4 दिन से जलापूर्ति ठप, व्यवस्था भगवान भरोसे

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पाइप लाइन फटी, पीने को पानी नहीं, खेत हो रहे जलमग्न

राकेश कुमार अग्रवाल

कुलपहाड़ (महोबा) । सन ६२ के चीन से युद्ध में सूचना प्रसारण मंत्री इंदिरा गांधी का जेवरात, आभूषणों से तुलादान करने वाला गांव आज पानी के लिए जार जार रो रहा है। पाइप लाईन फटी पडी है जिस कारण हजारों लीटर पानी बहकर खेतों को जलमग्न कर रहा है और गांववासी बूंद – बूंद पानी को तरस रहे हैं।

एक तो लाॅकडाउन, दूसरा ४०-४२ डिगरी का तापमान, चिलचिलाती धूप, व लू – लपट उस पर भी चार दिन से पानी की सप्लाई ठप। मुढारीवासियों की ऐसे विषम समय में परीक्षायें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं।

जल निगम व जल संस्थान की लापरवाही के चलते जैतपुर विकास खंड के ग्राम मुढ़ारी के ग्रामवासियों को एक हफ्ते से लगातार जलापूर्ति नहीं मिल पा रही। जब कभी जलापूर्ति मिलती भी है तो कीचड़ युक्त मटमैला पानी आता है। लॉक डाउन के चलते वाशिंदों के लिए दूषित पानी पीना मजबूरी बनी हुई हैं। टंकी में ब्लीचिंग पाउडर भी जब कभी डाला जाता है जिससे सप्लाई में आए पानी में कीड़े बिलबिलाते नजर आते है। जल संस्थान की मनमानी का आलम यह है कि अगर फोन भी कोई लगाता है तो रिसीव नहीं करते या स्विच ऑफ किए रहते हैं। जिससे लोगों में गुस्सा है, वैश्विक महामारी के दौर में शासन प्रशासन की नजर शुद्ध पेयजल की उपलब्धता पर नहीं केवल कोरोना मैनेजमेंट पर है। वहीं जल कल विभाग हजारों लीटर पानी की बरबादी जान बूझकर कर रहा है। क्योंकि बेलाताल से मुढ़ारी पाइप लाइन हफ्तों से टूटी पड़ी हुई है। पाइप लाइन से निकलने वाले पानी से दस से पंद्रह बीघा के ऊपर खेत पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं।लेकिन फिर भी विभाग लाइन को सही ना कराकर पानी की रोज बर्बादी हो रही है।और गांव की टंकी में एक बूंद भी पानी नहीं पहुंच पा रहा है।जिसके चलते गांव के लोग पानी के लिए हाहाकार करते हुए पानी के लिए दिन रात कड़ी मशक्कत करके पानी के लिए जंग लड़ते नजर आते हैं। मुढ़ारी वासियों के लिए सबसे बड़ी भीषण समस्या पानी की बनी रहती है. जिससे जिला प्रशासन भी अच्छी तरह से अवगत हैं। फिर भी सभी जिम्मेदार अधिकारी मौन होकर अपनी आंखो को बंद किए हुए हैं।अब गांव की भोली भाली जनता जानना चाहती हैं कि क्या कभी इस समस्या से निजात मिलेगी भी या नहीं सूखे के समय में अकोना रोड पर भी लाखों की धनराशि खर्च करके दो बोर कराए गए थे जिनमें पर्याप्त पानी होने की बात कही गई थी लेकिन आज तक स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है और बोर से पानी देने की कोई व्यवस्था नहीं की गई अतः कुछ लोग तो पानी व लाइट की समस्या के चलते कुलपहाड़ और बेलाताल में रहने के लिए रवाना हो गए हैं। आखिर कब तक पानी की मार और झेलनी पड़ेगी ग्रामवासियों को, क्या कभी शासन प्रशासन के प्रयास लोगों को पानी की समस्या से छुटकारा दिला पायेंगे या फिर मुंगेरी लाल के सपने देख कर उम्मीदों का पानी पिला कर लोगों की प्यास बुझाई जाती रहेगी।

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