संदीप रिछारिया ( वरिष्ठ संपादक)
चित्रकूट की यहि सेवकाई, भूषण बसन न लेहि चुराई,,,
चित्रकूट। आज कोरोना के चक्कर मे लाकडाउन झेल रहे गरीबो को आम दिनों से ज्यादा दुर्दिनों का सामना करना पड़ रहा है। हाथ को काम नही और परिवार को जीवित रखने के लिए चिंता। सबसे बड़ी बात यह है कि जब लोग घर से निकल नही सकते तो वो काम कैसे करेंगे। इस तरह के मौकों पर याद आते है हमारे नेता और समाजसेवी। लेकिन गंभीर बात यह है कि आज की तारीख में ये दोनों कौमे गायब है। कोई खुद को कोरेण्टाइन कर रहा है तो कोई फेसबुक और वाट्सअप पर ज्ञान पेल रहा है। आम लोगो का दुख दर्द बाटने के लिए प्रशासन से अनुमति लेकर या प्रशासन के साथ इक्का दुक्का लोग ही बाहर है।
प्रशासन की मदद की अपनी सीमाएं है। हमे प्रशासन की सीमाओं का लाकडाउन में रहते हुए विस्तार करना चाहिए। मसलन राशन का सामान अपने घर से प्रशासन को दे। अपने घर से ही कपड़े वालो व दर्जी को आर्डर देकर मास्क सिलवाकर प्रशासन को दे। जानवरो के लिए भोजन भी अपने घर से ही देने का काम करे।
( नोट : इस खबर का प्रायोजन किसी व्यक्ति , संस्था,या नेता की भावनाओ को ठेस पहुचाना नही,वरन हमारा उद्देश्य उनके अंदर सेवा की वह भावना जागृत करना है, जिसकी आज सर्वाधिक जरूरत है। आज भूख से मानवता कराह रही है। प्रशासन का साथ दीजिये, मानव बनकर मानवता को बचाइए।)