गुरुपूर्णिमा को लगेगा मां श्यामला देवी मंदिर का मेला

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वीर धनंजय चौरसिया
गुरुपूर्णिमा को लगेगा मां श्यामला देवी मंदिर का मेला
दो हजार साल पुराने मंदिर में दूर दूर से माथा टेकने आते है। श्रद्धालु
राठ में स्थापित मां श्यामला देवी की प्रतिमाएं
मां श्यामला देवी मंदिर का मुख्य द्वार
संवाद सहयोगी, राठ : कस्बे से 5 किमी. दूर हमीरपुर मार्ग पर सरसई मौजा स्थित खेत में
करीब दो हजार वर्ष पुराना मां श्यामला देवी मंदिर में पूरे साल
ही भक्तों की भीड़ रहती है। लेकिन यहां गुरु पूर्णिमा महोत्सव के मौके पर मेला का आयोजन होता है। इस मंदिर में भावपूर्ण मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है, तभी तो खुशहाली पर लोग मां के मंदिर में माथा टेकने दूर दूर से आते है। नवरात्र के मौके पर गांव गांव से भक्त पूजा अर्चना करते आते है।

मंदिर का इतिहास….
सरसई मौजा खेत में सदियों पुराना मां श्यामला देवी का भव्य मंदिर बना है। मुख्य मार्ग से दो किमी. अंदर बने मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्त पैदल जाते है। चंदेल काल में आल्हखण्ड़ काव्य की रचना करने वाले राजा परमार्दिदेव महोबा के दरबारी कवि जगनिक जब अपने घर जनपद हमीरपुर जलालपुर
से महोबा जाने के लिए निकले थे। तब श्यामला देवी मंदिर में मां श्यामला की पूजा अर्चना की। कहा जाता है कि देवी मां ने प्रसन्न होकर कवि जगनिक को साक्षात दर्शन दिये थे और सुप्रसिद्घ कवि होने का वरदान दिया था। गुरु पूर्णिमा के दिन वीर आल्हा ऊदल यहां देवी दर्शन को आते थे।

मंदिर की मान्यता….
देवी मंदिर की मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन बारिश अवश्य ही होती है। मां श्यामला सहित दुर्गा व काली मां की तेज प्रकाश फैलाती मूर्तियां स्थापित है यहां पर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। तभी तो कई आस्थावानों ने देवी मंदिर के आसपास विभिन्न देवी देवताओं के मंदिर स्थापित करा दिए है। मंदिर पहुंचने के लिए कस्बे के अम्बेडकर चौराहे से रिक्शा या बस से मंदिर गेट पर पहुंचा जा सकता है यहां से पैदल या निजी वाहन से तकरीबन एक किमी. चलने के बाद देवी मां के दर्शन होते है।

तुर्रा शेर गढ़ के पुजारी नरेश दीक्षित ने बताया कि यहां पर प्रत्येक वर्ष मेला का आयोजन समिति द्वारा होता है वैसे तो हर रोज ही देवी भक्त मां के दर्शन को आते है लेकिन नवरात्र व गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। रिपोर्ट- एमडी प्रजापति

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