खौफ के साए में ओलंपिक का आगाज

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राकेश कुमार अग्रवाल

कोरोना के खौफ के बीच ओलंपिक खेलों का एक साल बाद ही सही आखिरकार आगाज हो गया है . ओलंपिक खेल दरअसल डर , दहशत से परे विषम हालात में भी अपना सर्वश्रेष्ठ देने की जिजीविषा का चरम होते हैं जहां ज्यादा तेज , ज्यादा ऊँचा और ज्यादा मजबूत की मनोभावना के साथ दुनिया भर के चुनिंदा सर्वश्रेष्ठ खिलाडी अपने दमखम , खेल कौशल से आसमां छूने की कोशिश करते हैं .

न शोर शराबा , न चियर अप , न हूटिंग न एकाग्रता को भंग करने वाली दर्शक दीर्घाओं की गतिविधियों के बीच पहली बार स्टेडियमों में केवल खिलाडी , कोच , रैफरी , फिजियो , रिकार्ड कीपर , कमेंट्रेटर व खेल प्रशासकों की मौजूदगी में खेल मुकाबले शुरु हो गए हैं . हालांकि आयोजकों की ओर से अभी भी ओलंपिक खेलों के आयोजन को रद्द करनेे की संभावना से भी इंकार नहीं किया गया है . हाँ और न के पेंडुलम में झूल रहे इन खेलों जितना उहापोह इसके पहले कभी नहीं देखा गया है .

स्थगित होने के एक साल बाद शुरु हुए ओलंपिक खेलों के कारण 55 हजार करोड की संभावित लागत बढ कर एक लाख करोड को पार कर गई है . इस बार 33 खेलों के लिए 339 पदक दांव पर लगे हैं . कल 24 जुलाई को पहला पदक समारोह होगा . इस बार के पदक भी पुराने इलेक्ट्रानिक सामानों व अनुपयोगी मोबाइल फोनों से बनाए गए हैं . इसके लिए जापान ने 2017 में ही लोगों से इन वस्तुओं को जमा कर देने की अपील की थी ताकि समय से मेडल तैयार किए जा सकें . इस बार के आयोजन के शुभंकर मिराइटोवा ( भविष्य ) व सोमेती ( अनंतकाल ) हैं . टोक्यो ओलंपिक में पहली बार पांच नए खेलों का आगाज हो रहा है . इन खेलों में सर्फिंग , स्केट बोर्डिंग , स्पोर्ट्स क्लाइंबिंग , कराटे व बेसबाॅल शामिल हैं . पुरुष बेसबाॅल और महिला साफ्टबाॅल की वापसी हो रही है . टोक्यो ओलंपिक में टेबल टेनिस मिक्स डबल को जोडा गया है . जूडो में मिक्स्ड टीम इवेंट है . पुरुषों की तैराकी में 800 मीटर रेस को इवेंट में शामिल किया गया है . महिलाओं की 1500 मीटर फ्री स्टाइल को भी शामिल किया गया है . वाटरपोलो में 8 के बजाए इस बार 10 टीमों को इंट्री दी गई है . कयाक में पुरुषों के तीन इवेंट कम करके महिलाओं के तीन इवेंट बढा दिए गए हैं . तीरंदाजी में इस बार मिक्स्ड टीम इवेंट शामिल किया गया है . नौकायन में 1966 के बाद पहली बार बदलाव किया गया है . पुरुषों के चार हल्के इवेंट हटा दिए गए हैं उनकी जगह महिलाओं के इवेंट जोडे गए हैं . मुक्केबाजी में महिला बाॅक्सर की संख्या तीन से बढाकर 5 कर दी गई है जबकि पुरुष मुक्केबाजों की संख्या 10 से घटाकर 8 कर दी गई है .
रियो ओलंपिक में 26 खेलों में 204 देशों के 10500 खिलाडियों ने हिस्सा लिया था . टोक्यो ओलंपिक में खिलाडियों की यह संख्या 11090 तक पहुंचने की संभावना है . जहां तक भारत का सवाल है अब तक के ओलंपिक इतिहास में 2012 में हमारा प्रदर्शन अब तक का सर्वश्रेष्ठ रहा था जिसमें भारत ने 6 पदक जीते थे . लेकिन फिर भी पदक तालिका में हम 55 वीं पायदान पर रहे थे . ओलंपिक खेल भारत के लिए कभी भी ऐसे नहीं रहे हैं कि जिन पर हम गर्व करें और बेसब्री से इस आयोजन की प्रतीक्षा करें . हमारी हाॅकी का स्वर्णकाल भी बीत गया है . 2016 के रियो ओलंपिक में तो हमारे रण बांकुरे तो महज दो पदक हासिल कर सके थे . और देश पदक तालिका में 67 वें स्थान पर रहा था . आबादी के लिहाज से दुनिया के दूसरे सबसे बडे देश में पदकों का सूखा रहने के संकेत साफ हैं कि खेलों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता व तैयारियां किस स्तर की हैं . हमारे यहां खिलाडी तो हैं लेकिन हम चैंपियन तैयार नहीं कर पाते हैं . हालांकि सरकार ने इस बार के ओलंपिक में मेडल का सूखा खत्म करने के लिए लगभग 1170 करोड की मदद खेल फेडरेशन व ओलंपिक के संभावित दावेदारों को तैयारी के वास्ते दी है .

120 सदस्यीय भारतीय दल 18 विभिन्न स्पर्धाओं में भाग ले रहा है . सबसे ज्यादा उम्मीदें शूटिंग व मुक्केबाजी में हैं . शूटिंग में सबसे बडा 15 सदस्यीय दल है . 9 बाॅक्सर हैं . बैडमिंटन में पीवी सिंधु , भाला फेंक में नीरज चोपडा , कुश्ती में बजरंग पूनिया , भारोत्तोलन में मीराबाई चानू , एयर पिस्टल निशानेबाजी में मनु भाकर , बाक्सिंग में पूजा रानी उम्मीदें लेकर टोक्यो गई हैं . सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी पदक की गारंटी नहीं होता है . सबसे बेहतरीन ही आपस में पदक का बंटवारा करते हैं . टोक्यो ओलंपिक का सबक यही है कि हालात कितने भी विकट हों रुकना नहीं , थमना नहीं , हताश होना नहीं . कोई न कोई राह तो निकलेगी जरूर .

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