क्या दलित युवक की हवालात में मौत के मामले में तत्कालीन एसपी ने बरती थी लापरवाही?

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तैनाती के बाद से ही बंद कमरे से करते रहे जिले की पुलिसिंग, लापरवाह हो चुकी थी थाने की पुलिस

रिपोर्ट – बबलू सिंह अंगारा

रायबरेली – लालगंज थाने में 24 दिन पूर्व दलित युवक की पुलिस अभिरक्षा में हुई मौत के मामले में वर्तमान पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार के निर्देश पर तत्कालीन इंस्पेक्टर सहित एसआई आरक्षियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है, विदित हो कि 24 दिन पूर्व लालगंज कोतवाली में पुलिस अभिरक्षा में एक युवक की मौत हो गयी थी जिसमे मामले के राजनीतिक रूप लेने के कारण पुलिस की फजीहत होने के बाद तत्कालीन एसपी स्वप्निल ममगाई ने प्रभारी निरीक्षक व दो दरोगाओं को निलंबित कर जांच बैठा दी थी।

क्या एसपी ने किया था मामला दबाने का प्रयास?

इस पूरे प्रकरण को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक स्वप्निल ममगई ने दबाने का प्रयास किया था, यही नहीं जनता और मीडिया से दूरी बनाने व बंद कमरे से पुलिसिंग करने वाले एसपी ने जिलाधिकारी को भी गुमराह करने का प्रयास किया था। हालांकि घटना के दौरान नवागंतुक जिलाधिकारी वैभव कुमार ने मामले की मजिस्ट्री जांच के आदेश दिए थे। मामला ज्यों का त्यों पड़ा रहा लेकिन नए कप्तान श्लोक कुमार ने पूरे प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए निष्पक्षता व पारदर्शिता का प्रमाण दिया है। विदित हो कि पुलिस अभिरक्षा में मौत के बाद परिजनों द्वारा लापरवाही बरतने व हिरासत में लिए गए युवक को छोड़ने के एवज में धन उगाही की बात कही थी लेकिन लगाए गए सभी आरोपों को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने खारिज कर दी थी। मामला बीते तीस अगस्त की है जहा दलित मोहित नामक युवक को चोरी के मामले में पुलिस उठा कर लाई थी और इतना टॉर्चर किया कि अनंत: उसकी मौत हो गई थी।

आखिर क्यों काटा जिलेभर के कर्मियों का वेतन

सूत्रों की माने तो अपनी आरोपित पुलिस टीम को बचाने के लिए एसपी ने सभी पुलिसकर्मियों के एक दिन का वेतन रोक कर एकत्र हुई धनराशि को पीड़ित परिवार को दिलवा कर मरहम लगाई थी। फिलहाल घटना के 24 दिन बाद दर्ज हुए मुकदमे के बाद पीड़ित परिवार को कुछ राहत मिला है वहीं परिजनों के मुताबिक अब पूरे प्रकरण की निष्पक्षता से जांच होने की बात कही जा रही है। बताते चलें कि एसपी स्वप्निल ममगई की तैनाती के बाद जिले की बिगड़ी कानून व्यवस्था सरकार पर भी सवाल खड़े कर रही थी। इस दौरान कई बड़े-बड़े मामले प्रकाश में आए जिसमें जिले का माहौल बिगड़ते बिगड़ते बचा। कहीं जनता पुलिस पर हावी रही तो कहीं पुलिस जनता पर हावी रही।

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