संदीप रिछारिया (वरिष्ठ संपादक)
चित्रकूट। लाकडाउन का आज 15 वां दिन है। प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस की चुस्ती अब सुस्ती में बदलती दिख रही है। कोविड 19 के बचाव के लिए बनाई गई टीमों की गाड़ियां खाली सड़कें नाप रही है तो सब्जी मंडी, कामदगिरि परिक्रमा जैसे स्थानों पर भीड़ को लेकर चल रहे प्रतिबन्धों का असर कम दिखाई दे रहा है। पुलिस के कुछ जवान पैसा वसूली जैसे अपने पुराने काम पर लग चुके है। लोग लाकडाउन के प्रतिबन्धों को धता बताकर सड़कों को नाप रहे है।
सुबह के 8 बजे,लगभग 200 लोगो की भारी भीड़ के साथ फुटकर सब्जी विक्रेता बिना मास्क और ग्लब्ज के पास पास सब्जी का भाव लेते व खरीदते हुए दिखाई दिए। वही सब्जी मंडी के अंदर ही एक महिला व दो पुरुष पुलिसकर्मी बातचीत करने में मशगूल दिखे।
समाजसेवी कुछ ज्यादा तो कुछ कम भारी भीड़ और मोबाइल कैमरों के साथ बन्दरो को खीरा, टमाटर, चना और अन्य समाग्री लेकर टहलते दिखाई दिए।ऐसा लग रहा था कि इनकी सेवा बन्दरो को खिलाने की कम बल्कि खुद के टहलने की ज्यादा हो रही है। कोई बड़ा गंजा तो कोई छोटी परात तो ठेले पर फल सब्जी लेकर बन्दरो की सेवा कर रहा है। बन्दरो का भी यह हाल है कि पिछले 15 दिनों से सब्जी,फल,पूड़ी और हलवा खाते खाते इतना ज्यादा भर गए है कि अब वह यह सब खाने से बन्दर इनकार कर रहे है।
क्या होना चाहिए
प्रशासन को चाहिए कि वह समाजसेवियों को बन्दरो और गरीबो की मदद के लिए समाजसेवियों को पास जारी करने के साथ ही उनके द्वारा समान बॉटने का स्थान भी चिन्हित करें। जिससे एक ही स्थान पर ज्यादा लीग न पहुँचे। खाने को भी फूड इस्पेक्टर जांच करे।