हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 – हमीरपुर विधानसभा सीट आजाद प्रत्याशी आशीष शर्मा विजयी

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हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 - हमीरपुर विधानसभा सीट

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 – हमीरपुर विधानसभा सीट आजाद प्रत्याशी आशीष शर्मा विजयी।

हिमाचल असेंबली चुनाव प्रचार चरम पर है। इसी कड़ी में हमीरपुर जिले की हमीरपुर विधानसभा सीट पर कुल 9 कैंडीडेट मैदान में हैं। इस सीट से सिटिंग एमएलए बीजेपी के नरिंदर कुमार भाजपा की ओर से मैदान में हैं। वहीं वहीं कांग्रेस के पुष्पेंद्र वर्मा और आम आदमी पार्टी के सुशील कुमार सरोच कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

हमीरपुर असेंबली सीट पर साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र ठाकुर ने कांग्रेस कैंडीडेट कुलदीप सिंह पठानिया को 7,231 मतों से हराया था। इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को 25,854 मत मिले थे, जो कुल हुए मतदान का 52.93 फीसदी था। वहीं दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस कैंडीडेट कुलदीप सिंह पठानिया को 18,623 वोट मिले थे। जो पोल हुए कुल मतों का 38.56 प्रतिशत था।

साल 2012 में हमीरपुर असेंबली सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रेम कुमार धूमल ने कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र ठाकुर को 9,302 वोटों के अंतर से हराया था। इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल को 25,567 मत मिले थे, जो कुल हुए मतदान का 57.43 फीसदी था। वहीं दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस कैंडीडेट नरेंद्र ठाकुर को 16,265 वोट मिले थे। जो कुल पड़े वोटों का 36.54 प्रतिशत था।

अब एक नज़र हमीरपुर विधानसभा सीट के प्रत्याशियों की मज़बूती पर..

हमीरपुर विधानसभा सीट के प्रत्याशियों की मज़बूती

बीजेपी कैंडीडेट नरेंद्र ठाकुर

सिटिंग एमएलए हैं नरेंद्र ठाकुर
बीजेपी के मजबूत नेता
प्रेम कुमार धूमल और अनुराग का समर्थन

कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पेंद्र वर्मा

पूर्व मंत्री रणजीत वर्मा के पुत्र
बड़े सोशल वर्कर हैं
क्षेत्र में ख़ासे पॉपुलर

आप उम्मीदवार सुशील कुमार सरोच
जुझारू और कर्मठ आप लीडर
समाजसेवा से रहते हैं जुड़े

अब बात करते हैं हमीरपुर विधानसभा सीट के मतदाताओं की … यहां पर कुल वोटरों की संख्या 76,646 है। जिनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 38,606 है। वहीं महिला वोटरों की तादाद 38,039 है।

हमीरपुर विधानसभा सीट पर कुल मतदाता

कुल वोटर – 76,646
पुरुष मतदाता – 38,606
महिला मतदाता – 38,039

हमीरपुर विधानसभा सीट पर भी जन समस्याएं मुंह बाए रहती हैं। लेकिन चुनाव में ये कोई बड़ा मुद्दा नहीं बन पाया है। वहीं राज्य सरकार के खिलाफ युवाओं, कर्मचारियों, पेंशनरों और अन्य लगभग सभी वर्गों में जो कड़ा रोष है, उससे बीजेपी का परेशान होना स्वाभाविक है। यहां कई स्कूल ऐसे हैं, जहां एक ही शिक्षक के सहारे बच्चे शिक्षा पा रहे हैं। इन समस्याओं से यहां के लोग पीड़ित हैं।

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