वरिष्ठ कांग्रेस नेता पंडित रामकृष्ण द्विवेदी के निधन पर कांग्रेस में शोक की लहर

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंडित रामकृष्ण द्विवेदी का आज मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वो 87 वर्ष के थे। उनकी मृत्यु से कांग्रेस में शोक की लहर दौड़ गई। जो जहां था कुछ पल के लिए वहीं ठहर गया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे अपूरणीय क्षति बताया। प्रियंका गांधी ने कहा पंडित जी हमारे गार्जियन की तरह थे उनके जाने से हम सबका व्यक्तिगत और पारिवारिक नुकसान है। रामकृष्ण द्विवेदी दृढ़ इच्छा शक्ति वाले व्यक्ति थे जो कई मौको पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का भी विरोध करने से नही चूके।

कांग्रेस के गढ़ में भी छाई शोक की लहर

देश इस समय महामारी से परेशान है और सभी पार्टियों के नेता कार्यकर्ता पूरी तत्परता से जनसेवा में लगे हैं। कांग्रेस की तरफ से सोनिया गांधी ने भी ट्रको से राहत सामग्री रायबरेली भिजवाई जिसे उनके प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा के नेतृत्व में जन जन तक पहुचाया जा रहा है। ऐसे मौके पर जैसे ही पंडित जी की मृत्यु की खबर मिली जो जहां था वहीं ठहर गया। जिला कांग्रेस कमेटी की तरफ से निर्मल शुक्ला और विनय द्विवेदी ने 2 मिनट मौन रखकर जहां मृत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की वही उनके पार्टी के प्रति गंभीरता और योगदान को भी सराहा। मौके पर कांग्रेस के अन्य पदाधिकारी भी शामिल थे। इसके बाद सभी लोग पुनः भूखे पेट रह रहे गरीबो को भोजन देने निकल पड़े। निर्मल शुक्ला ने बताया कि रामकृष्ण द्विवेदी हमेशा गरीबो और मजलूमो क साथ खड़े रहते थे आज समाज के आखिरी असहाय तक सहायता पहुंचाना ही उन्हें सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।

कांग्रेस के युवा नेता राहुल बाजपेयी वैसे तो लाकडाउन के बाद से लगातार गरीबो के किये भोजन बांटने निकलते हैं इस काम मे उनकी 11 लोगो की टीम पूरे जनपद में चर्चा का विषय बनी हुई है। सुबह से राशन और खाने के पैकेट लेकर निकले राहुल को जैसे ही पंडित जी के मरने की खबर लगी उन्होंने 2 मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी साथ ही रिपोर्ट्स टुडे के माध्यम से पार्टी में उनके योगदान को सराहा।

राहुल बाजपेई ने बताया कि इस दुःखद घड़ी में उनके पार्थिव शरीर के अन्तिम दर्शन न कर पाने का दुःख जीवन भर रहेगा। पूरी कांग्रेस पार्टी दुःखी है। हमारे नेता ने हमे जो जिम्मेदारी दी है उसे पूरा करने के लिए हम सब इस वक्त जी जान से लगे हैं। पंडित जी ने हमेशा गरीबो को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किया आज उनके पेट मे भोजन पहुचाने के लिए हम उनके बेटे के रूप में 18 दिन से संघर्ष कर रहे हैं। मेरी सोच है कि आज के दिन समाज मे कोई व्यक्ति अगर भूखा रहेगा तो उनकी आत्मा को शांति नही मिलेगी।

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