इस बार कहीं नहीं हुई हैं।

कपड़ा सिलाई ठप

ईद पर कुर्ता पाजामा व शर्ट पैंट का निर्माण पूरे शबाब पर होता था। टापसन टेलर राम सनेही विश्वकर्मा के अनुसार एक्सट्रा कारीगर रखकर रात रात भर जाग कर काम करवाते थे। ईद की सुबह तक लोगों के काम करके देना पडता था। लेकिन अब तो पूरे दिन में इक्का दुक्का सिलवाने वाले आते हैं।

गंगाराम नामदेव (लेडिज टैलर)

लेडीज टेलर गंगाराम नामदेव की परेशानी और भी ज्यादा है। उनके अनुसार लाॅकडाउन के कारण सबसे ज्यादा मार महिलाओं पर पडेगी। क्योंकि सबसे ज्यादा कम्प्रोमाइज महिलाओं को करना पडता है। उनके अनुसार अब तो गृहस्थी चलाना भारी पडने वाला है।

रामनवमी, गुड फ्राइडे के बाद ईद पर भी कोरोना की नजर लग गई है। मौलाना हसन के मुताबिक पहले जिंदगी बचाना जरूरी है, जिंदगी बची रही तो भविष्य में ईद भी भव्यता से मना लेंगे।

राम स्नेह विश्वकर्मा

60 लाख का रेडीमेड व्यवसाय हुआ चौपट

रेडीमेड कपडों के व्यापारी आदित्य रावत के अनुसार लाॅकडाउन के कारण ईद की बिक्री चौपट हो गई है। लगभग ६० लाख का रेडीमेड कपडों का कारोबार धरातल पर आ गया है। नगर में दो दर्जन रेडीमेड गारमेंटस की शाॅप हैं। वैरायटी, क्वालिटी और सही दाम के कारण कुलपहाड का मार्केट महोबा के बाद जिले में दूसरे नंबर पर है। लेकिन कोरोना ने दुकानदारों के अरमानों पर पानी फेर दिया है।

40 लाख के कपडा कारोबार को लगी चपत

कपडा व्यवसायी चन्द्रप्रकाश गुप्ता के अनुसार लाॅकडाउन के कारण ईद की कपडा बिक्री ठप पडी है। चन्द्रप्रकाश के अनुसार गत वर्षों में नगर में कपडे का तकरीबन चालीस लाख का कारोबार होता था। नगर में करीब एक दर्जन बडे दुकानदार हैं। सभी हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं। जबकि कुलपहाड में १५- २० गांवों के लोग खरीदारी को आते थे। एक अन्य कपडा विक्रेता सलीम रंगरेज के अनुसार ईद के बाद मुस्लिमों में शादी विवाह की सहालक शुरु हो जाती थी। लेकिन कोरोना वायरस ने सब तहस नहस कर दिया है।

लाॅकडाउन के कारण ईद की खरीदारी का नुकसान

१- रेडीमेड – ६० लाख
२- कपडा व्यापार – ४० लाख
३- होजरी – १० लाख
४- किराना – १०-१५ लाख
५- जनरल स्टोर – १० लाख

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